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मैं कट्टरवादी नहीं हूँ-आडवाणी

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009 (20:11 IST)
-मनोज वर्म
भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि पाँच साल के संप्रग सरकार के काम से देश में कोई भी खुश नहीं है। जनता ने इस सरकार को उखाड़ फेंकने का मन बना लिया है।

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आडवाणी ने कि मनमोहन सरकार की खराब नीतियों के कारण किसान दुःखी हैं, मंदी ने बेरोजगार बना दिया है। आतंकवाद ने असुरक्षा पैदा कर दी है। महँगाई रुक नहीं रही है। कांग्रेस पर प्रहार करते हुए आडवाणी ने कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी आज एक पारिवारिक पार्टी बनकर रह गई है। दूसरी ओर भाजपा का देश में चौतरफा विस्तार हुआ है।

भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि देश की जनता ने केंद्र में बदलाव का मन बना लिया है। जातिवाद और परिवार पर केंद्रित राजनीतिक दल देश और लोकतंत्र दोनों के लिए खतरा हैं। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस आज एक पारिवारिक पार्टी बनकर रह गई है।

राहुल गाँधी 38 के बजाए 68 साल के भी होते तो भी कांग्रेसी उन्हें 'युवा' नेता ही कहते। भविष्य के राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए आडवाणी ने मुख्यमंत्री मायावती और उनकी पार्टी बसपा से समझौते के बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।

एक सवाल के जवाब में आडवाणी ने कहा, 'मैं कट्टरवादी नहीं हूँ और न मैंने कभी कोई भ़ड़काऊ भाषण दिया।' कर्नाटक के चुनावी दौरे पर गए भाजपा नेता आडवाणी ने दिल्ली लौटते समय अपने विशेष विमान में 'नईदुनिया' से विशेष बातचीत की।

आडवाणी ने भाजपा की चुनावी राजनीति, मुद्दों, चुनौतियों और देश में अगली सरकार की संभावनाओं पर विस्तारपूर्वक बातचीत की। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश।

प्राश्न : आपने स्विस बैंक में जमा काले धन को चुनावी मुद्दा बनाया है। आपकी सरकार क्या देश के सामने उन लोगों के नाम रखेगी जिनका काला धन विदेशी बैंकों में जमा है?
उत्तर : यह गंभीर मुद्दा है इसलिए जनता के सामने रखा है। मैंने इस मुद्दे पर पिछले साल अप्रैल में मनमोहन सरकार को एक पत्र लिखा और विदेशों में जमा काले धन के संबंध में जर्मनी का उल्लेख किया था। जर्मनी ने स्विस बैंक से उन लोगों के नाम-पते माँगे थे जिनका काला धन उनके यहाँ बैंकों में जमा है। पता चला था कि दुनिया के करीब 1400 लोगों का पैसा बैंकों में जमा है। जर्मनी के 500 लोगों के नाम शामिल थे, शेष 900 लोग दूसरे देशों के थे।

भारतीयों के संबंध में अभी नामों की जानकारी नहीं है। हमारी सरकार केंद्र में आएगी तो हम भी विदेशों में काला धन छिपाकर रखने वालों के नाम-पते का पता लगाएँगे और देश की जनता के सामने पूरा ब्योरा रखेंगे। इस पैसे का उपयोग हम देश के विकास में करेंगे। राजनीतिक स्तर पर भी देश में इस मामले में लगभग सहमति बन रही है। कांग्रेस पार्टी का रुख स्पष्ट नहीं है।

प्रश्न : आपको लगता है कि अगली सरकार भाजपा के नेतृत्व वाले राजग की ही बनेगी?
उत्तर : पाँच साल में प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की यूपीए सरकार ने जो काम किया, उससे देश का कोई भी क्षेत्र और वर्ग खुश नहीं है। किसान दुखी हैं तो आर्थिक मंदी ने नौकरी करने वालों को भी बेरोजगार बना दिया। आतंकवाद ने असुरक्षा पैदा कर दी है।

महँगाई रोकने में मनमोहन सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई। फरवरी से लेकर अब तक मैं 80 से अधिक लोकसभा क्षेत्रों में प्रचार के लिए जा चुका हूँ। इस दौरान मैंने पाया कि जनता केंद्र की सत्ता से कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए को हटाने का मन बना चुकी है। विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि केंद्र में अगली सरकार राजग की बनेगी।

प्रश्न : देश के कई राज्यों में न तो भाजपा का जनाधार है और न गठबंधन है। ऐसे में सीटें कहाँ से आएँगी?
उत्तर : एक समय भाजपा को उत्तर भारत की पार्टी कहा जाता था, लेकिन अब कोई भाजपा को एक क्षेत्र या वर्ग की पार्टी नहीं कह सकता। भाजपा का देश में चौतरफा विस्तार हुआ है। दक्षिण के महत्वपूर्ण राज्य कर्नाटक में भाजपा की सरकार है। गठबंधन की तुलना करें तो हमारे एनडीए की स्थिति यूपीए से बेहतर है। उत्तरप्रदेश में अजितसिंह, हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल, असम में असम गण परिषद सहित पूर्वोत्तर में कई स्थानीय दलों से भाजपा का गठबंधन हुआ है जिसका लाभ हमें मिल रहा है।

प्रश्न : उड़ीसा में बीजू जनता दल ने भाजपा से गठबंधन तो़ड़ लिया। सरकार बनाने के लिए क्या नए दलों का साथ लेंगे?
उत्तर : संकट के समय भाजपा और शक्तिशाली बनकर उभरती है। नवीन पटनायक को यह लगने लगा कि उनकी लोकप्रियता बहुत बढ़ गई है। इसलिए पाँच साल हमारे साथ सरकार चलाने के बाद चुनाव से पहले हमसे नाता तोड़ लिया। हमने भी राज्य में अकेले लड़ने का फैसला कर लिया। कर्नाटक में जेडीएस ने हमारे साथ विश्वासघात किया था, बाद में कर्नाटक में भाजपा ने अपने दम पर सरकार बनाई।

प्रश्न : वाम मोर्चा केंद्र में तीसरे मोर्चे की सरकार बनने का दावा कर रहा है। क्या लगता है?
उत्तर : मैंने जब जनसंघ से राजनीति शुरू की थी तब देश की राजनीति में वामदल हमसे आगे थे। महाराष्ट्र, यूपी, मध्यप्रदेश कई राज्यों में उनके लोग चुनाव जीता करते थे। लेकिन आज वामदलों की हैसियत इन राज्यों में नगरपालिका का चुनाव जीतने की भी नहीं रह गई है। मार्क्सवादियों ने दुनियाभर में भ्रमजाल फैलाया कि रूस की तरह गरीबी मिट जाएगी, लेकिन मार्क्सवाद लगभग पूरी दुनिया से खत्म हो गया। केवल क्यूबा, केरल और कोलकाता में बचा है। जनता वामदलों का यह भ्रमजाल भी तो़ड़ देगी।

प्रश्न : मनमोहनसिंह का आरोप है कि भाजपा ने पाँच साल तक उनको भला-बुरा कहा? जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और दूसरे कांग्रेसी नेता आप पर निशाना साध रहे हैं? संबंधों में यह तल्खी क्यों?
उत्तर : मैंने किसी के बारे में कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की। रही बात मेरी आलोचना की तो मैं बताना चाहता हूँ कि 1971 में विपक्ष ने "इंदिरा गाँधी हटाओ" का नारा देकर एक ब़ड़ी गलती की थी। श्रीमती गाँधी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया था और हम विपक्ष के लोग इंदिरा हटाओ की बात कर रहे थे, फायदा इंदिराजी को हुआ। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पास वोट माँगने के लिए कोई मुद्दा नहीं है। इसलिए कांग्रेस के नेताओं का चुनाव मुझ पर केंद्रित है।

प्रश्न : कांग्रेस कंधार को भी मुद्दा बना रही है। इसे वाजपेयी सरकार की विफलता बता रही है?
उत्तर : कांग्रेस ने इस मुद्दे को 2004 के लोकसभा चुनाव में क्यों नहीं उठाया। कांग्रेस के लोग कंधार पर गलतबयानी कर रहे हैं ताकि आतंकवाद के मुद्दे पर यूपीए सरकार की विफलता को छिपा सकें। कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि आतंकवाद विरोधी पोटा कानून क्यों समाप्त किया। मुंबई में आतंकवादी घटना कैसे हुई और कोर्ट से सजा पाए अफजल गुरु को फाँसी क्यों नहीं दी जा रही?

प्रश्न : आपकी सरकार बनी तो पहले सौ दिन में आप प्राथमिकता के आधार पर कौन-से काम करेंगे?
उत्तर : सरकार बनने के बाद हम सहयोगी दलों और विशेषज्ञों के साथ एक कार्ययोजना तैयार करेंगे। मैं कह सकता हूँ कि सरकार बनते ही सौ दिन के भीतर देश की जनता को यूपीए सरकार के हताशा और निराशा वाले माहौल से निजात दिलाएँगे। किसान, आर्थिक मंदी, महँगाई और आतंकवाद की समस्याओं को हल करने के लिए प्राथमिकता देंगे। छः माह के भीतर लोग अंतर को महसूस करेंगे।

प्रश्न : घोषणा-पत्र में भाजपा ने राम मंदिर बनाने का वादा किया है। हिन्दुत्व पर भी जोर है?
उत्तर : राम मंदिर का मुद्दा हमारे लिए राजनीति का मुद्दा नहीं रहा। यह आस्था का सवाल है। राष्ट्रवाद या हिन्दुत्व से जु़ड़े मुद्दे हमारी वैचारिक सोच हैं। उनसे हमारे विरोधी मतभेद रख सकते हैं। जैसे आजादी से पहले मुस्लिम लीग महात्मा गाँधी से इस बात को लेकर नाराज थी कि गाँधीजी रामराज्य की बात करते हैं। आज मैं और मेरी पार्टी जब राम का नाम लेती है तो कांग्रेस और हमारे विरोधी मुस्लिम लीग की तरह आचरण करने लगते हैं।

प्रश्न : हिन्दुत्व का असली नायक कौन है? मोदी या वरुण?
उत्तर : मोदी या वरुण ने हिन्दुत्व का नायक बनने के लिए कुछ नहीं किया। मीडिया और विरोधी दलों ने दोनों की छवि खराब की। गुजरात में मुसलमान आज जितना संपन्ना है उतना देश के किसी राज्य में नहीं है। मोदी ही नहीं, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और छत्तीसग़ढ़ के मुख्यमंत्री रमनसिंह ने भी अपने काम से जनता को प्रभावित किया है।

प्रश्न : कहा जाता है कि अटलबिहारी वाजपेयी उदारवादी हैं और आप कट्टरवादी, ऐसा क्यों?
उत्तर : मेरी ऐसी छवि क्यों बनाई गई, मैं नहीं जानता। कभी लगता है कि ऐसा राजनीतिक विरोध के चलते किया गया है। मैंने कभी भी किसी व्यक्ति, धर्म या वर्ग के खिलाफ कुछ भी गलत नहीं बोला, जो कट्टरवाद कहा जाए। कोई बता दे कि मैंने कभी किसी के बारे में कुछ भी भड़काने वाला कहा हो। मैंने सोमनाथ से अयोध्या की यात्रा के दौरान भी कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया।

प्रश्न : परिवारवाद की राजनीति हावी हो रही है। क्या आप भी अपने किसी परिजन या बच्चों को राजनीति में उतारेंगे?
उत्तर : परिवारवाद की राजनीति भी देश और लोकतंत्र के लिए खतरा है। इस स्थिति के लिए कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी दोषी है। कांग्रेसी पहले परिवार के बारे में सोचते हैं उसके बाद देश के बारे में विचार करते हैं। जहाँ तक भाजपा का सवाल है तो भाजपा का इतिहास इस बाद का प्रमाण है कि हमारी पार्टी में कोई नेता किसी एक खास परिवार के कारण नहीं बना। जहाँ तक मेरे परिवार का सवाल है तो मैंने कभी भी अपने परिवार के किसी भी सदस्य को राजनीति के लिए न तो प्रेरित किया और न ही उभारा।

प्रश्न : आपकी उम्र अस्सी पार हो चुकी है, क्या यह आपका आखिरी चुनाव है?
उत्तर: इसे बारे में मैं क्या कहूँ। मैं तो इस बार का चुनाव भी लड़ना नहीं चाहता था, लेकिन पार्टी ने तय किया और मुझे प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बना दिया है। मैं मना करता तो पार्टी का नुकसान होता। भविष्य में क्या होगा अभी कुछ कहने का भी उचित समय नहीं है।

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