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तुमसा कोई दूसरा नहीं मिला

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- विशाल

जब कदम-कदम पर मिले धोखे
बड़शिद्दत सतेरी याद आई

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रजनी का अफेयर खत्म हुए लगभग 2 वर्ष हो गए। अब किसी से भी इश्क-मोहब्बत की बात सुनना गवारा नहीं। अपना अतीत भी किसी को भूलकर भी बताना नहीं चाहती, न ही कभी याद करती है।

दोनों के बीच एक-दूसरे के प्रति बेइंतहा मोहब्बत। लेकिन रजनी कभी इसे अपनी तरफ से विवाह के रूप में मंजूर नहीं कर पाई। वह खुद भी नहीं जानती दिल क्यों मना करता रहता था इस पवित्र रिश्ते के लिए। सुंदर तो थी ही लेकिन कभी उसे किसी बात का घमंड नहीं, बहुत ही नेक दिल लड़की। सहेलियों में भी सबकी चहेती है रजनी।

एक दिन आशीष ने उसे बताया कि उसकी शादी के लिए परिजनों ने लड़की ढूँढनी तलाश कर दी है, तब भी नहीं। आखिरकार आशीष का रिश्ता अन्यत्र तय हो गया और शादी के 6 माह बाद दोनों का मिलना-जुलना बंद हो गया। फीलिंग्स भी कम होने लगीं। आशीष घर-गृहस्थी में बिजी हो गया तब रजनी को अकेलेपन का अहसास हुआ।

अब रजनी को एक दूसरे साथी की जरूरत महसूस होने लगी। उसने एम.फिल की पढ़ाई के दौरान एक-दो मित्रों से करीबी संबंध बनाने शुरू किए। उसे लगने लगा कि इनमें से कोई उसका जीवनसाथी बनने के लायक है। लेकिन बात बढ़ते-बढ़ते कहीं न कहीं उसे मतभेद से नजर आए और एक-एक किसी ने उसका साथ छोड़ दिया तो कभी रजनी ने दूसरे को अलविदा कह दिया।

होता भी क्यों न उसे हरेक अपने नए मित्र में आशीष की तलाश होती थी और ऐसा किसी भी कीमत पर संभव नहीं था। अब रजनके दिल में टीस उठने लगी और अपनी गलती का अहसास होने लगा कि शायद आशीष को जीवनसाथी न बनाकर उसने ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल की है। जिस नायाब हीरे की तलाश में अब वह थी उसने कनेर समझकर उसे बहुत पहले ठुकरा दिया था।

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