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भाजपा के डर से 'गले मिले' नीतीश और लालू...

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पटना , शनिवार, 23 अगस्त 2014 (21:08 IST)
पटना। यूं तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि राजनीति में न तो कोई स्थायी दुश्मन होता है और न ही स्थायी दोस्त। मगर यह जरूर बड़ी बात है कि किसी समय धुर विरोधी रहे बिहार के दो पूर्व मु्ख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू यादव 20 साल बाद एक मंच पर नजर आए और एक दूसरे के गले मिले।

क्या बोले नीतीश रैली में...
* ये अपनी शक्ति को बनाए रखने के लिए देश को बांटने का काम करेंगे।
* हम देश पर खतरे के खिलाफ एकजुट हुए हैं। देश को एकजुट करने के लिए हम हर तबके को साथ लेकर चलना चाहते हैं।
* पहले खतरा कांग्रेस से था मगर अब कांग्रेस से खतरा नहीं है। अब ऐसी पार्टी सत्ता में जिसका देश की आजादी में कोई योगदान नहीं है।
* ये लोग पूरे देश को गलत रास्ता पर ले जाना चाहते हैं। पूरे देश का भगवाकरण करना चाहते हैं।
* हम एकजुट हो गए हैं। हम उन्हें पराजित करेंगे। भाजपा हमारी एकजुटता से परेशान है।
* भाजपा पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि कुछ लोगों पर सत्ता का नशा चढ़ा हुआ है।
* देश पर खतरा है, इसलिए पुराने मतभेदों को साथ लेकर नहीं चल सकते। हम इसलिए साथ आए हैं ताकि देश को बच सके।
* यह लालू और हमारी पहली सभा है। इसके साथ ही वे अटकलें खत्म हो गईं कि नीतीश लालू साथ आएंगे या नहीं।
* इतने कम वोटों पर आज तक कोई भी पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं बनी।
* महंगाई भगाने के वादे का क्या हुआ।
* भाजपा के कुछ नेताओं के अच्छे दिन आ गए हैं।
* आजादी की लड़ाई मे 'उनकी' कोई भागीदारी नहीं है।
* वे सरकार चला सकते हैं मगर उनके लिए देश चलाना कठिन होगा।
* सरकार चलाना आसान है, देश चलाना कठिन है।
* वे धर्म के आधार पर देश में उन्माद फैलाने की कोशिश करेंगे।

हाजीपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करने के लिए दोनों साथ आए। बिहार में 21 अगस्‍त को 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ है। तीनों पार्टियां मिलकर भाजपा के खिलाफ लड़ रही हैं। लालू और नीतीश हाजीपुर में चुनावी रैली को संबोधित करने के बाद शाम चार बजे मोहिउद्दीननगर में रैली को संबोधित करेंगे। दोनों नेता सड़क मार्ग से हाजीपुर पहुंचे हैं।


नीतीश और लालू के गठजोड़ की सबसे बड़ी वजह भाजपा है। जदयू से अलग होने के बाद भी लोकसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा ने प्रदर्शन किया है उससे लालू और नीतीश दोनों ही डरे हुए हैं। नीतीश को जहां अपनी राजनीतिक जमीन खिसकने का डर है, वहीं लालू एक बार फिर अपनी खोई ताकत को हासिल करना चाहते हैं। कांग्रेस इस मोर्चे में शामिल जरूर हैं, लेकिन उसका वजूद नहीं के बराबर है।

इस गठजोड़ पर विरोधियों ने निशाना भी साधा है। कभी लालू और नीतीश दोनों के करीबी रहे पूर्व राज्यसभा सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा कि नीतीश और लालू अब अकेले दम अपना अस्तित्व बचाने में सक्षम नहीं हैं। चुनाव नतीजों से भी इस बात का पता चला जाएगा। राज्य के पूर्व उपमुख्‍यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार ने भी नीतीश कुमार निशाना साधा।

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