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किसान आंदोलन में मारपीट, 6 मोटरसाइकलें जलाईं, दुकानों में तोड़फोड़

हमें फॉलो करें किसान आंदोलन में मारपीट, 6 मोटरसाइकलें जलाईं, दुकानों में तोड़फोड़
, शुक्रवार, 2 जून 2017 (19:00 IST)
धार (मप्र)। पश्चिमी मध्यप्रदेश में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के दूसरे दिन आज धार जिले के सरदारपुर में आंदोलनकारी किसानों एवं दुकानदारों के बीच झड़प हो गई, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए और छह मोटरसाइकिल जलाने के साथ-साथ दो दुकानों में तोड़फोड़ की गई। किसान खेती का वाजिब दाम न मिलने सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।

धार जिले के पुलिस अधीक्षक वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि आज सुबह आठ और साढ़े आठ बजे के बीच आंदोलनकारी किसान झुंड बनाकर सरदारपुर में दुकानें बंद करने पहुंचे, जिसका दुकानदारों ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि इसी बीच दुकान बंद करवाने को लेकर दुकानदारों और आंदोलनकारी किसानों में विवाद हो गया, जो मारपीट भी बदल गई।
 
उन्होंने कहा, इस हिंसक झड़प में किसानों की छह मोटरसाइकिल जला दी गईं तथा दो दुकानों में तोडफोड़ की गई। सिंह ने बताया, इस झड़प में कुछ लोगों को चोटें भी आई  हैं। उन्होंने कहा कि स्थिति को देखते हुए सरदारपुर में पुलिसबल तैनात कर दिया गया है। हालांकि, अब स्थिति नियंत्रण में है। बाद में प्रदर्शनकारी किसानों ने सरदारपुर पुलिस थाने का घेराव भी किया।
 
इससे पहले मध्यप्रदेश के इंदौर, उज्जैन, शाजापुर, सीहोर एवं राजगढ़ सहित विभिन्न भागों में अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलने पर भड़के किसानों ने आंदोलन की कल शुरुआत करते हुए अनाज, दूध और फल-सब्जियों की आपूर्ति रोक दी थी। इससे आम उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सोशल मीडिया के जरिए शुरू हुआ किसानों का आंदोलन 10 दिन तक चलेगा।
 
प्रदर्शनकारी किसानों ने इंदौर और उज्जैन समेत पश्चिमी मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में कल दूध ले जा रहे वाहनों को रोका और दूध के कनस्तर सड़कों पर उलट दिए। उन्होंने अनाज, फल और सब्जियों की आपूर्ति कर रहे वाहनों को भी रोक लिया और इनमें लदा माल सड़क पर बिखेर दिया। 
 
किसानों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे संगठनों में शामिल मध्यप्रदेश किसान सेना के सचिव जगदीश रावलिया ने कहा, हमने सोशल मीडिया पर इस आंदोलन का आहवान किया था और इससे किसान अपने आप जुड़ते चले गए। प्रदेश की मंडियों में भाव इस तरह गिर गए हैं कि सोयाबीन, तुअर (अरहर) और प्याज उगाने वाले किसान अपनी खेती का लागत मूल्य भी नहीं निकाल पा रहे हैं।

उन्होंने दावा किया कि अब तक इस आंदोलन को इंदौर, उज्जैन, देवास, झाबुआ, नीमच और मंदसौर जिलों के किसानों का समर्थन मिल चुका है। (भाषा)

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