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काम मांगने का अनूठा तरीका...

हमें फॉलो करें काम मांगने का अनूठा तरीका...

वृजेन्द्रसिंह झाला

इनका नाम रमेश तिवारी है। उम्र करीब 55 साल है। गले में तख्ती लटकाए कभी पैदल तो कभी साइकिल पर इन्हें इंदौर की सड़कों पर देखा जा सकता है। लोग इन्हें अजूबा समझकर मोबाइल से फोटो खींचते हैं तो कुछ आश्चर्य से देखते हैं, रुकते भी हैं और आगे बढ़ जाते हैं। दरअसल, पेशे से ड्राइवर तिवारी को काम की तलाश है और इसके लिए उन्होंने यह अनूठा तरीका अपनाया है।

ऐसा नहीं है कि तिवारी को नौकरी नहीं मिलती, लेकिन अब वे स्थायी नौकरी  करना ही नहीं चाहते। उनका कहना है कि 1982 से ड्राइवरी के पेशे में हूं। इस दौरान मैंने कई कंपनियों और बड़े-बड़े लोगों के साथ भी काम किया, लेकिन मैंने कभी अपने सिद्धांतों और स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। एक वक्त ऐसा भी था जब ज्यादातर लोग चाहते थे कि मैं उनके साथ काम करूं, इसीलिए मैं कभी भी एक जगह लंबे समय तक काम नहीं कर पाया। 
 
तिवारी बुझे मन से कहते हैं कि कुछ लोग ड्राइवरों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते। मेरे साथ भी कई बार ऐसा हुआ। सेठ-साहूकार खुद तो होटलों के आलीशान कमरों में ठहरते हैं, लेकिन ड्राइवरों के लिए मामूली से कमरे का भी इंतजाम नहीं करते, जहां वह सुकून से रात में नींद ले सके। कई बार गंदी जगह सुलाया गया, जो मुझे रास नहीं आया, इससे मेरे आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंची। बस, फिर क्या था 2012 मैंने आखिरी बार नौकरी की और इसके बाद तय कर लिया कि अब कभी नौकरी नहीं करूंगा। 
एक सवाल के जवाब पर तिवारी कहते हैं कि 1995 में शादी भी हुई, लेकिन लंबे समय तक नहीं चली। किसी बात को लेकर खटपट हुई और दो साल बाद ही 1997 में तलाक हो गया। पत्नी को अच्छा नहीं लगा, घर छोड़कर चली गई। घर में मां है, बहनें हैं और दो छोटे भाई भी हैं। छटवीं पास रमेश कहते हैं कि मैंने ट्रक पर हेल्परी की है, स्कूल बसें भी चलाई हैं। मुझे पता था कि मेरा ऐसा वक्त भी आएगा और मुझे गले में तख्ती लगानी पड़ेगी। 
 
जब उनसे पूछा कि कहीं ऐसा तो नहीं आप काम करना ही नहीं चाहते तो तिवारी ने कहा कि काम करने की इच्छा तो है, लेकिन मैं किसी के दबाव में काम नहीं कर सकता। वे कहते हैं कि उन्हें पैसे की दिक्कत तो नहीं है क्योंकि जमीन बेचकर उन्होंने बैंक एफडी करवा रखी है, जिसका ब्याज भी उन्हें मिलता है। 
 
तख्ती लगाने का कोई फायदा मिला? इस पर तिवारी ने कहा कि नहीं अभी तो काम नहीं मिला, लेकिन मुंबई और मेरठ से फोन जरूर आए, लेकिन मैंने तय कर रखा है कि अब नौकरी नहीं करूंगा। वे कहते हैं कि आज मुझे एक व्यक्ति ने काम के लिए बुलाया है। बातचीत खत्म होते ही तिवारी इस उम्मीद के साथ तख्ती लटकाए आगे बढ़ गए कि जल्द ही उनके मोबाइल की घंटी बजेगी....

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