Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

पतंगबाजी का मौसम है उड़ान पर

50 पैसे से 5 हजार रुपए तक की हैं पतंगें

हमें फॉलो करें पतंगबाजी का मौसम है उड़ान पर
ND
स्टार... मच्छीकाट, चाँदबाज, कानबाज, परियल, इकन्ना, दोअन्ना, तिवन्नो, चवन्नो, चील, पट्टिया, मुंडिया और भी न जाने क्या-क्या। कुछ के लिए ये नाम नए हैं तो कुछ के लिए यादें ताजा करने वाली बात। यह नाम हैं तरह-तरह की पतंगों के। आज भले ही कुछ लोग इन नामों से मुखातिब ना हो लेकिन सच तो यह है कि पतंग का बाजार पहले से भी ज्यादा प्रगति कर रहा है फिर चाहे वह आर्थिक पहलू हो चाहे तकनीकी पहलू।

भले ही पतंग का बाजार मकर संक्रांति के आस-पास तेज होता है पर एक सच तो यह है कि इन चंद दिनों के लिए पूरे वर्ष तैयारियाँ की जाती हैं। पतंग से जु़ड़ी बातों को हम आप तक पहुँचा रहे हैं। आइए देखें-

हर किसी की अपनी पसंद : बदलते जमाने के साथ पतंग के आकार, प्रकार और नामों में भी बदलाव आ गया है। पहले जहाँ ताव (कागज) की पतंग ही चलन में थी वहीं कुछ सालों से पॉलिथीन की पतंग चलन में शामिल हो गई है। इसके बाद चायना (पैराशूट के कपड़े की) की पतंग बाजार में आने लगी। कागज की पतंग उड़ाने वालों का मानना है कि ये पतंग उड़ने पर हलकी और आकाश में कहीं भी मोड़ने में सहज होती है। पॉलिथीन की बनी पतंग पसंद करने वाले इस पतंग के गीली होने पर भी खराब नहीं होने, चमक और आवाज की वजह से इसे पसंद करते हैं। बड़े मैदान और तेज हवाओं में पतंग उड़ाने वाले चायना की पतंगें पसंद करते हैं।

डोर भी नए जमाने की : पतंग के साथ ही उसका माँझा (डोर) भी जमाने के साथ बदल गई है। पहले काँच का चूरा और सरस के माध्यम से माँझा तैयार किया जाता था और माँझे के सहारे ही हार-जीत की बाजी लगती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। अब बरेली से आने वाला माँझा और मिनारा का माँझा यह कार्य कर रहा है। बात यहीं खत्म नहीं होती अब तो डोर भी चायना की आने लगी है। नायलोन की इस डोर को लोग पसंद करते हैं, जिसकी वजह है इसकी मजबूती।

webdunia
ND
सालभर तैयार होती हैं पतंग : इस संबंध में पतंग व्यापारी बताते हैं कि सामान्यतः मकर संक्रांति के आसपास ही पतंगें उड़ाई जाती हैं, लेकिन कई जगहों पर पतंग उड़ाने का मौसम साल में दो बार आता है। पहला मकर संक्रांति पर और दूसरा दशहरे के मौके पर। इन दो अवसरों पर पतंगबाजी के लिए साल भर पतंगें तैयार की जाती हैं।

वे बताते हैं कि आज भले ही कई तरह की पतंगें बाजार में उपलब्ध हैं, बावजूद इसके आज भी सबसे ज्यादा क्रेज कागज की बनी पतंग का ही है। इस बार हमने पैराशूट के कपड़े की 11 फुट लंबी पतंग भी बनाई है जो मुंबई में ताज होटल पर हुए आतंकी हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के दृष्टिकोण से तैयार की गई है।

तकनीक का मेल : वर्तमान में पतंग बनाने से लेकर उसे उड़ाने तक के कार्य में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। उचके पर माँझा लपेटने का काम इलेक्ट्रिक मशीनों से हो रहा है। पतंगों के निर्माण में भी आधुनिक तकनीक उपयोग में लाई जा रही हैं। बाकायदा कम्प्यूटर की सहायता से पतंगों का डिजाइन तैयार किया जाता है।

हजारों की पतंग भी उड़ती है : बाजार में 1 इंच से लेकर 11 फुट से बड़ी पतंगें भी उपलब्ध हैं। 50 पैसे से लेकर 5 हजार रुपए तक की पतंगों में से बाजारों में आसानी से उपलब्ध मिल जाती हैं। अहमदाबाद, आगरा, दिल्ली, कानपुर, जयपुर, बरेली से पतंगें आती हैं। वो पतंगें फिर व्यापारियों द्वारा जगह-जगह पहुँचाई जाती हैं। आसमान में उड़ने वाली इन पतंगों का मौसम सचमुच अब उड़ान पर है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi