Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मकर संक्रांति पर्व की मान्यता

हमें फॉलो करें मकर संक्रांति पर्व की मान्यता
ND
सूर्य उपासना का महापर्व मकर संक्रांति हिंदुओं का विशिष्ट त्योहार है। इस त्योहार को धूमधाम से मनाने के लिए महिलाओं ने अपने-अपने घरों में पर्व से संबंधित सभी तैयारियाँ पूरहैजिसके चलते न केवल घरों से गुड़ और तिल से बने स्वादिष्ट पकवानों की खुशबू आ रही है, बल्कि महिलाओं ने इस अवसर पर दान परंपरा को कायम रखने के लिए श्रद्धास्वरूप दान दी जाने वाली वस्तुओं का संग्रह भी कर लिया है। मकर संक्रांति का पर्वकाल 14 जनवरी को दोपहर 12.36 बजे से शुरू होगा। भारत वर्ष में मकर संक्रांति पर्व की विशेष मान्यता है।

ज्योतिर्विद डॉ. एच.सी. जैन ने इस बारे में बताया कि भारतीय ज्योतिष में 12 राशियाँ हैं। इनमें से एक राशि मकर है। वहीं मकर राशि में जिस समय सूर्य प्रवेश करता है तो उसे मकर संक्रांति कहा जाता है।

उन्होंने बताया कि जब सूर्य 14 जनवरी को मकर राशि में संक्रमण करेगा, तब सूर्य उत्तरायण होने लगता है। अर्थात इसी समय सूर्य उत्तर की ओर झुकता दिखाई पड़ेगा। इस दिन से आने वाले 6 माह देवताओं के कहलाएँगे। इसमें सबसे ज्यादा शुभ कार्य संपन्न होते हैं। यहाँ से दिन तिल-तिलकर बड़े व रात छोटी होने लगेगी। दिन बड़े होते-होते 14 घंटा 24 मिनट एवं रात 9 घंटा 36 मिनट की हो जाएगी।

webdunia
ND
पर्व की मान्यता : भारत के कुछ राज्यों में मकर संक्रांति की अपनी एक अलग मान्यता है। पंजाब में यह त्योहार लोहड़ी के रूप में विशेष मनाया जाता है। उत्तरप्रदेश के पूर्वी जिलों में इसे खिचड़ी त्योहार कहते हैं और इस दिन यहाँ के लोग खिचड़ी का ही सेवन करते हैं। महाराष्ट्र प्रांत में पहली बार ससुराल पहुँची नवविवाहिता तेल, कपास, नमक अपनी से बड़ी सौभाग्यवती स्त्रियों को देकर उनसे आशीर्वाद लेती हैं।

संक्रांति का पर्वकाल : 14 जनवरी को दोपहर 12.36 बजे से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने से दोपहर बाद से पूरे दिनभर पर्वकाल चलेगा। पं. हरिओम शर्मा के अनुसार मकर संक्रांति पर गरीबों को अपनी श्रद्धा के अनुसार वस्त्र, कंबल व अन्य वस्तुओं के दान का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुंभ व मीन राशि वाले जातकों को इस महापर्व का शुभ फल मिलेगा, वहीं वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक व मकर राशि वाले जातकों के लिए यह पर्व अशुभ रहेगा।

छः प्रकार से तिल का उपभोग शुभ : इस पर्व पर छः प्रकार से तिल का उपभोग करना शुभ होता है। जिसमें तिल मिले जल, तिल का उबटन, तिल का हवन, तिल का भोजन, तिल का दान, तिल मिले जल का पीना शुभ माना जाता है। साथ ही सुहागिनों को सुहाग वस्तुओं, नये बर्तन, पायल, बिछिया आदि का दान करना चाहिए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi