आधुनिक जीवन शैली के कारण बच्चों के लालन-पालन पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। आजकल माता और पिता दोनों ही कामकाजी हो गए हैं जिससे वे बच्चों के लिए पर्याप्त समय नहीं निकाल पाते। बच्चे स्कूल से आकर घर में बन्द हो जाते हैं, बोर होते हैं और फिर बच्चों के पास मनोरंजन का एक मात्र साधन बचता है टीवी।
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बच्चों को इन सब दुष्प्रभावों से बचाने के लिए सबसे पहली जरूरत है उन्हें पर्याप्त समय देने की। ये उम्र बच्चों की नींव तैयार करती है उन्हे आत्मबल देती है और समाज के प्रति उनका नजरिया बनाती है। ऐसे में अगर उन्हें ये सारी मानसिक परेशानियां घेर लेंगी तो उनका भविष्य तो बर्बाद होगा ही साथ ही आपकी योजनाओं को भी हानि पहुचेंगी और देश भी अपनी युवा शक्ति खो देगा। अपनी परवरिश पर ध्यान दें। आपके बच्चे ही आपका असली धन हैं।