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आलोक की 'आमीन' पुस्तक के चौथे संस्करण का लोकार्पण

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नई दिल्ली। हिंदुस्तानी शायरी के फलक पर हिंदी पट्टी से आने वाले आलोक श्रीवास्तव की बहुचर्चित पुस्तक 'आमीन' के चौथे संस्करण का लोकार्पण रविवार को विश्व पुस्तक मेले में वरिष्ठ आलोचक डॉ. नामवर सिंह और मशहूर शायर जावेद अख्तर ने किया। इसे राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।  
 
 
विश्व पुस्तक मेले के 'लेखक मंच' पर हुए इस विमोचन समारोह के अवसर पर डॉ. नामवर सिंह ने कहा कि ‘कहीं-कहीं आलोक चौंकाने वाले शब्द और भाषा लिख देते हैं। जैसे तुरपाई शब्द का प्रयोग उनसे पहले हिंदी ग़ज़ल में कहीं नहीं मिलता। रिश्तों की तुरपाई जैसी भाषा ही उन्हें अपने समकालीनों में सबसे अलग खड़ा कर देती है।'
 
जावेद अख्तर ने कहा कि ‘कविता का जो रास्ता सीधा, सच्चा, सहज और सरल होता है, वही सीधे दिल तक पहुंचता है। आलोक के पास वही ज़बान है इसीलिए उनकी शायरी, उनकी कविता सीधे दिल तक पहुंचती है। चंद सालों में एक नौजवान ग़ज़लकार की किताब का चौथा संस्करण आ जाना इसका सबूत है।’ कार्यक्रम का संचालन पत्रकार और लेखिका डॉ. वर्तिका नन्दा ने किया। इस मौक़े पर राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक माहेश्वरी भी मौजूद थे। 
 
उल्लेखनीय है कि आलोक ऐसे इकलौते युवा ग़ज़लकार हैं जिनकी ग़ज़लों, गीतों और नज़्मों को गजल सम्राट जगजीत सिंह, पंकज उधास, तलत अज़ीज़ और शुभा मुदगल से लेकर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन तक ने अपनी आवाज़ दी है।
 
'आमीन' में उन्होंने इंसानी रिश्तों और जज़्बात के कई पहलुओं को नए अल्फ़ाज़ दिए हैं। हिन्दी ग़ज़ल के अलावा उसने नज़्मों, गीतों और दोहों की शक्ल में भी अपना फ़न ज़ाहिर किया है। 
 
आलोक उस युवा रचनाकार का नाम है, जिसने अपनी दिलकश रचनाओं से हिन्दी-उर्दू के बीच न सिर्फ़ एक मज़बूत पुल बनाया है बल्कि इन दोनों ज़बानों के साहित्य में उसे ख़ास मक़ाम भी हासिल है।
 
मप्र की साहित्य अकादमी ने उन्हें दुष्यंत कुमार सम्मान से नवाज़ा है तो साहित्य के अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों के साथ रूस का अंतरराष्ट्रीय पुश्किन सम्मान और अमेरिका का अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मान भी इस नौजवान के खाते में दर्ज हो चुका है।
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आलोक की ग़ज़लें, नज़्में, दोहे और गीत अनुभूतियों का सतरंगा इंद्रधनुष रचते हैं। 'आमीन' उनका बहुचर्चित ग़ज़ल संग्रह है, जिसका अनुवाद गुजराती में हो चुका है और मराठी, पंजाबी व अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनुवादित हो रहा है।  
 
प्रस्तुत है 'आमीन पुस्तक से आलोक श्रीवास्तव की रचना - 

ले गया दिल में दबाकर राज़ कोई,
पानियों पर लिख गया आवाज़ कोई.
 
बांधकर मेरे परों में मुश्किलों को,
हौसलों को दे गया परवाज़ कोई.
 
नाम से जिसके मेरी पहचान होगी,
मुझमें उस जैसा भी हो अंदाज़ कोई.
 
जिसका तारा था वो आंखें सो गई हैं,
अब कहां करता है मुझपे नाज़ कोई.
 
रोज़ उसको ख़ुद के अंदर खोजना है,
रोज़ आना दिल से इक आवाज़ कोई.

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