Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

रेणु की धरती पर लगा ‘सिनेमा-हाट’

हमें फॉलो करें रेणु की धरती पर लगा ‘सिनेमा-हाट’
-सुशांत झा
दिल्ली, मुंबई, कोलकता या फिर गोवा में फिल्म महोत्सव के
आयोजन की खबरें तो आप आए दिन सुनते-पढ़ते होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि देश के सुदूर ग्रामीण इलाकों में भी फिल्म महोत्सव आयोजित किए जा सकते हैं। लेकिन, कुछ लोगों के प्रयासों से ऐसा संभव हुआ है। हाल ही में बिहार के ग्रामीण इलाकों में बच्चों के लिए एक अनोखा फिल्म महोत्सव आयोजित किया गया था, जिसका नाम रखा गया- सिनेमा-हाट। देश में संभवत: पहली बार इस तरह के ग्राम्य फिल्म महोत्सव आयोजित किए गए हैं।
 
बिहार के पटना, गया, वैशाली और पूर्णिया जिले में यूनिसेफ के सौजन्य से ग्राम्य फिल्म महोत्सव का आयोजन किया गया था। 17 नवंबर से शुरू हुए फिल्म महोत्सव का समापन 27 नवंबर को महान कथाशिल्पी और मैला आंचल, परती परिकथा, तीसरी कसम जैसी अनमोल कृति देने वाले फणीश्वर नाथ रेणु की धरती चनका में हुआ। इससे पहले पूर्णिया के ही दो अन्य जगहों पर धमदाहा और बीएमटी लॉ कॉलेज में भी इस महोत्सव का कुछ हिस्सा संम्पन्न हुआ था। चनका में फिल्म महोत्सव का समापन था जो बिहार के पूर्णिया जिला का एक अति पिछड़ा गांव है। यों रेणु का जन्म औराही-हिंगना में हुआ था जो चनका से तीसेक से किलोमीटर दूर है, लेकिन पूरा पूर्णिया अंचल ही रेणु को अपना मानता है तो उस हिसाब से चनका, रेणु की ही धरती है!  
 
पटना, गया, वैशाली और पूर्णिया के ग्रामीण अंचलों में बच्चों ने पहली बार बड़े पर्दे पर ज्ञानवर्धक फिल्में देखीं। बच्चों का उत्साह उन इलाकों में देखने वाला था, जहां अब तक बिजली नहीं पहुंची है। ऐसे बच्चों के लिए सबकुछ सपना था।
webdunia
इस फिल्म महोत्सव में जिसे सिनेमा हाट का नाम दिया गया था कई ज्ञानवर्धक फिल्में दिखाई गईं। साथ ही कई लघु-कार्टून भी दिखाए गए। यहां दिखाई गई फिल्मों में राजीव मोहन द्वारा निर्देशित बंडू बॉक्सर, अंशु दत्ता निर्देशित रेडियो कम्स टु कानपुर और यूनीसेफ द्वारा बनी फिल्म मीना का प्रदर्शन किया गया। 
 
बिजली और सड़क से दूर चनका गांव में फिल्म महोत्सव के समापन समारोह में बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यूनिसेफ के सौजन्य से आयोजित फिल्मोत्सव का समापन चनका जैसे सुदूर देहात में करने की वजह यह रही क्योंकि इस इलाके में बच्चों के बीच फिल्मों को लेकर कई काम हो रहे हैं।
 
चनका के बच्चे मोबाइल के वीडियो प्लेयर के माध्यम से शार्ट फिल्में बना रहे हैं। इन्हीं बच्चों को जब बड़े पर्दे पर फिल्में दिखाईं गईं तो वे खुशी से झूम उठे। चनका स्थित एक सरकारी विद्यालय के छात्र रमेश यादव ने कहा, “हम सभी ने कभी सोचा भी नहीं था कि गांव में खासकर बच्चों के लिए बड़े पर्दे पर फिल्म दिखाने की व्यवस्था की जाएगी। हमारे लिए तो यह किसी सपने का सच होने जैसा है।“
webdunia
गौरतलब है कि ग्राम्य फिल्म महोत्सव में बच्चों को भारत सरकार की चिल्ड्रन फिल्म सोसायटी (सीएफएसआई) द्वारा बनाई गई फिल्में दिखाई जाती हैं। इस अनोखे ग्राम्य फिल्म महोत्सव के बारे में यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ सुश्री निपुण गुप्ता ने कहा कि इस वर्ष को बाल अधिकार समझौता रजत जयंती वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इसके तहत बच्चों को कई अधिकार दिए गए हैं। बच्चों को उनके उम्र, परिवेश के अनुरूप स्वस्थ, सार्थक, मनोरंजक व शिक्षापूर्ण मनोरंजन का भी अधिकार प्राप्त है। 
 
बिहार के ग्रामीण इलाकों में बच्चों को फिल्मों के द्वारा जागरूक करने की मुहिम में लगे “गांव-सिनेमा” के गिरीन्द्र नाथ झा ने कहा कि राज्य के ग्रामीण इलाकों के लिए यह गौरव की बात है कि बाल अधिकार समझौते की रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में ग्रामीण बच्चों के लिए फिल्म महोत्सव का आयोजन किया गया। उन्होँने कहा कि फिल्में, बच्चों को जागरूक करने एवं बच्चों को उनके अधिकार को दिलवाने में भी एक सशक्त माध्यम की भूमिका निभा सकती हैं। 
 
गिरीन्द्र नाथ पेशे से पत्रकार हैं और आजकल अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती कर रहे हैं। उन्हीं की पहल से फणीश्वर नाथ रेणु की धरती पर यह फिल्म महोत्सव आयोजित किया गया। इन दिनों जहां वे किसानी में नए प्रयोग कर रहे हैं वहीं ग्रामीण बच्चों को डिजिटल मीडिया के माध्यम से जागरूक भी कर रहे हैं। 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi