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महँगे मोबाइल से मोह भंग

हमें फॉलो करें महँगे मोबाइल से मोह भंग
- प्रेरणा शर्मा

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टच स्क्रीन से लेकर थ्री मेगा पिक्सल जैसे हाईटेक और महँगे मोबाइल से शहर के युवाओं का मोह भंग होने लगा है। युवाओं को महँगे मोबाइल का ख्याल भी ज्यादा रखना पड़ता है। खराब होने पर दुरुस्त कराने में बहुत रकम खर्च हो जाती है। और फिर एक बार महँगा मोबाइल खो जाए तो उसका दुख भी बहुत होता है। उसके बाद फिर महँगा मोबाइल खरीदने का दिल ही नहीं करता।

हमेशा यही डर सताता है कि फिर से खो गया तो। लिहाजा सस्ते या सेकेंड हैंड मोबाइल का उपयोग करने में वे आजकल के युवा दिलचस्पी दिखाने लगे हैं ताकि मोबाइल खराब हो जाए या फिर खो भी जाए तो ज्यादा दुख नहीं होता।

कॉलेज छात्रों में आकर्षक और महँगे मोबाइल फोन खरीदने का क्रेज पहले हुआ करता था। छात्र अब समझदारी से काम ले रहे हैं। वह पुराने मोबाइल से ही काम चला रहे हैं। इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से स्नातक कर रहीं रुचिका को नए-नए मोबाइल फोन खरीदने का बेहद शौक था। बाजार में जब भी कोई नया हैंडसेट आता, वे झट से खरीद लेती थीं।

कुछ समय पहले जब रुचिका का टच स्क्रीन मोबाइल खराब हो गया। ठीक कराने के बावजूद मोबाइल में पुनः खराबी आ गई। रुचि ने अब महँगे मोबाइल से तौबा कर ली है। 10-20 हजार के मोबाइल के बजाए अब उसने तीन हजार का मोबाइल खरीद लिया है। उसी की देखा-देखी अब उसके दोस्त भी सस्ते मोबाइल को पसंद करने लगे हैं।

दिल्ली स्थित एक पॉलिटेक्निक से इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स कर रही सपना को फोटो खींचने का शौक है। नतीजन उसने थ्री मेगा पिक्सल फोन खरीदा। इस बीच अचानक मोबाइल का कैमरा खराब हो गया। कैमरा ठीक कराने की बजाए वह अपने पापा के पुराने मोबाइल फोन से काम चला रही है।

दुकानदार भी पसोपेश में
मोबाइल दुकानदार सुदेश के पास नए और पुराने दोनों तरह के मोबाइल मिलते हैं। सुदेश के मुताबिक युवा पहले महँगे मोबाइल सेट झट से खरीद लेते थे। अब या तो वे सस्ते मोबाइल खरीदते हैं या फिर सेकेंड हैंड क्योंकि सस्ते मोबाइल में तकनीक कम होती है जिससे खराब होने का झंझट नहीं रहता।

दूसरा किसी के पास दो कनेक्शन हैं तो उसका दूसरा मोबाइल तो जरूर ही सस्ता होता है ताकि खराब भी हो जाए तो दुख न हो।

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