खतरों से भरा और रोमांचकारी बर्फीला रेगिस्तान लद्दाख
, मंगलवार, 24 सितम्बर 2013 (11:07 IST)
बर्फीला रेगिस्तान लद्दाख उन सभी के लिए रोमांचकारी पर्यटनस्थल के रूप में उभरा है जो जीवन में रोमांच पाने के साथ ही पर्यटन का आनंद लेने की इच्छा रखते हैं। सरकारी आंकड़ों को देखा जाए तो इस रोमांच का आनंद पाने की चाह देश के पर्यटन प्रेमियों में इतनी नहीं है जिनती की विदेशियों में है।अभी तक छह सालों के भीतर 3 लाख से अधिक पर्यटकों ने बर्फीले रेगिस्तान की रोमांचकारी पर्वतमालाओं आदि का आनंद उठाया है। इनमें डेढ़ लाख विदेशी थे जिन्हें कश्मीर में फैले आतंकवाद के कारण नए पर्यटनस्थल की तलाश थी तो उन्होंने लद्दाख को अपना नया लक्ष्य बना डाला।असल में लद्दाख के पश्चिम में स्थित हिमालय पर्वतमालाओं की सुरम्य घाटियां और पर्वत ही विदेशियों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। लद्दाख के पूर्व में स्थित विश्व की सबसे बड़ी दो झीलें-पेंगांग व सो-मोरारी-भी इन विदेशियों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं जो कुछ वर्ष पूर्व तक प्रतिबंधित क्षेत्र में आती थीं लेकिन आज उनकी सैर करना लद्दाख के दौरे के दौरान एक अहम अंग बन जाती है।
क्या आम लोग कर सकते हैं लद्दाख की यात्रा, अगले पेज पर...
इस बर्फीले रेगिस्तान के एक नए पर्यटनस्थल के रूप में उभरने के बावजूद भी एक पर्यटनस्थल के लिए जिस ढांचे और व्यवस्थाओं की आवश्यकता होती है उसकी आज भी लद्दाख में कमी है। नियमित वे अतिरिक्त उड़ानों की कमी इसमें सबसे बड़ी है। जहां तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग भी है जिसकी यात्रा अत्याधिक रोमांचकारी तो है ही लेकिन कुछ समय तक उसका करीब 20 किमी का भाग सीधे पाक तोपों की मार में होने के कारण यह किसी मौत से कम नहीं माना जाता था।एक खास बात इस पर्यटनस्थल के दौरे की यह है कि इसका दौरा करना आम स्वदेशी के बस की बात नहीं है। एक तो सड़क मार्ग की यात्रा भी महंगी होने तथा होटलों व अन्य प्रकार के मदों पर होने वाला खर्चा भी बहुत अधिक होने के परिणामस्वरूप एक आम आदमी इसके दौरे पर नहीं आ सकता। पिछले छह सालों के भीतर आने वाले पर्यटकों के आंकड़ें इस बात की पुष्टि करते हैं कि इन छह सालों में मात्रा 40 हजार स्वदेशी ही लद्दाख के दौरे पर आए थे और वे भी सुविधा संपन्न परिवारों के थे।
विदेशियों के कारण लद्दाख की संस्कृति और सुरक्षा खतरे में....