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हिंसक पर्वत : के-2

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के-2 विश्व का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। यह चीन के तक्सकोर्गन ताजिक, झिंगजियांग और पाकिस्तान के गिलगित- बाल्टिस्तान की सीमाओं के बीच स्थित है। इसकी ऊँचाई है 8611 मीटर। इस पहाड़ का नाम 'के-2' 1852 में ब्रिटिश सर्वेक्षक टीजी मोंटगोमेर्य ने दिया। चूँकि यह काराकोरम पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है, इसलिए 'के' और दूसरे क्रम पर होने के कारण '2'। इसका स्थानीय नाम है 'छोगोरी'। बाल्टिक भाषा के इस शब्द का मतलब होता है विशाल पहाड़।

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के-2 को इसके विकट मौसम और कठिनाइयों के चलते 'सेवेज माउंटेन' भी कहा जाता है जिसका अर्थ होता है हिंसक पर्वत। तकनीकी चढ़ाई, कठोर मौसम और हिमस्खलन के भारी खतरे के साथ के-2 चढ़ाई के लिए 'एटथाउसेन्डर' के सबसे मुश्किल पहाड़ों में से एक है। पर्वतारोही इस दुखदायी पर्वत पर जून से अगस्त के बीच ही चढ़ाई के प्रयास करते हैं। यह एक ऐसा पर्वत है जिस पर सर्दी के मौसम में आज तक कोई भी चढ़ाई नहीं कर पाया है।

वर्ष 2009 तक 305 पर्वतारोही के-2 के शिखर पर पहुँचने के प्रयास कर चुके हैं जिनमें से 76 मारे गए। के-2 का 'डेडलिएस्ट ईयर' कहा जाने वाला वर्ष 1986 सबसे दुखद वर्ष था, जब इस पर 27 में से 13 पर्वतारोही मारे गए थे।

पहला प्रयास
1902 में ब्रिटिश पर्वतारोही एलीस्टर क्रॉले और ऑस्कर एकिनस्टीन समेत 6 पर्वतारोहियों का अभियान दल के-2 पर चढ़ाई का सर्वप्रथम प्रयास करने पहुँचा। इस दल ने पर्वत पर 68 दिन बिताए जिसमें से चढ़ाई के लिए अनुकूल केवल 8 दिन ही मिल पाए। इनमें शिखर पर पहुँचने के 5 प्रयास किए गए। लेकिन खराब मौसम और तमाम प्रतिकूलताओं के कारण दल के सभी प्रयास विफल रहे और अंततः उन्हें हार माननी पड़ी।

पहली सफलता
दो इतावली आरोही एचाईल कॉम्पेगनोनी और लिनो लासेडेली के-2 के शिखर तक पहुँचने वाले पहले इंसान हैं। उन्हें यह सफलता 19 जुलाई 1954 को मिली जिसे इटली में काफी गर्व के साथ मनाया गया। लेकिन जब आर्डिटो डेसिओ के नेतृत्व वाली यह टीम स्वदेश लौटी तब टीम के ही वॉल्टर बोनाटी ने दोनों पर इल्ज़ाम लगाते हुए विवाद खड़ा कर दिया। लेकिन बाद में ये इल्ज़ाम झूठे और गलतफ़हमीजन्य साबित हुए।

महिला पर्वतारोही
के-2 पर्वत के शिखर पर अब तक 11 महिला पर्वतारोही चढ़ाई कर चुकी हैं जिनमें से 4 की नीचे उतरते हुए मृत्यु हो गई। 16 अक्टूबर 1978 को पोलैंड की वेन्डा रुत्कीवित्स के-2 के शिखर तक सफलतापूर्वक चढ़ाई करने वाली पहली महिला बन गईं।

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के-2 पर चढ़ाई के साहसिक और दुर्भाग्यपूर्ण प्रयासों ने साहित्य में भी अपनी जगह बनाई है। के-2 के विषय में तमाम जानकारियाँ और बारीकियाँ इन किताबों में वर्णित हैं :-

1. के-2 : ट्राइअम्फ एंड ट्रेजेडी
जिम क्यूरेन

2. के-2 : द 1939 ट्रेजेडी
एड्रयू कॉफमैन और विलियम पुत्नाम

3. द लास्ट स्टेपः द अमेरिकन एसेंट ऑफ के-2
रिक रिजवे

4. द प्राइस ऑफ कान्क्वेस्ट
लिनो लासेडेली और जिओवैनी सिनेच

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