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प्रकृति का नजराना महाबलेश्वर

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-अमिता झ
मुंबई से 237 किमी तथा पुणे से 120 किमी दूरी पर सह्याद्री पर्वत श्रृँखला पर बसा खूबसूरत हिल स्टेशन महाबलेश्वर प्रकृति का नजराना है। समुद्र तल से 1372 मीटर ऊँचाई पर स्थित इस पर्यटन स्थल पर पुणे या मुंबई से सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है। यहाँ घूमने के लिए उपयुक्त समय अक्टूबर से मध्य जून है। इसके बाद भारी वर्षा के कारण ऑफ सीजन शुरू हो जाता है।

जून के दूसरे सप्ताह में जब हम महाबलेश्वर पहुँचे तो हल्की-हल्की वर्षा ने हमारा स्वागत किया। धुले-धुले से वातावरण में कोहरे से ढँकी पहाड़ियाँ मन को लुभा रही थीं। चारों ओर हरियाली ही हरियाली छाई थी। घने जंगल, झरने, बादलों से आच्छादित पर्वत श्रृँखला के बीच घूमती सर्पिली सड़कें बेहद खूबसूरत दिखाई देती हैं।

ऐसा लगता है मानो प्रकृति सज-धज कर बैठी हो। यूँ तो महाबलेश्वर तथा पंचगनी में कहीं भी खड़े हो जाएँ तो खूबसूरत नजारे दिखाई देते हैं, किंतु कुछ प्‍वॉइंट ऐसे हैं जिनकी सुंदरता अवर्णनीय है। शहर से 5 किमी दूरी पर एक अति प्राचीन शिव मंदिर है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार महाबल तथा अतिबल नामक दो राक्षसों का वध यहाँ शिवजी ने किया था। अतः शिवजी महाबलेश्वर कहलाए। महाबली शिवजी के इस नाम के कारण ही इस शहर का नाम महाबलेश्वर पड़ा। इस मंदिर में अत्यंत भव्य शिवलिंग है।

यहाँ अतिबलेश्वर मंदिर भी है। शिवाजी ने अपनी माता जीजाबाई का तुलादान यहीं किया था। यहाँ श्रीराम मंदिर तथा पंचगंगा मंदिर भी है। पंचगंगा मंदिर में एक गाय के मुख से पाँच नदियों- कृष्णा, कोयना, सावित्री, गायत्री तथा वेण्णा का जल वर्षभर निकलता रहता है।

आर्थर सीट महाबलेश्वर के सबसे सुंदर प्‍वॉइंट्स में से एक है। यहाँ से बाईं तरफ कोंकण में सावित्री नदी की गहरी घाटी दिखाई देती है तो दूसरी तरफ घने जंगल जिन्हें 'ब्रह्मारण्य' कहा जाता है। यदि मौसम साफ हो तो यहाँ से रायगढ़ व तोरणा के किले भी दिखाई देते हैं।
बगदाद प्‍वॉइंट, हंटर्स , धोबी वाटर फॉल, बार्बीगटन प्‍वॉइंट आदि सभी जगहों की अपनी-अपनी विशेषताएँ हैं।

महाबलेश्वर के पास प्रतापगढ़ किला है, जिसका ऐतिहासिक महत्व भी है। इसी किले में छत्रपति शिवाजी ने बीजापुर सरदार अफजल खान से मुलाकात कर उसे मौत के घाट उतारा था। इस किले के ऊपरी हिस्से से कोंकण घाटी बहुत सुंदर दिखाई देती है। यहाँ शिवाजी की एक शानदार प्रतिमा भी है। एक अन्य खूबसूरत स्पॉट वेण्णालेक है। यहाँ बोटिंग, फिशिंग, राइडिंग तथा गेम्स के स्टॉल्स हैं।

तपोला को मिनी कश्मीर कहा जाता है। यहाँ जाने के लिए एक दिन लगता है। यहाँ कोयना डैम के बैक वॉटर पर बनी झील बहुत सुंदर है। यहाँ पर्यटक नौका विहार का खूब आनंद लेते हैं। यहाँ पास ही वासोटा का किला है, जहाँ अत्यंत घने जंगलों के बीच सीधी चढ़ाई कर के पहुँचा जा सकता है। यह स्थान ट्रेकिंग करने वालों के आकर्षण का केंद्र है।

पंचगनी के पास टेबललैंड के नाम से मशहूर पठार है। 60 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाने वाला यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा पठार है। यहाँ से पंचगनी शहर बेहद खूबसूरत दिखाई देता है।

लॉडविक प्‍वॉइंट तक पहुँचने का मार्ग बहुत ही सुंदर है। घने जंगलों के बीच चलते हुए रोमांच होता है। यहाँ से प्रतापगढ़ का रोमांचक दृश्य दिखाई देता है। अम्बानेली के टेढ़े-मेढ़े रास्ते बहुत सुंदर दिखाई देते हैं। यहाँ से एक एलीफेंट हेड दिखाई देता है। इनके अलावा रॉबर्स केव्स, रोसमण्ड रॉक, पारसी प्‍वॉइंट, लिंगमाला वॉटर फॉल सभी बहुत सुंदर हैं।

महाबलेश्वर तथा पंचगनी स्ट्राबेरी, रास्पबेरी, मलबरी, चैरी आदि की खेती के लिए मशहूर हैं। यहाँ कई मशहूर कंपनियों की जैम फैक्टरियाँ हैं। यहाँ से पर्यटक जैम, जेली, फ्रूटक्रश, फज आदि खरीद कर ले जाते हैं। यहाँ की स्ट्राबेरी-क्रीम आइसक्रीम पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। महाबलेश्वर की चप्पलें भी यहाँ की विशेषता हैं। क्रोशिया से बने कुर्ते, स्कर्ट्‌स तथा पोंचू भी यहाँ बहुत सुंदर मिलते हैं। यहाँ की चना चिकी भी विशेष होती है।

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