* नागपंचमी : कैसे करें नागदेवता की पूजा * आज कैसे पाएं नागदेव का आशीर्वाद
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हर हिन्दू नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा-अर्चना करता है लेकिन इस पूजा में अंधविश्वास है कि नाग को दूध पिलाने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं। जबकि ऐसा नहीं है, नाग कभी भी दूध नहीं पीता बल्कि और भी कोई पेय नहीं पीता।
यदि भुलवश दूध गले के नीचे उतरा तो नाग की मौत हो जाती है। जैसे हमारे फेफड़ों में कुछ भी चला जाए तो मृत्यु का कारण बन जाता है। ऐसी पूजा किस काम कि जिससे फल मिलने के बजाए नाग देवता की मृत्यु का दोष लगकर हम शापित हो जाएं।
नाग देवता को कोयले से घर के द्वार पर चित्राकृति में बनाने का भी चलन है। यदि शुद्ध गाय के घी से नाग की चित्राकृति बना कर उसकी पूजा की जाए तो फल कई गुना बढ़ जाता है।
नागपंचमी पर दाल बाटी का प्रचलन क्यों?
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कई स्थानों पर नागपंचमी पर दाल बाटी का प्रचलन क्यों है यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से सामने आता है। माना गया है कि नाग का फन तवा के समान होता है।
नागपंचमी के दिन तवे को चूल्हे पर चढ़ाने से नाग के फन को आग पर रखने जैसा होता है, इससे दोष माना जाता है। इसलिए इस दिन कई स्थानों पर तवा नहीं रखा जाता।
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जिस जातक की पत्रिका में कालसर्प नाम का दूषित योग हो, उनको नागपंचमी पर त्र्यंबकेश्वर जाकर कालसर्प दोष की पूजा करवाना शुभ फलदायी रहता है।
पूजन में पुष्प, कुंकू, अक्षत आदि लेकर घी से बने नाग की पूजा कर दाल-बाटी, लड्डू-चूरमें का भोग लगाएं और मन से प्रार्थना करें कि- हे नाग देवता मेरे जन्म के समय जो अशुभ योग है उसको दूर कर शुभता प्रदान करें व मेरे कार्यों में आ रही बाधा दूर होकर मेरा कार्य सफल करें। इस प्रकार पूजा-अर्चना करने से अत्यंत लाभ होगा।