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चीनी वीजा का भारत ने विरोध किया

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नई दिल्ली (भाषा) , गुरुवार, 1 अक्टूबर 2009 (22:53 IST)
एक बार फिर भड़काने वाली कार्रवाई करते हुए चीनी दूतावास ने यहाँ कुछ कश्मीरी नागरिकों को उनके पासपोर्ट के बजाय एक अलग कागज पर वीजा जारी किया, जिस पर भारत सरकार ने तुरंत विरोध जताया है।

चीनी दूतावास ने हाल ही में पासपोर्ट पर वीजा की मुहर न लगाकर एक अलग कागज पर वीजा जारी किया, जो पासपोर्ट के साथ नत्थी कर दिया गया है जैसा कि वह अरुणाचल प्रदेश के लोगों के मामले में करता है। चीन अरुणाचल पर अपना दावा करता है।

कश्मीरी यात्रियों के संदर्भ में ऐसी कार्रवाई को जम्मू कश्मीर के भारत का हिस्सा होने के दर्जे पर चीन द्वारा सवाल उठाने की कोशिश माना जा रहा है। इस घटनाक्रम पर भारत ने कल चीन के समक्ष विरोध जताया था।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने बताया‘हमने इस संबंध में हमारी यथोचित चिंता से चीन सरकार को अवगत करा दिया है।’उन्होंने कहा‘यह हमारा सुविचारित नजरिया और स्थिति है कि अधिवास या मूल जाति के आधार पर भारतीय नागरिकों के वीजा आवेदनों के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।’

हालाँकि चीनी दूतावास ने कहा कि दस्तावेज वैध थे और समस्या भारतीय आव्रजन अधिकारियों की है।

चीनी दूतावास के एक अधिकारी ने कहा‘हमने जो जारी किया है वह सही और वैध दस्तावेज है। यह इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (दिल्ली) पर आपके आव्रजन अधिकारियों की समस्या है। अलग कागजों पर वीजा जारी करने की प्रक्रिया कई साल से जारी है।’

जब चीनी दूतावास के अधिकारी से पूछा गया कि इस तरह के कितने वीजा वे हर साल जारी करते हैं, तो उन्होंने संख्या 100 से कम बतायी। अधिकारी ने कहा कि एक कश्मीरी छात्र ने मीडिया से इस बाबत संपर्क किया, जिसके बाद मामले को बढ़ाया चढ़ाया जा रहा है।

इस घटनाक्रम पर रक्षा मंत्री ए.के.एंटनी ने कहा‘जम्मू कश्मीर हो या अरुणाचल प्रदेश, सभी भारत के अभिन्न हिस्से हैं। हमारे लिए भारत का प्रत्येक इंच भूभाग एक समान है। जब कोई मुद्दा उठता है तो हमारे पड़ोसियों के साथ बातचीत के माध्यम हैं और हम अपना नजरिया व्यक्त करने के लिए हमेशा उनका इस्तेमाल करते हैं।’

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि चीनी दूतावास ने करीब एक साल पहले से यह प्रक्रिया शुरू की है और हवाईअड्डे पर आव्रजन अधिकारियों द्वारा इस तरह का वीजा स्वीकार नहीं किए जाने के बाद कई कश्मीरी यात्रा नहीं कर सके।

ताजा घटनाक्रम करीब तीन सप्ताह पहले उस समय प्रकाश में आया जब प्रभावित लोगों ने निराश लौटने के बाद कश्मीर में मीडिया से बातचीत की।

एक छात्र बिलाल अहमद बेग ने कहा‘हमें स्टेपल किया गया वीजा दिया गया।' नयी दिल्ली स्थित चीनी दूतावास में मुख्य वीजा अधिकारी का हवाला देते हुए बेग ने कहा कि उन्होंने छात्रों से कहा था‘चीनी सरकार आपका स्वागत करती है। अन्यथा हमने आपको वीजा नहीं दिया होता। हम दो तरह के वीजा के पीछे के कारणों को नहीं बता सकते क्योंकि यह हमारे राष्ट्रीय हित के विरुद्ध है।'

एक अन्य छात्र शुजा अल्ताफ मीर ने कहा'मैंने 2004 में बिना किसी समस्या के चीन की यात्रा की थी लेकिन आव्रजन अधिकारी यह कहते हुए कुछ अज्ञात कारणों का जिक्र कर रहे हैं कि चीन कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र मानता है।’

घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए जम्मू कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज ने इसे चीन की ‘शरारत’ करार दिया और कहा कि कश्मीरी यात्रियों को इस तरह के दस्तावेज नहीं स्वीकार करने चाहिए। उन्होंने कहा कि वह तीन बार चीन यात्रा कर चुके हैं और हर मौके पर पासपोर्ट पर ही वीजा जारी किया गया था।

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