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चावला का सीईसी बनने का रास्ता साफ

राष्ट्रपति ने खारिज की गोपालस्वामी की सिफारिश

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नई दिल्ली (भाषा) , सोमवार, 2 मार्च 2009 (00:52 IST)
सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी की उस सिफारिश को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने नवीन चावला को चुनाव आयुक्त पद से हटाने का आग्रह किया था।

उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग द्वारा आम चुनावों की तिथियों की घोषणा जल्दी ही किए जाने की संभावना है। राष्ट्रपति भवन से जारी एक बयान के अनुसार राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने चावला के खिलाफ मुख्य चुनाव आयुक्त की रिपोर्ट को खारिज करने संबंधी सरकार की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है।

सरकार के इस फैसले से गोपालस्वामी के बाद सबसे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त चावला के मुख्य चुनाव आयुक्त बनने का रास्ता साफ हो गया है। गोपालस्वामी 20 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

भाजपा नाराज : चुनाव आयोग के मुख्यालय निर्वाचन सदन में जनवरी में उस समय विवादों में नया मोड़ आ गया ा, जब गोपालस्वामी ने विपक्षी दल भाजपा की एक याचिका पर चावला को हटाने की सिफारिश कर दी। भाजपा ने चावला पर पक्षपात का आरोप लगाया था। सरकार के कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए भाजपा ने आज कहा कि सरकार ने संवैधानिक मामले में राजनीतिक फैसला लिया।

सोमवार को संभव है तारीखों की घोषणा : घटनाक्रम आम चुनावों के ठीक पहले हुआ है और पूर्ण चुनाव आयोग की बैठक सोमवार को होने की संभावना है, जिसमें चुनावों की तारीख की घोषणा की जा सकती हैचावला 1969 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उन्हें मई 2005 में चुनाव आयुक्त पद पर नियुक्त किया गया था। वे 2010 तक चुनाव आयोग में रहेंगे।

राष्ट्रपति भवन प्रवक्ता अर्चना दत्त ने कहा कि राष्ट्रपति ने मुख्य चुनाव आयुक्त की रिपोर्ट सरकार की सिफारिशें, संवैधानिक प्रावधानों और उच्चतम न्यायालय के फैसले पर ध्यानपूर्वक विचार कर अपनी राय बनाई और सरकार की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया।

चावला की हिमायती रही है सरकार : गोपालस्वामी की सिफारिशों के कुछ ही दिनों के भीतर कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज ने कहा था कि विवाद से चावला का करियर प्रभावित नहीं होना चाहिए। चावला के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त होने का संकेत देते हुए भारद्वाज ने कहा था कि सरकार की नीति रही है कि वरिष्ठतम चुनाव आयुक्त ही मुख्य चुनाव आयुक्त होते हैं और हम उसी नीति पर कायम हैं।

उन्होंने कहा कि हम समय रहते मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कर देंगे, ताकि गोपालस्वामी की सेवानिवृत्ति से पहले ही उनके बाद पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति के बारे में सभी को जानकारी हो।

इस विवाद ने तीन सदस्यीय इस संगठन के बीच होने वाले मतभेदों को सामने ला दिया है। कई महत्वपूर्ण फैसलों के दौरान इन वरिष्ठ अधिकारियों के बीच मतभेद सामने आए हैं।

पिछले साल ही चावला ने कर्नाटक में मई में विधानसभा चुनाव करवाने के फैसले पर गंभीर आपत्ति जताई थी, लेकिन गोपालस्वामी ने इसे दरकिनार कर दिया था। चुनाव आयोग आम सहमति के सिद्धांत पर काम करता है और मतभेद होने की स्थिति में यह बहुमत के मत को अंतिम फैसला मानता है।

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