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इसके बिना अधूरी है अमरनाथ यात्रा...

-सुरेश एस डुग्गर

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कितने आश्चर्य की बात है कि हिन्दुओं का धार्मिक स्थल होने के बावजूद इसके आसपास कोई हिन्दू घर नहीं है और इस मंदिर की देखभाल आसपास रहने वाले मुस्लिम परिवार तथा सीमा सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं।
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पाकिस्तानी क्षेत्र से तीन ओर से घिरी सीमावर्ती पुंछ घाटी के उत्तरी भाग में पुंछ कस्बे से 23 किमी की दूरी पर स्थित बुड्ढा अमरनाथ का मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द की कथा भी सुनाता है, जो इस क्षेत्र में है।

वैसे यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने कश्मीर में स्थित अमरनाथ की गुफा में माता पार्वती को जो कथा सुनाई थी अमरता की उसकी शुरुआत बुड्ढा अमरनाथ के स्थान से ही हुई थी और अब यह मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शनों के बिना अमरनाथ की कथा ही नहीं बल्कि अमरनाथ यात्रा भी अधूरी है।

मंदिरों की नगरी जम्मू से 246 किमी की दूरी पर स्थित पुंछ घाटी के राजपुरा मंडी क्षेत्र जहां तक पहुंचने के लिए किसी प्रकार की पैदल यात्रा नहीं करनी पड़ती है और जिसके साथ ही कश्मीर का क्षेत्र तथा बहुत ही खूबसूरत लोरन घाटी लगती है, में स्थित बुड्ढा अमरनाथ का मंदिर चकमक पत्थर से बना हुआ है जबकि इस मंदिर में भगवान शिव एक लिंग के रूप में विद्यमान हैं, जो आप भी चकमक पत्थर से बना हुआ है।

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सभी अन्य शिव मंदिरों से यह पूरी तरह से भिन्न है। मंदिर की चारदीवारी पर लकड़ी के काम की नक्काशी की गई है, जो सदियों पुरानी बताई जाती है। कहा जाता है कि भगवान शिव द्वारा सुनाई जाने वाली अमरता की कथा की शुरुआत भी यहीं से हुई थी।

राजपुरा मंडी तक जाने के लिए चंडक से रास्ता जाता है, जो जम्मू से 235 किमी की दूरी पर है तथा जम्मू-पुंछ राजमार्ग पर पुंछ कस्बे से 11 किमी पहले ही चंडक आता है। बुड्ढा अमरनाथ के दर्शनार्थ आने वाले किसी धर्म, मजहब, जाति या रंग का भेदभाव नहीं करते हैं। इसकी पुष्टि इससे भी होती है कि मुस्लिम बहुल क्षेत्र में स्थित इस मंदिर की रखवाली मुस्लिम ही करते हैं।

जिस प्रकार कश्मीर में स्थित अमरनाथ गुफा में श्रावण पूर्णिमा के दिन जब रक्षाबंधन का त्योहार होता है प्रत्येक वर्ष मेला लगता है ठीक उसी प्रकार इस पवित्र स्थल पर भी उसी दिन उसी प्रकार का एक विशाल मेला लगता है। मंदिर के भीतर भगवान शिव-पार्वती की मनमोहक मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं।

बताया जाता है कि जिस चकमक पत्थर से शिवलिंग बना हुआ है उसकी ऊंचाई करीब साढ़े पांच फुट है, मगर उसका कुछ ही भाग ऊपर दिखाई देता है। यह भी कहा जाता है कि मेहमूद गजनवी ने अपने लूटपाट अभियान के दौरान इस मंदिर को आग लगा दी थी लेकिन यह लिंग उसी प्रकार बना रहा था और यह भी कथा प्रचलित है कि बुड्ढा अमरनाथ के दर्शनों के बिना कश्मीर के अमरनाथ के दर्शन अधूरे माने जाते हैं।

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