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ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार अनंतमूर्ति नहीं रहे

हमें फॉलो करें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार अनंतमूर्ति नहीं रहे
बेंगलुरु , सोमवार, 25 अगस्त 2014 (20:18 IST)
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बेंगलुरु। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित एवं कन्नड़ साहित्य के प्रख्यात साहित्यकार यूआर अनंतमूर्ति का आज यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। 82 साल के अनंतमूर्ति के परिवार में उनकी पत्नी एस्थर, एक बेटा और एक बेटी है।

अनंतमूर्ति का इलाज कर रहे डॉक्टर ने बताया कि देश के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में शुमार साहित्यकार ने आज शाम अपनी आखिरी सांसें ली। बुखार और संक्रमण के कारण उन्हें 10 दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था ।

मणिपाल अस्पताल के मेडिकल निदेशक एवं मेडिकल सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष एच सुदर्शन बल्लाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। हमने उनका इलाज करने की कोशिश की पर सफल नहीं रहे।’ लिहाजा, बहुत अफसोस के साथ बताना पड़ रहा है कि वह अब हमारे बीच नहीं हैं।’पिछले कुछ साल से किडनी संबंधी बीमारियों से जूझ रहे अनंतमूर्ति मधुमेह एवं हृदय रोग का इलाज भी करा रहे थे।

बल्लाल ने कहा, ‘कल रात से उनकी तबीयत बहुत बिगड़ गई। ब्लड प्रेशर बहुत कम हो गया । उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। लिहाजा, हमने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा था।’ अस्पताल सूत्रों ने बताया कि अनंतमूर्ति के आखिरी पलों में उनकी पत्नी और बच्चे उनके पास थे।

अपने साहित्यिक जीवन के कई सालों में उन्हें 1998 में पद्म भूषण से नवाजा गया। साल 1994 में उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार एवं 1984 में कर्नाटक के राज्योत्सव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

साल 2013 के मान बुकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामित किए जाने के बाद अनंतमूर्ति पश्चिमी देशों की नजर में आए। वह 1980 के दशक के अंतिम सालों के दौरान केरल की महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी के कुलपति भी रहे थे। 21 दिसंबर 1932 को जन्मे यूआर अनंतमूर्ति का पूरा नाम उडुपी राजगोपालाचार्य अनंतमूर्ति था। उन्होंने अपनी साहित्यिक रचनाओं के जरिए कई मान्यताओं पर सवाल उठाए।

साहित्यिक कार्यों की तरह ही अनंतमूर्ति के राजनीतिक विचार भी काफी प्रभावी माने जाते थे। हालांकि, इससे वह कभी-कभी विवाद में भी पड़ जाते थे।

समाजवादी विचारधारा में विश्वास रखने वाले अनतंमूर्ति ने एक बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा का भी चुनाव लड़ा था पर असफल रहे थे। खासकर भाजपा और संघ परिवार के खिलाफ अपने विचार व्यक्त करने को लेकर वह अकसर विवादों में घिर जाते थे।

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों का प्रचार अभियान जब चरम पर था तो अनंतमूर्ति ने एक विवादित बयान में कह दिया था कि यदि नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनते हैं तो वह देश छोड़कर चले जाएंगे। हालांकि, बाद में अनंतमूर्ति ने कहा था कि उन्होंने भावावेश में आकर ऐसा बयान दे दिया था।

उन्होंने कहा था, ‘वह थोड़ा ज्यादा कह दिया था क्योंकि मैं भारत के अलावा और कहीं नहीं जा सकता।’ मोदी के बारे में अनंतमूर्ति ने कहा था कि उनके सत्ता में आने से ‘हमारी सभ्यता में बदलाव’ आ सकता है। उन्होंने कहा था, ‘मेरा मानना है जब धौंस होगी तो हम धीरे-धीरे अपने लोकतांत्रिक अधिकार या नागरिक अधिकार खो सकते हैं । पर उससे भी ज्यादा यह है कि जब धौंस होगी तो हम कायर हो जाते हैं।’ (भाषा)

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