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फेसबुक ने 'गोपनीय अध्ययन' के लिए माफी मांगी

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सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक ने एक अध्ययन के लिए अपने लगभग 7 लाख यूजर्स के न्यूजफीड में गुप्त रूप से गड़बड़ी की। इस आशय की रिपोर्ट सामने आने के बाद फेसबुक पर अच्छा खासा विवाद खड़ा हो गया है। हालांकि फेसबुक के अनुसंधानकर्ताओं ने इसके लिए माफी मांग ली है, पर सवाल अभी भी अपनी जगह है कि आखिर फेसबुक ये गोपनीय अध्ययन क्यों करना चाहता है?

फेसबुक ने 'भावनात्मक संक्रमण' का अध्ययन करने के लिए अपने उपयोक्ताओं के न्यूजफीड में गड़बड़ी की थी। इसके जरिए वह यह जानना चाहती थी कि अलग-अलग तरह के न्यूजफीड का उपयोक्ताओं के रवैये (मूड) पर कैसे असर होता है।

फेसबुक अनुसंधानकर्ताओं की मंशा यही थी कि वे यूजर्स के नकारात्मक रवैये या फिर सकारात्मक रवैये को देखें। इसी के लिए यह प्रयोग किया था। यह सबसे बड़ा सवाल है कि फेसबुक अपने एकाउंट होल्डर की निजता में आखिर क्यों ताकझांक करना चाहता है? फेसबुक के इसी प्रयोग ने उसे फिर से विवादों में खड़ा कर दिया।

इस बारे में 'प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज ऑफ द यूएसए' में एक आलेख प्रकाशित हुआ है। इसके अनुसार यह अध्ययन फेसबुक, कोरनेल यूनिवर्सिटी तथा यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने 2012 में किया था, जिसकी दुनियाभर में काफी आलोचना हुई थी।

सोशल नेटवर्किंग साइटों पर फेसबुक के इस कदम की आलोचना हो रही है। ऐसा पता चला है कि अपने प्रयोग को लेकर अनुसंधानकर्ताओं ने इसके लिए माफी मांगी है।

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