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भक्तों की सांस से पिघल रहे हैं बाबा बर्फानी

-सुरेश एस डुग्गर

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अमरनाथ यात्रा में शामिल होकर हिमलिंग के दर्शनों की इच्छा रखने वाले भोले शंकर के भक्तों के लिए यह दुखभरी खबर हो सकती है कि उन्हें शायद ही हिमलिंग के दर्शन हो पाएं क्योंकि भक्तों की सांसों की गर्मी के कारण अमरनाथ यात्रा का प्रतीक हिमलिंग तेजी के साथ पिघल रहा है।

यात्रा के 13 दिनों के दौरान ही यह पिघल कर अब 4 फुट का रह गया है। इस बीच अभी तक कुल 1.57 लाख श्रद्धालु हिमलिंग के दर्शन कर चुके हैं। हिमलिंग के तेजी से पिघलने का कारण गुफा के भीतर और आसपास के वातावरण में तापमान का बढ़ना है।

श्राइन बोर्ड के अधिकारी भी कहते थे कि ग्लेश्यिरों के आसपास जब तापमान बढ़ता है तो बर्फ पिघलना आरंभ हो जाती है। और 13 दिनों में 1.57 लाख के करीब श्रद्धालुओं द्वारा गुफा के भीतर दर्शनों के लिए जाना हिमलिंग के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।

हालांकि इस बार हेलीकाप्टरों की उड़ानों को गुफा से करीब 6 किमी दूर रखा गया है पर पर्यावरणविद कहते थे कि पहाड़ों पर 6 किमी दूर भी हेलीकाप्टरों के पंखों की गड़गड़ाहट बर्फ पर प्रभाव डालती है। यही नहीं गुफा के बाहर लंगर, जनरेटर और धूनी भी तापमान को बढ़ाने में अपनी अहम भूमिका निभा रही है।

भक्तों की संख्या पर हालांकि श्राइन बोर्ड ने अंकुश लगाने की घोषणाएं तो बहुत की थीं लेकिन हजारों श्रद्धालुओं को गुफा की ओर बढ़ने की ओर इजाजत देकर उसने आप ही अपने इरादों के प्रति शंका पैदा कर दी। नतीजा सामने था। लाखों श्रद्धालुओं के सांसों की गर्मी हिमलिंग को तेजी के साथ पिघलने को मजबूर कर रही है। क्या शेष श्रद्धालुओं को हो पाएंगे अमरनाथ के दर्शन... आगे पढ़ें...

यूं तो पिछले कुछ सालों से श्राइन बोर्ड ने हिमलिंग तक भक्तों की पहुंच को रोकने की खातिर करीब 15 फुट ऊंची लोहे की ग्रिल लगा रखी है पर वह भी हिमलिंग को पिघलने से इसलिए नहीं रोक पा रही है क्योंकि यह ग्रिल सांसों की गर्मी को नहीं रोक पाती। इतना जरूर था कि श्राइन बोर्ड बर्फ का गर्मी के कारण पिघलना कुदरती खेल बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लेता था।

इस बीच इस साल 28 जून को अमरनाथ यात्रा शुरू होने के बाद अब तक 157,000 से अधिक तीर्थयात्रियों ने अमनाथ यात्रा की। अमरनाथ श्राइन बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि यात्रा नियमित ढंग से हो रही है। 28 जून से आज सुबह तक करीब 157,000 श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा के दर्शन किए।

उन्होंने कहा कि इस दौरान तीन श्रद्धालुओं की स्वाभाविक मौत हुई। पवित्र गुफा तक तीर्थयात्रियों के पहुंचने के रास्ते, उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं दिए जाने और बालटाल तथा नुनवान आधार शिविरों से पवित्र गुफा की ओर रोजाना जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है।

अधिकारी ने कहा कि इस बार जितने तीर्थयात्री इन दिनों प्रतिदिन यहां पहुंच रहे हैं, वह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में कम है। इसकी वजह उत्तराखंड में आई प्राकृतिक तबाही हो सकती है।

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