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भाजपा को नहीं दी सर्जरी की सलाह-भागवत

हमें फॉलो करें भाजपा को नहीं दी सर्जरी की सलाह-भागवत
नई दिल्ली (भाषा) , बुधवार, 28 अक्टूबर 2009 (19:02 IST)
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने भाजपा की समस्याओं के निदान के लिए ‘सर्जरी या कीमोथैरेपी’ करने की बात कहने से बुधवार को इनकार किया।

संघ प्रमुख ने यहाँ संसद भवन परिसर में आयोजित एक समारोह में कहा कि मैंने यह कभी नहीं कहा कि भाजपा को कीमोथैरेपी या सर्जरी की जरूरत है। भागवत ने कहा कि वे कोई प्रतिवाद नहीं करना चाहते क्योंकि बार-बार कोई बात कहने से वह हलकी हो जाती है, लेकिन जो कुछ भी सामने आया है वह मीडिया की बनाई हुई बात है।

उनके अनुसार जयपुर में मंगलवार को एक कार्यक्रम में मीडिया की ओर से उनसे सवाल किया गया था कि क्या भाजपा को कीमोथैरेपी, सर्जरी या मेडिसिन की जरूरत है? जिस पर उन्होंने केवल इतना कहा था कि कीमोथैरेपी की जरूरत है या मेडिसिन की, भाजपा खुद जाँच कर तय करे और खुद उपचार करे। हमारा (संघ का) यह काम नहीं है।

संघ के मुखपत्र पांचजन्य के पूर्व संपादक तरुण विजय की पुस्तक ‘इंडिया बैटल्स टू विन’ के विमोचन समारोह में भागवत ने हर बात पर चर्चा करने पर जोर देते हुए कहा कि वैचारिक अस्पृश्यता समाप्त होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि मतभिन्नता होने के बावजूद इस समारोह में हर विचारधारा के लोग शामिल हुए।

संघ प्रमुख ने कहा कि भारत निर्माण के बारे में सबके अलग-अलग विचार हो सकते हैं, लेकिन किसी को भी उसकी जड़ को छोड़कर भारत निर्माण की बात नहीं सोचनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें कड़ाई से आत्मावलोकन करना चाहिए कि हम अपनी जड़ों से कैसे जुड़े रहें। चीन के साथ संबंधों के बारे में उन्होंने कहा कि उसके साथ भारत के हितों का टकराव है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन हमें उससे लड़ना नहीं है पर इस बात की तो व्यवस्था की ही जानी चाहिए कि हमसे भी कोई लड़े नहीं।

इस अवसर पर इंडियन एक्सप्रेस के प्रधान संपादक शेखर गुप्ता ने कहा कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के बारे में लेफ्टिनेंट जनरल हेंडरसन ब्रूक्स की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि घावों को भुलाने की प्रवृत्ति से भविष्य नहीं सुधरेगा।

तरुण विजय ने कहा कि वाजपेयी ‘वैचारिक अस्पृश्यता’ में यकीन नहीं रखते थे। उन्होंने कई उदाहरणों के साथ बताया कि किसी भी कार्य में उनकी कोशिश होती थी कि उसमें विभिन्न विचार वाले लोग शामिल हों।

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