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भारत-जापान रिश्ते बहुत गहरे हैं-नरेन्द्र मोदी

-शोभना जैन

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी महत्वपूर्ण जापान यात्रा से पहले भारत जापान संबंधों को 'समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला' बताते हुए कहा है कि दोनों देशों के बीच संबंध बहुत गहरे रहे हैं और दोनों ही देश एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं अपनी जापान यात्रा को लेकर 'बेहद उत्साहित' हूं और इस यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंध निश्चित तौर पर और मजबूत होंगे, हम दो बड़े प्रजातांत्रिक देश हैं जो विश्व में शांति और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अपनी आगामी जापान यात्रा से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने एक बयान जारी करके कहा कि मेरी जापान यात्रा उपमहाद्वीप के बाहर मेरी पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। मैं जुलाई महीने की शुरुआत में जापान की यात्रा पर जाने वाला था किंतु संसद सत्र के कारण मैं यात्रा पर नहीं जा सका।

गौरतलब है कि मोदी की जापान यात्रा की तारीखों को आगे बढ़ाए जाने को लेकर तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन मोदी ने भारत-जापान संबंधों को 'खास' मानने का संकेत देते हुए अपनी जापान यात्रा के पूर्व घोषित कार्यक्रम को थोड़ा बदलते हुए निर्धारित यात्रा कार्यक्रम एक और दिन के लिए बढ़ा दिया है, जिसे विदेशी मामलों के जानकार भारत जापान संबंधों के नए आयाम के साथ साथ इसे भारत की 'पूर्व के साथ साझेदारी' का एक अहम चरण मान रहे हैं।

मोदी अब टोक्यो के साथ क्योटो की भी यात्रा करेंगे। पहले मोदी 31 अगस्त से अपनी यात्रा शुरू करने वाले थे, लेकिन अब उन्होंने इस यात्रा पड़ाव में क्योटो को जोड़ते हुए यह यात्रा पूर्व निर्धारित तारीख से एक दिन पहले यानी 30 अगस्त से शुरू करने का फैसला किया है। सनद रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 30 अगस्त से 3 सितंबर तक जापान यात्रा करने वाले हैं।

जानकारों के अनुसार इस दौरे मे जापान के साथ 'शांतिपूर्ण कार्यों के लिए परमाणु सहयोग करार' बातचीत का एक अतिमहत्वपूर्ण बिंदु होगा, भारत चाहता है कि जल्द ही यह करार हो जाए, दोनों देशों के बीच इस मामले में आपसी सकारात्मक समझ-बूझ के चलते ऐसी उम्मीद है कि इस बार यह बातचीत निर्णायक प्रगति की दिशा में बढ़ सकेगी, इसके अलावा दोनों देशों के बीच आधारभूत क्षेत्र व आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण समझौते होने की भी उम्मीद है।

प्रधान मंत्री ने कहा कि वे टोक्यो और क्योटो की यात्रा करेंगे और छात्रों, राजनेताओं और कंपनी प्रमुखों समेत जापानी समाज के हर वर्ग से बातचीत करेंगे। गौरतलब है कि मोदी 2012 में गुजरात के मुख्यमंत्री के नाते जापान की यात्रा कर चुके हैं, जिसे 'काफी सफल' माना गया था। उस दौरान उन्होंने शीर्ष जापानी मंत्रियों के साथ-साथ जापान के वर्तमान जापान प्रधानमंत्री शिन्जो आबे से भी मुलाकात की जो कि उस समय वहां विपक्ष के नेता थे।

गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी जापान यात्रा की स्मृतियों की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री, जापान की यात्रा से जुड़ी कई मर्मस्पर्शी यादें हैं। जापान के आतिथ्य और सहयोग के क्षेत्र की असीम संभावनाओं ने मेरी मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ी है। जापान के लोगों का नवाचार और सुस्पष्टता प्रशंसनीय है। हम दोनों देश एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

मैं विशेष रूप से प्रधानमंत्री शिन्जो आबे से मिलने के लिए उत्सुक हूं। मैं उनके नेतृत्व का बहुत सम्मान करता हूं और पिछली बैठकों से ही हमारे संबंध बहुत गहरे रहे हैं, जापान की भारत के साथ मित्रता समय की कसौटी पर खरी उतरी है। हम दो बड़े प्रजातांत्रिक देश हैं जो विश्व में शांति और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

सूत्रों के अनुसार जापान मोदी के मुख्यमंत्री कार्यकाल मे शुरू हुए ‘वाइब्रेंट गुजरात’ शिखर सम्मेलन से नजदीकी से जुड़े होने के साथ-साथ गुजरात का एक प्रमुख आर्थिक साझेदार भी है। दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (डीएमआईसी) में जापान की मदद ने भी जापान और गुजरात के बीच के संबंधों को मजबूत किया है।

जापान यात्रा के फौरन बाद चीन के राष्ट्रपति शी ज़िनपिंग भी सितंबर के के तीसरे सप्ताह में भारत आ रहे हैं। चीन और जापान के असहज संबंधों को देखते हुए जानकारों का कहना है कि भारत के इन देशों के साथ संबंधों के नए समीकरण पर सभी की नज़रें टिकी हुई हैं, यह देखना भी दि्लचस्प होगा कि क्योंकि चीन और जापान दोनों ही देश मोदी के पसंदीदा सपने 'बुलेट् ट्रेन प्रोजेक्ट' के साथ जुड़ना चाहते हैं। अन्ततः यह आने वाला वक्त ही बताएगा कि इसका भावी स्वरूप क्या होगा और दोनों में से किसके साथ जुड़ने की संभावना बन सकती है। (वीएनआई)

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