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भाषा का बंधन तोड़ती मीना कुमारी की कविताएं...

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नई दिल्ली , रविवार, 6 जुलाई 2014 (18:30 IST)
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नई दिल्ली। मीना कुमारी की फिल्मी छवि की तरह उनके प्रेम संबंध भी लोगों के बीच चर्चा का विषय रहे। लेकिन अब मीना कुमारी के प्रशंसकों को उन्हें जानने का एक और मौका मिलेगा।

उर्दू नहीं जानने वाले मीना कुमारी के प्रशंसक भी अब उनकी कविताओं से रूबरू हो सकेंगे। दरअसल, मीना कुमारी की कविताओं के कुछ चुनिंदा संग्रह को उर्दू से अंग्रेजी में अनूदित कर उसे किताब की शक्ल में प्रस्तुत किया गया है।

रोली बुक्स द्वारा प्रकाशित ‘मीरा कुमारी द पोएट : अ लाइफ बीयोंड सिनेमा’ नाम की इस किताब को अकादमिक लेखक नूरुल हसन ने अनुदित किया है। इस किताब में अभिनेत्री की उन कविताओं को शामिल किया गया है जिसमें उन्होंने प्रेम, अकेलापन, इच्छाएं, भ्रम, सपनों के झरोखे, खामोशी और भोलेपन की बात की है।

महान संगीतकार नौशाद अली के मुताबिक मीना कुमारी की कविताएं साफ तौर पर उनके चिंतन को दर्शाती हैं।

एक बार उन्होंने कहा था कि जीवनभर लोगों ने अपने मतलब के लिए उन्हें छला और वे इतनी निराश हो गई थीं कि उन्होंने शराब पीना शुरू कर दिया। मन में उमड़ती भावनाओं से लड़ते हुए वे कविताएं लिखने लगीं।

यदि कुमारी की कविताओं को बार-बार पढ़ें, उसे गहनता से देखें तो उनकी कविताएं उनके व्यक्तित्व की झलक देती हैं, जो बमुश्किल ही उनकी फिल्मों से झलक पाईं। इसमें कोई शक नहीं है कि वे कहीं ज्यादा संवेदनशील और आत्मजागृत महिला थीं।

हसन का कहना है कि बहुत कम ही लोग यह जानते थे कि कुमारी कविताएं लिख रही हैं। वे बताते हैं कि वर्ष 1972 में उनकी मृत्यु के बाद गुलजार साहब ने हिन्द पॉकेट बुक्स के माध्यम से उनकी कविताओं का संग्रह प्रकाशित करवाने की व्यवस्था की थी। (भाषा)

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