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मोदी सरकार की दस बड़ी सफलताएं...

हमें फॉलो करें मोदी सरकार की दस बड़ी सफलताएं...
, सोमवार, 1 सितम्बर 2014 (11:28 IST)
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पांच साल चलने वाली किसी भी सरकार की सफलता-असफलता का आकलन उसके महज 100 दिन के कामकाज के आधार पर नहीं किया जा सकता। चूंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के समय देशवासियों से न सिर्फ बड़े-बड़े वादे किए बल्कि उन्हें सपने भी दिखाए हैं। ऐसे में यह जानना तो जरूरी हो ही जाता है कि सरकार किस दिशा में अग्रसर है। बड़ी बात यह भी है कि केन्द्र की एनडीए की सरकार अपने 'छोटे से कार्यकाल' के लिए सात दिन तक जश्न भी मनाने जा रही है। आइए देखते हैं सरकार की कुछ ऐसी ही बातें, जिन्हें वह अपनी सफलता मान सकती है। असली फैसला तो जनता ही कर सकती है कि 'अच्छे दिन' आए हैं या नहीं...

प्रधानमंत्री जन-धन योजना : एनडीए सरकार ने 28 अगस्त से प्रधानमंत्री जन-धन योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत सरकार का लक्ष्य है कि देश के हर परिवार में एक बैंक खाता हो और सरकारी योजनाओं का फायदा सीधे बैंक खाते में पहुंचे। सरकार इस बात के लिए अपनी पीठ ठोंक सकती है कि योजना की शुरुआत के अगले दो दिन में ही दो करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खुल चुके थे। हालांकि यह अलग बात है कि इसके लिए लगाए गए शिविरों में कई ऐसे लोगों ने भी खाते खुलवा लिए, जिन्हें इसकी जरूरत भी नहीं थी। या फिर बीमा सुविधा का लाभ लेने के लिए भी लोगों ने खाते खुलवाए।

युवा नेतृत्व को अहमियत : मोदी सरकार में सबसे अहम बात जो देखने को मिली है वह है युवा नेतृत्व को आगे आने का मौका दिया है। इसके तहत उन्होंने स्मृति ईरानी, जितेन्द्रसिंह, किरण रिजिजू, प्रकाश जावडेकर आदि युवा नेताओं को को मंत्री बनाया, वहीं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे बुजुर्ग और वरिष्ठ नेताओं को सरकार में शामिल नहीं किया। इतना ही नहीं मोदी ने संगठन में इसी नीति को अपनाया। अमित शाह के नेतृत्व वाले पार्टी संगठन में आडवाणी, जोशी और अटलबिहारी वाजपेयी को संसदीय बोर्ड से बाहर कर उनके लिए अलग से मार्गदर्शक मंडल बना दिया। अर्थात अब इन बुजुर्ग नेताओं की भूमिका सत्ता और संगठन में नहीं के बराबर होगी।

अगले पेज पर देखें ....सरकार की जनहितैषी योजनाएं...


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जनहितैषी योजनाएं : सरकार ने कुछ ऐसी योजनाओं की भी घोषणा की, जिनका सीधा लाभ जनता को मिलेगा। सरकार सब्सिडी वाले सिलेंडरों के संबंध में अहम घोषणा की है। इसके तहत उपभोक्ता साल भर में 12 सिलेंडर कभी भी ले सकता है। इसके साथ ही ईपीएफओ अंशधारकों को सितंबर से 1000 रुपए पेंशन देने की घोषणा भी की गई। ईपीएफ कटौती के लिए मासिक वेतन की उच्चतम सीमा 6500 रपए से बढ़ाकर 15000 रुपए की गई। साथ ही अब बैंक खातेदारों को इंटरनेट के बिना भी मोबाइल बैंकिंग की सुविधा मिलेगी। वैष्णोदेवी जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए कटरा तक रेल चलाई। टैक्स छूट की सीमा ढाई लाख तक बढ़ाई। प्याज को आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल किया।

अर्थव्यवस्था : केन्द्र सरकार के लिए यह भी सुखद खबर है कि इन दिनों अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में उछाल देखने को मिल रहा है। खनन, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर उछलकर 5.7 प्रतिशत पर पहुंच गई। पिछले ढाई साल में यह सर्वाधिक है। इससे पहले जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 4.6 प्रतिशत और एक साल पहले अप्रैल-जून तिमाही में 4.7 प्रतिशत रही थी। केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) द्वारा जारी पहली तिमाही के वृद्धि आंकड़ों के अनुसार इस दौरान विनिर्माण क्षेत्र में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि रही जबकि पिछले वर्ष इस क्षेत्र में 1.2 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई थी।

विदेश नीति के मोर्चे पर कितनी सफल रही है सरकार... पढ़ें अगले पेज पर...


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विदेश नीति : विदेश नीति के मोर्चे पर भी मोदी सरकार ने शुरुआती दौर में कामयाबी ही दर्ज की है। शपथ समारोह में सार्क नेताओं को बुलाकर सकारात्मक संदेश दिया, वहीं नेपाल यात्रा में इस पड़ोसी देश को आर्थिक मदद देकर चीन पर दबाव बनाने की कोशिश की, जिसमें प्रधानमंत्री काफी हद तक सफल रहे। वे नेपालवासियों का दिल जीतने में भी सफल रहे हैं। इससे एक कदम आगे बढ़कर मोदी ने जापान यात्रा कर चीन को संदेश देने की कोशिश की है क्योंकि जापान को चीन विरोधी खेमे का माना जाता है। ब्रिक्स सम्मेलन में मोदी का जाना और ब्रिक्स बैंक बनाने की कोशिशें भी सरकार की बड़ी सफलता माना जा रहा है।

काला धन : विदेशों में जमा काला धन वापस लाने के सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को भी सराहना मिली है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गठित एसआईटी की रिपोर्ट पर संतोष जताया है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस दिशा में अब तक की गई कार्रवाई संतोषजनक है। हालांकि कोर्ट ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करने के लिए भी कहा था। हालांकि यह शुरुआती कदम है, लेकिन यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि सरकार विदेशों में जमा काला धन लाने में कितनी कामयाब होती है।

कैसा रहा संसद का कामकाज... पढ़ें अगले पेज पर...


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संसद में ज्यादा काम : सरकार इस बात के लिए भी अपनी तारीफ कर सकती है कि इस बार बजट सत्र में पिछली सरकार की तुलना में ज्यादा काम हुआ। एक जानकारी के मुताबिक लोकसभा में 167 घंटे काम हुआ। 2005 के बाद संसद या यह सेशन सबसे ज्यादा काम वाला बना। लोकसभा ने 103 फीसदी और राज्यसभा ने तय समय से ज्यादा 106 फीसदी काम किया। 2005 में संसद ने 110 फीसदी काम किया था। लोकसभा का 33 फीसदी वक्त बजट पर चर्चा में बीता। अलग-अलग बहसों में 154 सांसदों ने भाग लिया। उल्लेखनीय है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में ज्यादातर समय हंगामे की भेंट चढ़ जाता था।

निवेश के मोर्चे पर : निवेश के मामले में भी सरकार ने सार्थक प्रयास किए हैं। रेलवे इंफ्रा में 100 फीसदी और डिफेंस में 49 फीसदी एफडीआई को मंजूरी जैसे अहम फैसले भी सरकार ने लिए हैं। मोदी सरकार ने पर्यावरण मंजूरी को आसान बनाया है, वहीं नई सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपए के इंफ्रा प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। साथ ही डिजिटल इंडिया मिशन के तहत गांवों में ब्रॉडबैंड योजना की शुरुआत की है। हर स्कूल में लड़कियों के लिए टॉयलेट और गंगा की सफाई जैसी योजनाएं अमल में लाई हैं।

भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद पर सरकार की स्थिति... पढ़ें अगले पेज पर....



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अच्छी छवि : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार के मामले में देशवासियों को सकारात्मक संदेश दिया है। उन्होंने एक सभा में कहा था कि 'न मैं खाऊंगा और न ही खाने दूंगा'। उनकी यह बात लोगों में भ्रष्टाचार के खिलाफ उम्मीद जगाती है। इसके साथ खुद ज्यादा समय तक काम कर कर्मचारियों और अधिकारियों को भी ज्यादा काम करने के लिए प्रेरित किया। अधिकारियों से भी उन्होंने कहा कि यदि कोई समस्या हो तो वे (अधिकारी) सीधे प्रधानमंत्री से बात करें।

भाई-भतीजावाद से दूरी : अब तक सत्ताधीशों पर भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद के आरोप लगते रहे हैं। इससे बचने के लिए मोदी ने अपने सभी सांसदों को सख्त निर्देश दिए कि वे अपने किसी भी संबंधी को अपना निजी सचिव न बनाएं। इसके लिए उन्होंने यूपी की एक महिला सांसद को भी फटकार लगाई थी, जिसने अपने पिता को अपना निजी सचिव बना लिया था। हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगी कि मोदी ने देश को भाई भतीजावाद से मुक्त कर दिया है। यदि वे इस प्रवृत्ति पर कुछ हद तक भी अंकुश लगाते हैं तो यह उनकी सफलता ही कही जाएगी।

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