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वाजपेयी थे सितारा छवि के पहले शिकार

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बलरामपुर (भाषा) , शनिवार, 21 फ़रवरी 2009 (23:37 IST)
फिल्म स्टार से चुनाव प्रचार कराने का फार्मूला वर्तमान परिदृश्य में सभी राजनीतिक दलों को खूब लुभा रहा है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस फार्मूले के प्रयोग से हारने वाले अटल बिहारी वाजपेयी पहले उम्मीदवार थे।

लोकसभा चुनावों में फिल्मी सितारों के बढ़ते दखल के चलते कांग्रेस, सपा और भाजपा में चर्चित हस्तियों को चुनावी मैदान में उतारने की होड़ मची हुई है। फिल्मी सितारों से पार्टी का प्रचार कराने का सफलतम प्रयोग संभवतः पहली दफा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ 1962 में तृतीय लोकसभा चुनाव में बलरामपुर संसदीय सीट पर किया गया था, जिसमें वाजपेयी को हार का मुँह देखना पड़ा था।

उस वक्त लोकसभा चुनाव में जनसंघ उम्मीदवार और बलरामपुर के सांसद अटल बिहारी वाजपेयी को हराने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेस की उम्मीदवार सुभद्रा जोशी को चुनाव मैदान में उतारा और उनके पक्ष में अपने दौर के प्रसिद्ध फिल्म स्टार बलराज साहनी से चुनाव प्रचार कराया था।

बलराज साहनी के साथ चुनाव प्रचार में आए प्रसिद्ध शायर व पूर्व राज्यसभा सदस्य पद्मश्री बेकल उत्साही ने बताया कि बलरामपुर के परेड ग्राउंड में हुई जनसभा में उस समय के छोटे से कस्बे में लगभग 15 हजार की भीड़ बलराज साहनी को सुनने के लिए उमड़ पड़ी थी।

उत्साही बताते हैं साहनी ने यहाँ दो दिन रूककर सुभद्रा जोशी के लिए व्यापक प्रचार किया और इसका परिणाम यह रहा कि राजनीति से अनभिज्ञ एक महिला के हाथों अटलजी को मात खाना पड़ी।

बाद में सभी दल चुनावी महासंग्राम को जीतने एवं चुनाव प्रचार का साधन फिल्म स्टार को बनाने लगे। कांग्रेस ने जहाँ सुपर स्टार अमिताभ बच्चन को इलाहाबाद, राजेश खन्ना को दिल्ली तथा सुनील दत्त को मुंबई का सांसद बनाया, वहीं भाजपा से शत्रुघ्न सिन्हा, विनोद खन्ना, धर्मेंद्र और हेमामालिनी जैसी बड़ी फिल्मी हस्तियाँ सांसद हैं।

सपा के सदस्य के रूप में राजबब्बर और जयाप्रदा ने संसद की चौखट पर दस्तक दी। राजनीति के मैदान में फिल्मी सितारों के शामिल होने की बलरामपुर से चली हवा ने अब तूफान का रूप ले लिया है।

देश के लिए होने जा रहे आगामी चुनाव में कांग्रेस जहाँ राजबब्बर और गोविंदा आदि को चुनाव मैदान में उतारकर दिल्ली की सल्तनत पुनः हासिल करना चाहती है, वहीं भाजपा धर्मेन्द्र, विनोद खन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा के सहारे कांग्रेस से दिल्ली छीनना चाहती है और सपा जयाप्रदा संजय दत्त और मनोज तिवारी का जादू चलाकर केन्द्र की सत्ता में पहुँचने का ख्वाब संजोए है।

तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा अटल को पराजित करने के लिए बलरामपुर में किया गया प्रयोग आज राजनीतिक दलों के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है। फिल्मी सितारों को राजनीतिक समर में उतारकर संसद तक पहुँचाने से जनता का कितना फायदा हुआ यह कहना मुमकिन नहीं है, लेकिन इससे राजनीतिक दलों को जबरदस्त लाभ अवश्य हुआ है।

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