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सरकार पर बरसे सहयोगी और विपक्ष

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नई दिल्ली , बुधवार, 23 मई 2012 (23:56 IST)
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पेट्रोल मूल्यवृद्धि पर बुधवार को संप्रग के महत्वपूर्ण घटक दलों तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक तथा विपक्षी दलों ने सरकार की तीखी आलोचना करते हुए इसे अनुचित करार दिया एवं इसे फौरन वापस लेने की मांग की।

पेट्रोल के दाम साढ़े सात रुपए प्रति लीटर बढ़ाए जाने की घोषणा के फौरन बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हम पेट्रोल मूल्य वृद्धि स्वीकार नहीं कर सकते। यह एकपक्षीय और अनुचित है। यह हमारी जानकारी के बिना हुआ। इस निर्णय के समय पर सवाल उठाते हुए ममता ने कहा कि संसद सत्र कल ही समाप्त हुआ है, लेकिन इसे (मूल्यवृद्धि) आज ही घोषित क्यों किया गया।

इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए द्रमुक प्रमुख एम. करुणानिधि ने चेन्नई में कहा कि मूल्यवृद्धि फौरन वापस ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि द्रमुक सांसद पार्टी के विचारों से सरकार को अवगत कराएंगे। संप्रग को बाहर से समर्थन दे रहे सपा ने इस निर्णय के लिए सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उसके सत्ता में तीन साल पूरा होने के अवसर पर यह आम आदमी को दिया गया एक तोहफा है।

सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि हम पेट्रोल मूल्यवृद्धि को फौरन वापस लेने की मांग करते हैं। यह निर्णय जन विरोधी है। पेट्रोल मूल्यवृद्धि को अनुचित करार देते हुए भाजपा ने चेतावनी दी कि यदि इसे वापस नहीं लिया गया तो राजनीतिक आंदोलन चलाया जाएगा।

भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हम पेट्रोल मूल्यवृद्धि की भर्त्सना करते हैं और इसे वापस लेने की मांग करते हैं। हम ऐसा नहीं होने देंगे। एक मजबूत लोकतांत्रिक आंदोलन हो सकता है।

पेट्रोल मूल्यवृद्धि का कड़ा विरोध करते हुए वाम दलों ने अपनी इकाइयों से देश भर में फौरन विरोध शुरू करने को कहा है। माकपा महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि यह लोगों पर क्रूर प्रहार है, जो पहले से ही भीषण मूल्यवृद्धि का सामना कर रहे हैं। वाम दलों ने अपनी सभी पार्टी इकाइयों से मजबूत विरोध कार्रवाई को फौरन अंजाम देने को कहा है। करात के वरिष्ठ सहयोगी सीताराम येचुरी ने कहा कि यह कदम लोगों के जीवन यापन पर एक अतिरिक्त आपराधिक बोझ है।

माकपा, भाकपा, आरएसपी और फारवर्ड ब्लॉक के नेताओं की यहां बैठक हुई। भाकपा नेता डी. राजा ने कहा कि यह डीजल और अन्य पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य बढ़ाए जाने का पूर्व कदम है।

कांग्रेस ने इस मामले में अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हुए कहा कि पेट्रोल कीमतों से नियंत्रण हटने के बाद पेट्रोल कंपनियां दाम तय करने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह एक बेहद मुश्किल फैसला था।

अन्नाद्रमुक प्रमुख और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने भी इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए मूल्यवृद्धि फौरन वापस लेने की मांग की। उन्होंने आगाह किया कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो लोगों की नाराजगी ‘जन विरोधी संप्रग सरकार’ को शीघ्र ही ले डूबेगी।

पंजाब के मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाशसिंह बादल ने भी इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए मूल्यवृद्धि फौरन वापस लेने की मांग की। उन्होंने एक बयान में कहा कि इस निर्णय से सभी आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे और आम आदमी की कमर टूट जाएगी। (भाषा)

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