Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सीमावर्ती क्षेत्रों में दहशत का माहौल

-सुरेश एस डुग्गर

हमें फॉलो करें सीमावर्ती क्षेत्रों में दहशत का माहौल
श्रीनगर। भारत-पाक के बीच बिगड़ते संबंधों तथा जल्द ही सेना की सीमा पर पुनः वापसी होने की चर्चाओं और खबरों के बीच सीमा पर रहने वाले लोगों को लगने लगा है कि उन्हें एक बार फिर घरों से बेघर तो होना ही पड़ेगा साथ ही युद्ध सी परिस्थिति के दौर से गुजरना पड़ेगा। नतीजतन सीमावर्ती क्षेत्रों में दहशत का आलम है।
FILE


हालांकि इस माहौल को और दहशतजदा करने में पाकिस्‍तान सेना अपनी मुख्य भूमिका निभा रही है जो संबंधों को खराब करने के इरादों से सीमा पर जबरदस्त गोलीबारी कर सीजफायर को तार-तार कर रही है।

इन खबरों ने भी परेशानी पैदा कर दी है कि भारत सरकार पाकिस्तानी खतरे से निपटने के लिए एक बार फिर अपनी सेना को सीमाओं पर तैनात कर सकती है। नतीजतन सीमांत क्षेत्रों में 11 साल पहले वापस लौटने वाले नागरिकों ने बोरिया-बिस्तर बांधने की तैयारी भी आरंभ कर दी है।

इन लोगों को आशंका है कि सीमा पर बढ़ते तनाव के कारण उन्हें एक बार फिर घरों से बेघर होना पड़ सकता है। यही नहीं इस बार वे कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते और तनाव की बू मिलते ही अपने घरों का त्याग कर देना चाहते हैं। इसे अप्रत्यक्ष रूप से माना जा रहा है कि नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सेना की बढ़ती गोलीबारी के कारण पैदा हुए तनाव से निपटने की खातिर उसके द्वारा उचित प्रबंध किए जा रहे हैं।

पहले भी वर्ष 2001 में संसद पर हुए हमले और फिर वर्ष 2002 में 14 मई को कालू चक सैनिक कॉलोनी में हुए नरसंहार के उपरांत सीमाओं पर युद्ध की तैयारी के कारण सीमावासियों को घरों से बेघर ही नहीं होना पड़ा था बल्कि उन्हें युद्ध की परिस्थिति के दौर से गुजरना भी पड़ा था।

तब इन गांववासियों के लिए असल मायने में युद्ध हो ही गया था क्योंकि दोनों देशों की सेनाओं के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी भयानक झड़पें हुई थीं और दोनों पक्षों द्वारा इस सीमा पर भारी तोपखानों का इस्तेमाल भी जमकर किया गया था। हालांकि अब भी ऐसा हो रहा है लेकिन मिनी युद्ध के क्षेत्र अभी फिलहाल नियंत्रण रेखा के क्षेत्र ही बने हुए हैं।

ताजा परिस्थितियों के कारण राज्य प्रशासन भी परेशानी में है। उसकी परेशानी पलायन होने पर विस्थापितों को सहायता पहुंचाने तथा छत मुहैया करवाने की है। सात साल पहले भी लाखों लोगों द्वारा एक साथ पलायन करने के परिणामस्वरूप उसके द्वारा की गई व्यवस्थाएं जब चरमरा गईं थीं तो उसे आलोचना का सामना करना पड़ा था।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi