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मिसाइलमैन डॉ. एपीजे कलाम का निधन

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शिलांग , सोमवार, 27 जुलाई 2015 (20:37 IST)
शिलांग। ‘मिसाइल मैन’ और ‘जनता के राष्ट्रपति’ के रूप में लोकप्रिय हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का आज शाम यहां आईआईएम में एक व्याख्यान देने के दौरान गिरने के बाद निधन हो गया।  शाम 7.45 पर उनके निधन की पुष्टि बेथनी अस्पताल के एमडी डॉ. जॉन ने कर दी। डॉ. कलाम का पार्थिव शरीर मंगलवार को दिल्ली लाया जाएगा जबकि अंतिम संस्कार रामेश्वरम में होगा, इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे। 

डॉ. कलाम को शाम करीब साढ़े 6 बजे व्याख्यान के दौरान गिरने के बाद नाजुक हालत में बेथनी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया और उसके दो घंटे से अधिक समय बाद उनके निधन की पुष्टि की गई। डॉ. कलाम अक्टूबर में 84 साल के होने वाले थे।
 
देश के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति माने जाने वाले कलाम ने 18 जुलाई 2002 को देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला लेकिन राष्ट्रपति पद पर दूसरे कार्यकाल के लिए उनके नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन सकी। वे राजनीतिक गलियारों से बाहर के राष्ट्रपति थे।
 
कलाम को अस्पताल में भर्ती कराए जाने की खबर मिलने के तुरंत बाद अस्पताल पहुंचे मेघालय के राज्यपाल वी षणमुगम ने बताया कि कलाम ने शाम 7 बजकर 45 मिनट पर अंतिम सांस ली। चिकित्सकों की अथाह कोशिशों के बावजूद उन्हें नहीं बचाया जा सका।
 
मुख्य सचिव पीबीओ वारजिरी ने अस्पताल के बाहर संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने कलाम के पार्थिव शरीर को कल गुवाहाटी से नई दिल्ली ले जाने का इंतजाम करने के लिए केंद्रीय गृह सचिव एलसी गोयल से जरूरी प्रबंधन करने के वास्ते बातचीत की है।
 
खासी हिल्स के पुलिस अधीक्षक एम खारकरांग ने इससे पूर्व बताया था, ‘पूर्व राष्ट्रपति को नाजुक हालत में बेथनी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।’ 
 
उन्होंने बताया था कि पूर्व राष्ट्रपति शाम करीब साढ़े छह बजे भारतीय प्रबंधन संस्थान में एक व्याख्यान के दौरान गिर पड़े और उन्हें तुरंत मेघालय की राजधानी में नानग्रिम हिल्स में एक अस्पताल में ले जाया गया जहां उन्हें सघन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती किया गया।  
 
सैन्य अस्पताल और नार्थ इस्टर्न इंदिरा गांधी रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंसेज  (एनईआईजीआरआईएचएमएस) के डॉक्टरों ने बेथनी अस्पताल पहुंच कर उन्हें बचाने की भरसक कोशिश की लेकिन वे नाकाम रहे। 
 
केंद्रीय गृह सचिव एल सी गोयल ने बताया कि केंद्र द्वारा सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाएगी। संसद के दोनों सदनों में कल कलाम को श्रद्धांजलि देने के बाद उनके सम्मान में कार्यवाही को स्थगित किए जाने की संभावना है।
 
एवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम बेहद साधारण पृष्ठभूमि से ऊपर उठकर, अटल बिहारी वाजपेयी की राजग सरकार के कार्यकाल में अद्‍भुत रूप से राष्ट्रपति पद तक पहुंचे। वाम दलों को छोड़कर सभी दलों में राष्ट्रपति पद पर उनकी उम्मीदवारी को लेकर सर्वसम्मति बनी और बड़े शानदार तरीके से वे राष्ट्रपति चुन लिए गए।
 
माना जाता है कि भारत के मिसाइल कार्यक्रम के पीछे मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनोटिक्स इंजीनियरिंग करने वाले कलाम की ही सोच थी और वाजपेयी के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार पूर्व राष्ट्रपति ने 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण में निर्णायक भूमिका निभाई।
 
बतौर राष्ट्रपति कलाम ने छात्रों से संवाद के हर मौके का इस्तेमाल किया और खासतौर से स्कूली बच्चों को उन्होंने बड़े सपने देखने को कहा, ताकि वे जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल कर सकें।
 
पूर्व राष्ट्रपति ने विवाह नहीं किया था। वह वीणा बजाते थे और कर्नाटक संगीत में उनकी खास रुचि थी। वे जीवनपर्यंत शाकाहारी रहे।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह तथा विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक जताया है। 
 
राष्ट्रपति ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि देश ने एक महान सपूत खो दिया जो अपने जीवनकाल में जनता का राष्ट्रपति था और मृत्यु के बाद भी रहेगा। 
 
प्रधानमंत्री ने उन्हें मार्गदर्शक बताया जबकि गृहमंत्री ने उन्हें एक पूरी पीढ़ी के लिए प्रेरणा बताया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कलाम युवाओं और छात्रों के बेहद प्रिय थे।
 
आजाद ने कहा कि कलाम हमेशा बच्चों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच बेहद खुश रहते थे। यहां तक कि उन्होंने एक शैक्षणिक संस्थान में ही अंतिम सांस ली।
 
पूर्व वित्तमंत्री पी चिदम्बरम ने कहा कि हालिया इतिहास में कुछ ही लोगों को युवाओं , बुजुर्गों, गरीब, अमीर, शिक्षित और अशिक्षित और विभिन्न धर्मों में आस्था रखने वाली तथा अलग-अलग भाषाएं बोलने वालों का प्यार मिला है। (भाषा/वेबदुनिया)
 
 

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