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खाद्यान्न की कमी नहीं, तेल और दालें आयात करने की जरूरत

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नई दिल्ली , रविवार, 22 मार्च 2015 (12:16 IST)
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि देश में गेहूं और चीनी जैसे खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार है लेकिन वह खाद्य तेल और दालों की घरेलू पैदावार और मांग के बीच के अंतर को पूरा करने के लिए इसके आयात पर निर्भर है।
 
कृषि मंत्रालय ने देश में किसानों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को लेकर दायर जनहित याचिका के जवाब में दायर हलफनामे में यह जानकारी दी। हलफनामे में कहा गया है कि भारत अधिकांश कृषि फसलों के मामले में आत्मनिर्भर ही नहीं है बल्कि उसके पास गेहूं और चावल आदि का पर्याप्त भंडार है और वह दूसरे देशों को इसका निर्यात करने की स्थिति में है।
 
हलफनामे के अनुसार हम अभी खाद्य तेल और दालों के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हैं, लेकिन घरेलू आवश्यकता और इनके आयात के बीच का अंतर कम करने के लिए सरकार ने कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।
 
हलफनामे में कहा गया है कि परिष्कृत खाद्य पदार्थों सहित हर तरह की खाद्य वस्तुओं का देश में पर्याप्त भंडार है और हम इसे दूसरे देशों को निर्यात करने की स्थिति में हैं। केंद्र ने इस आरोप को हास्यास्पद करार दिया है कि भारत में कृषि अभी भी मानसून पर निर्भर है। केंद्र के अनुसार देश में करीब 48 फीसदी भूमि का इस्तेमाल खाद्यान्न उत्पादन के लिए होता है।
 
हलफनामे में कहा गया है कि दुनिया के समूचे भौगोलिक क्षेत्र में भारत का हिस्सा सिर्फ 2.4 प्रतिशत है जबकि जल संसाधनों का हिस्सा 4 प्रतिशत है, परंतु उसके पास दुनिया की 17 फीसदी मानवीय आबादी और 15 प्रतिशत मवेशियों का सहारा है।
 
हलफनामे के अनुसार 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में स्टैंडिंग कोर समूह ने कृषि के मामले में कार्य समूह का गठन किया था। इस समूह ने अनेक सिफारिशें कीं जिन पर विभिन्न चरणों में अमल हो रहा है।
 
हलफनामे में आगे कहा गया है कि कार्य समूह ने अपनी रिपोर्ट में व्यापक सिफारिशें की थीं। इसमें उत्पादन बढाने, सर्दी में चावल की पैदावार का विस्तार करने, बिजली की उपलब्धता, जल नियंत्रण, खेती की प्रणाली में सुधार, उर्वरक का इस्तेमाल, निजी क्षेत्र का निवेश, विपणन, बीमा और इससे संबंधित दूसरे विषय शामिल हैं।
 
हलफनामे के अनुसार सरकार ने प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय किसान आयोग की सिफारिशों पर विचार किया है और 2007 में राष्ट्रीय किसान नीति को अंतिम रूप दिया था।
 
हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारें राष्ट्रीय किसान नीति के प्रावधानों के अनुरूप अनेक योजनाओं और कार्यक्रमों पर अमल कर रहे हैं। सरकार ने पंजाब स्थित गैरसरकारी संगठन यूथ कमल ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष जीएस हैप्पी मान की जनहित याचिका के जवाब में यह हलफनामा दाखिल किया है।
 
इस याचिका में देश में किसानों की आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि अनेक परेशानियों से जूझ रहे किसान आत्महत्या के लिए बाध्य हो रहे हैं। याचिका के अनुसार किसानों को बुआई के हर मौसम में बीज खरीदने पड़ते हैं जिसकी वजह से उनकी निर्धनता बढ़ रही है और वे कर्ज में डूब रहे हैं। (भाषा)

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