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जानिए क्या हुआ सपा की बैठक में

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लखनऊ , सोमवार, 24 अक्टूबर 2016 (18:46 IST)
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में सत्तारूढ़ ‘समाजवादी परिवार’ में चरम पर पहुंच चुकी वर्चस्व की जंग पर विराम लगाने के लिये सपा मुखिया मुलायमसिंह यादव द्वारा सोमवार को बुलाई गई बैठक आरोपों, तल्ख नसीहतों और अप्रत्याशित झड़प के बीच बेनतीजा समाप्त हो गई। इसके साथ ही पार्टी में जारी गतिरोध न सिर्फ और बढ़ गया बल्कि ‘चाचा-भतीजे’के बीच तल्खी की खाई और गहरी हो गई।
सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव तथा उनके समर्थक तीन अन्य मंत्रियों की कल बर्खास्तगी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हिमायती वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव के निष्कासन के परिणामस्वरूप अखिलेश और शिवपाल गुटों के बीच तल्खी के चरम पर पहुंचने के बीच सपा मुखिया मुलायमसिंह यादव ने विधायकों, मंत्रियों, विधान परिषद सदस्यों तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई।
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बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा ने पहली बार पार्टी काडर के सामने आपसी कलह के पीछे अपने-अपने हिस्से का ‘दर्द’ खुलकर बयान किया। मुलायम ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद अपने भाई शिवपाल और सखा अमरसिंह का बचाव किया और अखिलेश को डांट भरे लहजे में नसीहतों के साथ विवाद को समाप्त करने की कोशिश के तहत अखिलेश और शिवपाल को गले मिलवाया, मगर बैठक का अंत दोनों गुटों के बीच तीखी झड़प और छीनाझपटी के साथ हुआ, नतीजतन बात बनने के बजाय और ज्यादा बिगड़ गई।
 
बैठक का सबसे बदनुमा पहलू तब सामने आया जब सपा मुखिया का संबोधन खत्म होने के बाद अखिलेश ने कुछ समय पहले एक अंग्रेजी दैनिक में छपी खबर में खुद को ‘औरंगजेब’ बताए जाने पर स्पष्टीकरण के लिये विधान परिषद सदस्य आशु मलिक को बुलाया। इस दौरान जब अखिलेश कुछ कहने लगे, तभी उनसे माइक छीन लिया गया और शिवपाल यह कहते हुए सुने गए कि मुख्यमंत्री झूठ बोल रहे हैं।
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इससे पूर्व, अखिलेश ने बैठक में अपना संबोधन शुरू करते हुए बेहद भावुक लहजे में कहा कि नेताजी (मुलायम) ने उन्हें जिम्मेदारी थी, जिसे निभाने की उन्होंने पूरी कोशिश की है। मुलायम चाहें तो वे पद छोड़ने को तैयार हैं। नेताजी जिसे ईमानदार समझते हों, उसे मुख्यमंत्री बना दें। उन्होंने रंधे हुए गले से कहा कि कुछ लोगों ने कहा कि मैं अलग पार्टी बना रहा हूं। मैं अलग पार्टी क्यों बनाऊंगा। 
 
शिवपाल ने बैठक में मुख्यमंत्री पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मैं कसम खाकर कहता हूं। अखिलेशजी ने खुद मुझसे कहा था कि मैं अलग दल बनाऊंगा और किसी भी दल से मिलकर चुनाव लड़ लूंगा। मैं गंगाजल उठाकर कसम खाता हूं। शिवपाल ने मुलायम सिंह से नेतृत्व सम्भालने की अपील करते हुए कहा कि नेताजी, उत्तरप्रदेश का नेतृत्व आपको सम्भालने की जरूरत है। 
 
उन्होंने कहा कि मुलायम उन्हें पूरी छूट दें, ताकि वे पार्टी के विरोधियों को बाहर निकाल सकें। सपा के प्रदेश अध्यक्ष ने परिवार में जारी खींचतान के लिए जिम्मेदार बताए जा रहे सपा के राष्ट्रीय महासचिव अमरसिंह का खुला समर्थन करते हुए कहा कि वर्ष 2003 में उन्होंने प्रदेश में सपा की सरकार बनवाई थी और इसमें अमरसिंह ने सहयोग दिया था।
 
अमर सिंह के विरोधियों खासकर सपा से निष्कासित किए गए पूर्व वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव की तरफ इशारा करते हुए शिवपाल ने कहा कि अमरसिंह के चरणों की धूल भी नहीं हो तुम लोग। सपा मुखिया ने दोनों को सुनने के बाद बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि मैं अमर सिंह और शिवपाल के खिलाफ कुछ भी बर्दाश्त नहीं कर सकता। अमर सिंह मेरा भाई है। उसने मुझे जेल जाने से बचाया और तुम (अखिलेश) अमरसिंह को गाली देते हो।’’ 
 
सपा मुखिया ने अखिलेश पर बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या है तुम्हारी हैसियत, मैं जानता हूं। क्या तुम अकेले चुनाव जीत सकते हो। हालांकि यह बैठक बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई, लेकिन मुलायम ने एक स्पष्ट संदेश जरूर दिया कि अगर किसी को सपा में रहना है, तो उसे सपा का बनकर रहना होगा। पार्टी में वही होगा, जो मैं कहूंगा। 
 
उन्होंने अखिलेश को अति उत्साही युवा नेताओं से घिरा बताने की कोशिश करते हुए कहा कि नारेबाजी और चापलूसी से तुम कुछ नहीं बन पाओगे। हम इनको (अखिलेश) समझाते हैं, लेकिन इनके दिमाग में दूसरी बात है। सपा मुखिया ने कहा कि केवल लाल टोपी (पार्टी की टोपी) पहन लेने से कोई समाजवादी नहीं हो जाता। तुम्हारी आलोचना करने वाला ही तुम्हारा असली मित्र है। जो आलोचना सुनकर सुधार नहीं करता, वह कभी बड़ा नेता नहीं बन सकता।
 
शिवपाल को अपने राजनीतिक सफर के दौरान संघर्ष का साथी बताते हुए मुलायम ने कहा कि शिवपाल ने हर मुश्किल हालात में उनका पूरा साथ दिया है। यह कहते हुए कि कुछ मंत्री केवल चापलूसी करते है, मुलायम ने कहा कि मैं शिवपाल के काम को भूल नहीं सकता।
 
वे जनाधार वाले नेता हैं। उन्होंने कहा कि हम कठिन दौर का सामना कर रहे हैं .. हमें अपनी कमजोरियां दूर करनी चाहिए और एक दूसरे के खिलाफ लड़ना-झगड़ना नहीं चाहिए। हालांकि मुलायम की नसीहतों का दोनों पक्षों पर कोई खास असर नहीं दिखा और उनकी मौजूदगी में ही दोनों गुटों के समर्थकों के बीच तल्खी बढ़ गई, नतीजतन बैठक बिना किसी ठोस नतीजे के अचानक समाप्त हो गई। पदाधिकारी के अनुसार अखिलेश ने जब मंच से सफाई देने की कोशिश की तो उनसे माइक की छीनाझपटी हो गई। इससे अखिलेश समर्थक नौजवान नाराज हो गए। बाद में, दोनों गुटों के समर्थक एक-दूसरे से भिड़ गए और जमकर मारपीट हुई। पुलिस को स्थिति संभालने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
 
इस बीच, मलिक ने बैठक में हुई घटना पर सफाई देते हुए कहा कि उन पर अमर सिंह के इशारे पर मुख्यमंत्री के खिलाफ खबर छपवाने का आरोप लग रहा है लेकिन सचाई यह है कि उनकी सिंह से ना तो कोई मुलाकात हुई और ना ही कोई बात हुई। मलिक ने कहा कि उन्होंने खबर छपने के बाद मुख्यमंत्री के पक्ष में सम्बन्धित अखबार को नोटिस भेजा था, और उसने माफीनामा भी छापा था। 
 
मुख्यमंत्री आज की बैठक में उनसे उसी के बारे में बोलवाना चाहते थे। इस बीच, कुछ भ्रम पैदा हो गया और कार्यकर्ता उग्र हो गए। मलिक ने आरोप लगाया कि बैठक के बाद जब वे अकेले थे, तब राज्यमंत्री पवन पांडेय ने उनके साथ मारपीट की। वे इस मामले में पांडेय के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज बैठक में हंगामे के दौरान उनकी जान बचाई है, और उसके बाद जो भी हुआ उसमें मुख्यमंत्री का कोई दोष नहीं है। (भाषा)

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