नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि निवेशकों को भारत में अपनी कमाई पर कर अवश्य चुकाना चाहिए तथा अब घरेलू अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत हो चुकी है कि उसे विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए किसी कर प्रोत्साहन वाले मार्ग पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।
वित्तमंत्री का मानना है कि मॉरीशस के साथ दोहरे काराधान से बचाव की दशकों पुरानी संधि में संशोधन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के प्रवाह में कमी नहीं आएगी, न ही ऐसी कोई गंभीर आशंका है कि इसकी वजह से निवेशक अन्य कर पनाहगाहों की ओर स्थानांतरित होंगे।
जेटली ने कहा कि इससे देश के ही धन को घुमा-फिराकर देश में लाने यानी राउंड ट्रिपिंग पर भी लगाम लगाने में मदद मिलेगी और साथ ही घरेलू खपत को प्रोत्साहन मिलेगा।
मॉरीशस के साथ कर संधि के लिए करीब 1 दशक से प्रयास कर रहे भारत को अब अगले साल अप्रैल से मॉरीशस के शेयरों में निवेश पर पूंजीगत लाभ कर लगाने का अधिकार मिलेगा। यह दोनों देशों के बीच करीब 34 साल पुरानी कर संधि में संशोधन की वजह से संभव हो पाया है।
भारत द्वारा कर संधियों को लेकर सख्त रुख अपनाने से निवेशकों के लिए अब कर पनाहगाहों का इस्तेमाल कठिन होगा। इस पर बाजार ने सतर्क प्रतिक्रिया दी है।
जेटली ने कहा कि अंतत: बाजारों को भारतीय अर्थव्यवस्था की अंतरनिहित शक्ति के आधार पर परिचालन करना होगा। (भाषा)