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आसाराम को जमानत पर रिहा करने से इनकार

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नई दिल्ली , मंगलवार, 23 सितम्बर 2014 (23:52 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने जोधपुर बलात्कार मामले में जेल में बंद स्वयंभू प्रवचनकर्ता आसाराम बापू को स्वास्थ्य के आधार पर जमानत पर रिहा करने से आज इनकार कर दिया। न्यायालय ने यह पाया कि उनका स्वास्थ्य स्थिर है।
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जोधपुर मेडिकल कॉलेज द्वारा तैयार आसाराम बापू के स्वास्थ्य की रिपोर्ट के अवलोकन के बाद कहा कि इसकी कोई तात्कालिक जरूरत नहीं लगती है और पिछले 15 महीने से उनका इलाज चल रहा है।
 
न्यायालय ने कहा कि उन्हें उनकी बीमारी का उचित अस्पताल में इलाज कराने की अनुमति दी जा सकती है। न्यायालय ने कहा कि इस मामले में महत्वपूर्ण गवाहों से पूछताछ के बाद ही उन्हें जेल से बाहर आने की इजाजत दी जा सकती है।
 
न्यायालय ने राजस्थान से कहा कि 14 अक्टूबर को इस मामले में महत्वपूर्ण गवाहों के नाम बताए जाएं। न्यायालय ने आसाराम के वकील के इस तर्क पर भी आपत्ति की कि उन्हें निचली अदालत में पहले पीड़ित की आयु के बारे में बहस की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि वह नाबालिग नहीं है जैसा कि अभियोजन का दावा है।
 
न्यायाधीशों ने कहा, ‘यह कोई मुद्दा नहीं है कि वह नाबालिग है या नहीं। आप किसी न किसी तरह सुनवाई में बाधा डालना चाहते हैं।’ शीर्ष अदालत ने 19 अगस्त को 76 वर्षीय आसाराम के स्वास्थ्य का परीक्षण करने के लिए चिकित्सकों का बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था।
 
न्यायालय ने गुजरात के सूरत में आसाराम के खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले में तीन जुलाई को उनकी जमानत की अर्जी पर विचार से इनकार कर दिया था लेकिन न्यायालय जोधपुर मामले में उनकी जमानत की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया था। 
 
जोधपुर मामले में आसाराम पर अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की का कथित रूप से यौन शोषण करने के मामले में अदालत उनके खिलाफ बलात्कार, आपराधिक साजिश और दूसरे अपराधों के आरोप में अभियोग निर्धारित कर चुकी है।
 
जिला एवं सत्र अदालत ने किशोर न्याय कानून से संबंधित धारा 26 के अलावा पुलिस द्वारा लगाई गई सभी धाराओं के तहत आसाराम और उनके सहायकों तथा सह आरोपी संचिता गुप्ता उर्फ शिल्पी और शरदचंद्र पर आरोप बरकरार रखे थे।
 
इन सभी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), धारा 354-ए (यौन उत्पीड़न), धारा 370 (4) (देहव्यापार), धारा 376 (2 एफ) (12 साल से कम आयु की युवती से बलात्कार) और धारा 120 (बी) (आपराधिक साजिश) के आरोप में अभियोग निर्धारित किए गए हैं। (भाषा)
 

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