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भगवंत मान संसद से निलंबित, जांच कमेटी गठित

हमें फॉलो करें भगवंत मान संसद से निलंबित, जांच कमेटी गठित
नई दिल्ली , सोमवार, 25 जुलाई 2016 (11:29 IST)
संसद परिसर की वीडियो बनाने के आरोपों में घिरे आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान को लेकर लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने 9 सदस्यीय जांच समिति गठित करने का फैसला किया है और फैसला आने तक उन्हें सदन से निलंबित भी कर दिया है। जांच कमेटी 3 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट देगी।
आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही अध्यक्ष ने भाजपा सदस्य किरीट सोमैया की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति का गठन किए जाने की घोषणा की। अध्यक्ष ने संसद भवन परिसर की सुरक्षा व्यवस्था की वीडियोग्राफी करने और वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड करने को एक गंभीर मामला बताया। उन्होंने कहा कि इस विषय पर सदन के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से विचार विमर्श किया गया और सभी ने उनकी इस बात से सहमति जतायी कि इस मामले में कार्रवाई की जानी चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि इस समिति को इस मामले के साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उचित उपचारात्मक उपाय सुझाने को कहा गया है। अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले में आप सदस्य भगवंत मान को भी 26 जुलाई को सुबह साढ़े दस बजे तक जांच समिति के समक्ष अपना पक्ष रखने को कहा जाता है। उन्होंने कहा कि समिति से उम्मीद की जाती है कि वह मामले की त्वरित जांच करे और तीन अगस्त तक अपनी रिपोर्ट दे। इस रिपोर्ट को विचार के लिए सदन के समक्ष रखा जाएगा। महाजन ने निर्देश दिया कि भगवंत मान इस मामले में कोई फैसला होने तक सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लें। समिति के अन्य सदस्यों में आनंदराव अडसूल, भृतुहरि मेहताब, रत्ना डे, थोटा नरसिम्हन, के सी वेणुगोपाल और पी वेणुगोपाल भी शामिल हैं।

संसद भवन में मान के जाने और टिप्पणी वाले वीडियो से संसद के दोनों सदनों में हंगामा होने पर पंजाब से सांसद मान ने कहा कि उन्होंने अपने फेसबुक वाल से यह वीडियो हटा दिया था। संसद भवन का वीडियो बनाए जाने के विवाद को लेकर भगवंत मान जहां गुरुवार शाम को अपनी बात पर अड़े हुए थे और कह रहे थे कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। वहीं आज उन्होंने कहा कि मैं केवल मुद्दा उठाने की प्रक्रिया आम लोगों को बता रहा था।
 
एक न्यूज चैनल से बात करते हुए भगवंत मान ने कहा था कि मेरे क्षेत्र के लोग मुझे कहते हैं कि आप हमारा मुद्दा नहीं उठाते तो मैं उनको बताता था कि संसद में मुद्दा लकी ड्रॉ से तय होता। जैसे कल 160 सांसदों से अपने सवाल शून्य काल के लिए जमा कराये तो केवल 20 सांसद ही अपने सवाल उठा पाएंगे, लेकिन लोग मानते नहीं थे और कहते थे कि संसद में कैसा लकी ड्रॉ?" मान ने कहा कि उनका मकसद संसद की सिक्योरिटी दिखाना या उसको खतरे में डालना नहीं था। वहीं मान का बचाव करते हुए आप ने कहा था कि वीडियो सुरक्षा उल्लंघन नहीं है और उसने भाजपा पर गुजरात में दलितों पर हमले के मुद्दे से ध्यान बंटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
 
भगवंत मान की हरकत संसद की सुरक्षा के लिए वाकई खतरनाक है। गृह मंत्रालय इस बात का संज्ञान ले चुका है और मंत्रालय का कहना है कि अब  संसद की सुरक्षा का पूरा ताना-बाना बदलना होगा। दरअसल 13 दिसंबर 2001 को संसद के गेट नम्बर एक से सफ़ेद ऐम्बैसडर कार जिसने संसद का स्टिकर लगा हुआ था, वो दाख़िल हुई थी लेकिन अंदर पहुंचने के बाद संसद के भीतर कैसे घुसना है इस बारे में आतंकवादियों को कोई जानकारी नहीं थी इसीलिए वो अंदर दाख़िल नहीं हो पाए। लेकिन मान के वीडीयो के बाद ये जानकारी आम हो गई है। यही नहीं, बिल्डिंग के अंदर का ले आउट क्या है ये बात भी कुछ हद तक लोगों को पता चल गई है। इसी बात को लेकर सांसदों में चिंता है।

यदि जांच के बाद कर्रवाई हुई तो : संसद परिसर की वीडियो बनाने के गंभीर आरोपों में घिरे आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान की अगर जांच के बाद लोकसभा सदस्यता खत्म करने का फैसला लोकसभा स्पीकर द्वारा किया जाता है तो उस स्थिति में संगरूर संसदीय सीट का उपचुनाव भी पंजाब विधानसभा चुनावों के साथ करवाया जा सकता है। 
 
पहले ही फतेहगढ़ साहिब तथा पटियाला संसदीय सीटों का प्रतिनिधित्व करने वाले 'आप' के असंतुष्ट सांसदों द्वारा भी पंजाब विधानसभा चुनावों के निकट अपने सांसद पदों से इस्तीफा देने की चर्चा सियासी हलकों में चल रही है। फतेहगढ़ साहिब सीट का प्रतिनिधित्व हरिन्द्र सिंह खालसा करते हैं तो पटियाला संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व डा. धर्मवीर गांधी करते हैं। ऐसे में 3 लोकसभा सीटों पर उप चुनाव विधानसभा चुनाव के साथ हो सकता है।
 
अब सवाल यह खड़ा होता है कि लोकसभा स्पीकर भगवंत मान के बारे में अंतिम फैसला क्या लेती हैं। अगर उनकी सदस्यता खत्म नहीं की जाती है तो उस स्थिति में संगरूर लोकसभा सीट से उपचुनाव का खतरा टल जाएगा। अगर सदस्यता खत्म होती है तो उपचुनाव होना अवश्यम्भावी हो जाएगा। सियासी हलकों में यह भी कहा जा रहा है कि अब चूंकि पंजाब विधानसभा के आम चुनावों में मात्र 5-6 महीने का समय शेष रह गया है इसलिए चुनाव आयोग द्वारा जल्दबाजी में उपचुनाव नहीं करवाए जाएंगे। अब जो भी सीट खाली होगी उसका उपचुनाव पंजाब विधानसभा के आम चुनावों के साथ ही होगा। 

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