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भाजपा ने दिए शिवसेना को साथ लेने के संकेत

हमें फॉलो करें भाजपा ने दिए शिवसेना को साथ लेने के संकेत
नई दिल्ली , बुधवार, 22 अक्टूबर 2014 (00:34 IST)
नई दिल्ली। भाजपा ने अपनी शुरुआती दुविधा को छोड़ते हुए सरकार गठन के लिए अपने अलग हुए सहयोगी शिवसेना का साथ लेने का आज संकेत दिया। शिवसेना ने महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर भाजपा नेतृत्व के साथ चर्चा करने के लिए यहां अपने दो दूत भेजे हैं।
इसके साथ ही यह भी प्रतीत हुआ कि राकांपा से बाहर से समर्थन लेने का विकल्प भाजपा नहीं छोड़ना चाहती ताकि शिवसेना के साथ समझौता नहीं हो पाने की स्थिति में उसके पास दूसरा विकल्प बना रहे।
 
सूत्रों ने कहा कि शिवसेना ने भाजपा नेतृत्व के साथ चर्चा के लिए अपने दो नेताओं को लगाया है। शिवसेना ने इस विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के खिलाफ तीखी बयानबाजी की थी।
 
भाजपा नेतृत्व से चर्चा करने के लिए शिवसेना के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई और एक अन्य नेता सुभाष देसाई आज रात दिल्ली पहुंचे। शिवसेना ने इसके साथ ही अपने कट्टर नेता संजय राउत को दरकिनार कर दिया।
 
पार्टी सूत्रों ने कहा कि परोक्ष तौर पर शिवसेना को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह का महाराष्ट्र दौरा टाल दिया है। सिंह को भाजपा विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाया गया था। वह अब दीपावली के बाद वहां जाएंगे। यह कदम एक तरह से पर्दे के पीछे शिवसेना को भाजपा की शर्तों पर साथ लाने की संभावना तलाशने का हिस्सा है। 
 
महाराष्ट्र में भाजपा विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाए गए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी मुंबई यात्रा टाल दी है। वे अब दीपावली के बाद जाएंगे। यह कदम एक तरह से पर्दे के पीछे शिवसेना को भाजपा की शर्तों पर साथ लाने की संभावना तलाशने का हिस्सा है। सरकार बनाने की कवायद के लिए सघन विचार-विमर्श के बीच राज्य के भाजपा नेता विलास मुगंतीवार ने मुख्यमंत्री के मुद्दे को नया मोड़ दे दिया जब उन्होंने इस पद के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का पक्ष लिया।
 
इस बीच वित्तमंत्री अरुण जेटली की टिप्पणी से भी यह स्पष्ट है कि पार्टी ने शिवसेना के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं किए हैं। सभी विकल्प खुला रखते हुए जेटली ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कुछ अन्य नेताओं को टेलीफोन पर बधाई देने का उल्लेख करते हुए कहा कि यह अपने आप में संकेत है (संभावित गठजोड़ के बारे में)।
 
जेटली ने कहा, हमारे पास एक साथ दो प्रस्ताव हैं। शिवसेना स्वाभाविक सहयोगी है, एनसीपी ने बिना शर्त समर्थन की घोषणा की है। महाराष्ट्र में सरकार बनाने में भाजपा और शिवसेना का सहयोगी बनना स्वाभाविक रूप से घटित होने वाली बात हो सकती है, लेकिन अगर कुछ कठिनाई पैदा होती है तो आपके पास एनसीपी के रूप में बिना शर्त समर्थन की पेशकश भी मौजूद है। उन्होंने हालांकि कहा कि शिवसेना के साथ अभी खास बात नहीं हुई है, साथ ही जोर दिया कि दोनों सहयोगी अभी भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में साथ-साथ हैं।
 
जेटली ने कहा, लेकिन नि:संदेह तीन स्तरीय सरकार में से हम दो में सहयोगी हैं..यह तथ्य कि हम एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं, अपने आप में एक संकेत है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शिवसेना शामिल है और मुंबई नगर निगम में भी दोनों दल सहयोगी हैं। उन्होंने कहा, हम स्वयंवर की स्थिति में हैं और इसलिए बातचीत के बाद हमें एक उचित समय पर निर्णय करना है। 
 
महाराष्ट्र मामलों के पार्टी प्रभारी ओम माथुर ने दावा किया कि विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए पार्टी के पास संख्या है लेकिन साथ ही कहा कि अगर स्वाभाविक सहयोगी वापस आता है तो खुशी होगी।
 
उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि हम वर्षों से साथ रहे हैं। अगर स्वाभावित सहयोगी हमारे साथ आता है, तब हमें खुशी होगी। अगर ऐसा नहीं होता है, तब राजनीति में हमारे पास सभी विकल्प खुले हैं। भाजपा को 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में 122 सीट मिली हैं जो बहुमत से 23 कम हैं। शिवसेना को 63 सीट पर विजय मिली है जबकि एनसीपी ने 41 सीट पाई हैं।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या वह शरद पवार के नेतृत्व वाले दल एनसीपी से गठबंधन की संभावना को खारिज कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि राजनीति में किसी संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बैक चैनल वार्ता तीन-चार दिन जारी रहेगी और दिवाली के बाद स्थिति साफ होगी।
 
इस बारे में जोर देकर यह पूछे जाने कि क्या वह राकांपा को ‘न’ कह रहे हैं, उन्होंने कहा, मैं किसी को हां नहीं कह रहा हूं। भाजपा और शिवसेना के बीच अभी सरकार गठन और इस बारे में पहल करने को लेकर मनोवैज्ञानिक मुकाबला चल रहा है और यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि कौन आगे बढ़कर पहल करेगा। 
 
इससे पहले नितिन गडकरी ने जेटली से बातचीत की थी। उन्होंने जेटली से करीब आधे घंटे तक बात की और सरकार बनाने की रणनीति पर चर्चा की। जेटली से बातचीत करने के बाद गडकरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श करने के लिए नागपुर रवाना हो गए। 
 
बताया जाता है कि संघ की इच्छा है कि हिन्दुत्व की शक्तियां एकजुट रहें, लेकिन अंतिम निर्णय उसने भाजपा पर छोड़ दिया है। समझा जाता है कि जेटली और गडकरी के बीच महाराष्ट्र में पार्टी की पसंद के बारे में चर्चा हुई। राकांपा ने पहले ही बिना शर्त समर्थन दे दिया है लेकिन भाजपा ने अभी यह तय नहीं किया है कि वह पेशकश स्वीकार कर रही है या नहीं।
 
सूत्रों ने कहा कि अगर शिवसेना तेवर दिखाती है तब भाजपा अपना नेता चुनकर सरकार बनाएगी तथा राकांपा के प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन से सदन में बहुमत साबित करेगी। इस बीच, मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा महाराष्ट्र के प्रमुख देवेन्द्र फड़नवीस का नाम सबसे आगे चल रहा है। हालांकि इस दौड़ में एकनाथ खडसे और विनोद तावडे भी हैं। (भाषा)


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