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गठबंधन बचाने की कोशिश में जुटी भाजपा, शिवसेना

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नई दिल्ली-मुंबई , रविवार, 21 सितम्बर 2014 (21:42 IST)
नई दिल्ली-मुंबई। भाजपा और शिवसेना महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अपना गठबंधन बचाने की आखिरी कोशिशों में जुटी हुई हैं। उद्धव ठाकरे की ओर से भाजपा को की गई 119 सीटों की पेशकश केंद्र में सत्ताधारी पार्टी द्वारा ठुकरा दिए जाने के बाद गठबंधन बचाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। 
शिवसेना द्वारा भाजपा को 119 से ज्यादा सीटें दिए जाने से उद्धव के इनकार के कुछ घंटों बाद भाजपा ने अपने गठबंधन सहयोगी से कहा कि आपसी रिश्ते को बनाए रखना दोनों पार्टियों का कर्तव्य है और मीडिया के जरिए अपनी बात रखने के बजाय मुद्दों को सुलझाना चाहिए।
 
शिवसेना द्वारा 119 सीटों की पेशकश किए जाने के बाद दिन में भाजपा ने कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। भाजपा ने उम्मीद जताई कि मामले को आपस में सुलझाया जा सकता है।
 
मुंबई में शिवसेना ने साफ कर दिया कि वह भाजपा को अब और कोई रियायत नहीं देगी। उसने कहा कि कुल 288 सीटों में से भाजपा को 119 से ज्यादा सीटें नहीं दी जाएंगी और सीट बंटवारे पर जारी गतिरोध खत्म करने की यह ‘आखिरी कोशिश’ है। 
 
शिवसेना प्रमुख उद्धव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह याद भी दिलाया कि पार्टी के दिवंगत सुप्रीमो बाल ठाकरे ने 2002 के गुजरात दंगों के बाद उनका समर्थन किया था। उन्होंने कहा, ‘आज मैं यह सुनिश्चित करने की आखिरी कोशिश कर रहा हूं कि ‘महायुति’ (विपक्षी पार्टियों का महागठबंधन) बनी रहे। 
 
शिवसेना ने पहले 160 सीटें मांगी थी। पर अब हम नौ सीटें छोड़ने को तैयार हैं। शिवसेना 151 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और भाजपा को 119 सीटें देगी। बाकी बची 18 सीटें हमारे गठबंधन के अन्य सहयोगियों को दी जाएगी।’ 
 
गतिरोध खत्म करने के तरीके सुझाते हुए महाराष्ट्र विधानसभा और विधान-परिषद में भाजपा के नेता विपक्ष एकनाथ खड़से और विनोद तावड़े ने कहा कि पार्टी चाहती है कि शिवसेना ऐसी सीटों पर फिर से बातचीत करे जिन पर उसने पिछले 25 सालों में कभी जीत हासिल नहीं की, ताकि आगामी चुनावों में वे सीटें थाली में परोसकर एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन को न दे दी जाएं। 
 
आनन-फानन में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में तावड़े ने कहा, ‘शिवसेना की ताजा पेशकश में कुछ भी नया नहीं है क्योंकि गठबंधन बनने के बाद से ही भाजपा 119 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। हम चाहते हैं कि गठबंधन बना रहे। गठबंधन को बनाए रखना शिवसेना और भाजपा दोनों का कर्तव्य है।’
 
तावड़े ने कहा, ‘हमारा गठबंधन 25 साल पुराना है और मीडिया के जरिए नहीं बल्कि आमने-सामने की बातचीत के जरिए सीट बंटवारे का मुद्दा सुलझाया जाना चाहिए।’ खड़से ने कहा, ‘शिवसेना 35 सीटों पर हारती रही है जबकि हम 19 सीटों पर हारते रहे हैं। यदि उन पर फिर से विचार हो तो हम सबका फायदा होगा वरना ये सीटें स्वत: ही कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के पास चली जाएंगी।’ 
 
उन्होंने कहा, ‘पिछले चुनावों में कई सीटों पर काफी कम अंतर से हार मिली थी। 135 सीटों के प्रस्ताव के पीछे वही सोच और मानसिकता थी।’ बहरहाल, भाजपा नेताओं ने यह भी कहा कि वे 135 सीटों की अपनी पहले की मांग से पांच सीटें कम यानी 130 सीटें भी स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। 
 
देर शाम भाजपा और शिवसेना के नेताओं ने कहा, ‘अपना गठबंधन बनाए रखने की कवायद जारी है।’ खड़से ने कहा कि यह समय है कि शिवसेना ‘थोड़ा त्याग’ करे क्योंकि भाजपा चुनाव जीतने और गठबंधन बचाने के लिए अतीत में ‘त्याग’ करती रही है।
 
उन्होंने हालिया लोकसभा चुनावों में भाजपा द्वारा शिवसेना को छह ज्यादा सीटें दिए जाने का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, ‘इससे भाजपा इस बार 26 सीटों पर चुनाव लड़ी जबकि पहले 32 सीटों पर लड़ती थी।’ 
 
खड़से ने कहा कि राज्य में कार्यकर्ताओं का दबाव है कि भाजपा अकेले दम पर विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन पार्टी गठबंधन जारी रखना चाहती है। यह पूछे जाने पर कि क्या बातचीत का वक्त बीतता जा रहा है? इस पर उन्होंने कहा कि हम अगले 24 से 48 घंटे बात कर सकते हैं।
 
इससे पहले, उद्धव ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘भाजपा को ज्यादा सीटें दिए जाने के मुद्दे पर मैं अब और नहीं झुक सकता।’ उन्होंने कहा, ‘यदि शिवसेना सत्ता में आती है तो महाराष्ट्र देश में नंबर वन राज्य होगा। मैं सत्ता चाहता हूं और यह मैं किसी भी कीमत पर लेकर रहूंगा। पर यह सत्ता महाराष्ट्र को कुछ देने के लिए होगी, कुछ लेने के लिए नहीं।’ (भाषा)

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