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चिंता! संघर्ष विराम की आड़ में 'साजिश' रच रहा है पाकिस्तान

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सुरेश डुग्गर

, शनिवार, 22 अक्टूबर 2016 (18:37 IST)
श्रीनगर। इस महीने में ही 40 बार पाक सेना द्वारा एलओसी तथा इंटरनेशनल बार्डर पर सीजफायर का उल्लंघन करते हुए मोर्टार तथा राकेटों के हमले किए जाने के बाद चिंता यह पैदा होने लगी है कि अगले महीने की 26 तारीख को 13 साल पूरे करने जा रहा सीजफायर अगर टूटा तो सीमांत क्षेत्रों के लोगों के साथ-साथ भारतीय सुरक्षाबलों के लिए भी यह बहुत भारी साबित होगा। इसकी पुष्टि सेनाधिकारी आप करते हैं कि सीजफायर की आड़ में पाकिस्तान ने जो सैनिक तैयारियां कर ली हुई हैं वे चिंताजनक हैं।
सबसे अधिक खतरा जम्मू से सटी 264 किमी लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर है। सीजफायर के इन 13 सालों का लाभ पाकिस्तानी सेना ने अपने क्षेत्र में बहुस्तरीय सुरक्षा प्रबंधों को अंजाम देने में लिया है। सुरक्षा प्रबंध भी ऐसे की भारतीय सुरक्षाबल चाह कर भी न ही उन्हें रोक पाए हैं और न ही विरोध जता पाए हैं।
 
जम्मू सीमा के क्षेत्रों में तारबंदी के लिए बनाए गए 12 फुट ऊंचे सुरक्षा बांध पर खड़े होकर अगर सामने पाकिस्तानी क्षेत्र में देखा जाए तो मालूम पड़ता है कि पाकिस्तान के इरादे क्या हैं। जम्मू सीमा की जीरो लाइन के साथ-साथ उसने भी बहुआयामी और बहुस्तरीय रक्षा बांध तैयार कर लिया है।
 
जीरो लाइन से इस रक्षा बांध की दूरी 20 से 50 गज के बीच है। यह कोई मामूली रक्षा बांध नहीं है। करीब 18 फुट की ऊंचाई वाले इस रक्षा बांध पर अगर ऊपर भी सड़क है तो नीचे भी। सीमेंट से बने पक्के बंकर भी बीच में तथा बांध के ऊपर भी। मकसद इस बांध को बनाने के पीछे के कई हैं। पहला भारतीय कार्रवाई से अपने आपको बचाना और साथ ही उन पाकिस्तानी किसानों को उस स्थिति में भारतीय सेना की गोलीबारी से बचाना जब वह जवाबी कार्रवाई करती है।
 
रक्षा सूत्र मानते हैं कि ऐसा बांध खड़ा कर पाकिस्तान ने इसके पीछे होने वाली सभी फौजी तैयारियों को छुपा लिया है। स्थिति यह है कि उसके पीछे होने वाली किसी भी कार्रवाई की खबर रख पाना या फिर सीमा पर नजर रख पाना भारतीय बलों के लिए इन 13 सालों में आसान नहीं रहा है। जहां तक कि इस बांध की आड़ में चल रहे आतंकी प्रशिक्षण शिविरों पर भी कोई नजर रख पाना आसान कार्य नहीं रहा है।
 
नतीजतन भारतीय सुरक्षाबलों को चिंता इस बात की है कि अगर सीजफायर टूटा तो पाक द्वारा इस सीजफायर की आड़ में मजबूत की गई अपन रक्षापंक्ति का भरपूर लाभ लिया जा सकता है। हालांकि भारतीय पक्ष ने भी भारतीय किसानों को पाक गोलीबारी से बचाने के लिए 12 फुट का रक्षा बांध बनाया है मगर वह अब किसी काम का इसलिए नहीं रह गया है क्योंकि पाकिस्तान अपने 16 फुट ऊंचे रक्षा बांध से उस पर पूरी नजर रख रहा है।
 
हालांकि सीजफायर का लाभ पाकिस्तान द्वारा सियालकोट में अपनी रक्षापंक्ति को मजबूत करने में भी लिया गया है। कारण पूरी तरह से स्पष्ट है कि सियालकोट में पाकिस्तानी रेंजर का सेक्टर हेडर्क्वाटर है तो इसी इलाके में पाक सेना का कोर हेडर्क्वाटर है जिसे वह कमजोर इसलिए मानती है क्योंकि सियालकोट इलाके की सुरक्षा व्यवस्था हमेशा ही भारतीय सेना द्वारा भेदी जाती रही है।
 
सीमा पर पाकिस्तान की इस प्रकार की तैयारियों पर हालांकि बीएसएफ ने लिखित तथा फ्लैग मीटिंगों में कई बार विरोध तो जताया, लेकिन पाकिस्तान ने उसकी शिकायत पर कोई कान नहीं धरा है। स्थिति यह है कि सीमा की सुरक्षा को लेकर बीएसएफ भी बहुत चिंतित है। उसकी चिंता का एक कारण यह भी है कि पाकिस्तान जम्मू सीमा को अंतरराष्ट्रीय सीमा का दर्जा नहीं देता है और वह इसे वर्किंग बाउंडरी का नाम देते हुए इसे बदलने की कोशिशें भी लगातार करता रहा है।
 


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