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नोटबंदी, आशंका के विपरीत बुआई का रकबा बढ़ा, लेकिन....

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, शनिवार, 26 नवंबर 2016 (17:22 IST)
रबी या शीतकालीन फसल की बुआई में पिछले सप्ताह की तुलना में 36 फीसदी बढ़त हुई है हालांकि विमुद्रीकरण को देखते हुए इस बात की आशंका जाहिर की जा रही थी कि बड़े मूल्य के नोटों पर रोक लगने से बुआई पर उल्टा असर पड़ेगा।
ईटी में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि शुक्रवार तक देश में रबी की फसलों की बुआई 327.62 लाख हेक्टेयर में पूरी हो चुकी थी, जबकि 18 नवंबर को बुआई के रकबे का क्षेत्र 241.73 लाख हेक्टेयर था। कृषि मंत्रालय से मिले आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 4.62 प्रतिशत एकड़ में अधिक बुआई की गई है, जब फसलों का क्षेत्र 317.17 लाख हेक्टेयर था। 
 
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दालों, तिलहनों और गेहूं का क्षेत्र बढ़ा है जबकि मोटे अनाजों, चावल की बुआई का रकबा कम हुआ है। इस वर्ष सरकार ने 638.09 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य रखा था। विमुद्रीकरण के बाद कैश न होने के कारण किसानों को होने वाले परेशानियों को देखते हुए आशंका जाहिर की गई थी कि कृषि की उत्पादकता पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
 
वर्ष 2016 में मानसून दो वर्षों के बाद की कमी के बाद सामान्य आया है जिससे उम्मीद की जा रही है कि भरपूर फसल की पैदावार होगी। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दालों, तिलहनों और गेहूं का क्षेत्र बढ़ा है जबकि मोटे अनाजों, चावल की बुआई का रकबा कम हुआ है। 
 
वर्ष 2016 में मानसून दो वर्षों के बाद की कमी के बाद सामान्य आया है जिससे उम्मीद की जा रही है कि भरपूर फसल की पैदावार होगी। हालांकि आशंका यह भी है कि हालात जल्द ही नहीं सुधरे तो बुआई लक्ष्य से काफी पीछे रह सकती है। कृषि अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में इस 20 फीसदी तक बोवनी कम हो सकती है। 

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