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शी हैं खुले विचार वाले और यथार्थवादी : दलाई लामा

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मुंबई , गुरुवार, 18 सितम्बर 2014 (17:25 IST)
मुंबई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता में लगे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की  अप्रत्याशित वर्ग 'निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा' ने तारीफ की और उन्हें खुले  विचार वाला एवं यथार्थवादी बताया है।
दलाई लामा ने यह भी कहा कि परस्पर विश्वास पर आधारित मधुर चीन-भारत संबंध से न केवल  एशिया बल्कि पूरी दुनिया लाभान्वित होगी। उन्होंने कहा कि परस्पर विश्वास की बुनियाद पर निर्मित चीन-भारत संबंध बहुत महत्वपूर्ण है। न  केवल एशिया बल्कि, पूरी दुनिया उनके (अच्छे) संबंधों से लाभान्वित हो सकती है। सद्भाव विश्वास से  आ सकता है न कि भय से। 
 
उन्यासी वर्षीय बौद्ध भिक्षु ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि मुझे नए नेतृत्व पर विश्वास है। वे (शी)  खुले विचार वाले हैं और उनकी कार्यशैली यथार्थवादी है। उन्होंने कहा कि शी को मजबूत भारतीय  लोकतांत्रिक परंपराओं एवं विविधता से एकता से सीख लेनी चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि भारत घनी आबादी वाला विशाल देश है। देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग  भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन फिर भी भारतीयों में एकता है। देश में लोकतंत्र का बड़ी मजबूती के  साथ पालन किया जाता है और यहां स्वतंत्र मीडिया है। चीनी राष्ट्रपति को भारतीयों से ये मूल्य  सीखने चाहिए। विवादास्पद सीमा मुद्दे पर दलाई लामा ने कहा कि इसे आपसी समझ से, न कि बल प्रयोग से हल  किया जाना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि वास्तव में तिब्बत समस्या भारत की भी समस्या है। 1950 से पहले आप देखते  हैं कि पूरी उत्तरी सीमा शांतिपूर्ण थी। वहां एक भी सैनिक नहीं था अतएव तिब्बत समस्या भारत की  समस्या है। देर-सबेर व्यक्ति को इन समस्याओं का हल करना ही होगा। वह भी बल प्रयोग से नहीं,  बल्कि आपसी समझ एवं बातचीत से। आपसी समझ बाचतीत से आती है।
 
शी की यात्रा के विरोध में प्रदर्शन कर रहे तिब्बतियों को पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने पर  दलाई लामा ने कहा कि तिब्बती कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं, लेकिन बाकी भारत सरकार  पर निर्भर करता है।
 
उन्होंने इराक और सीरिया में आईएसआईएस आतंकवादियों द्वारा किए जा रहे नरसंहार की कड़ी आलोचना की और कहा कि इस्लाम के असली उपासक कभी रक्तपात नहीं करेंगे। जिहाद दूसरों को  नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं है। इसका संबंध व्यक्ति के खुद के नकारात्मक विचारों का नाश करने  से है। यह चौंका देने वाली बात है कि अल्लाह के अनुयायी इराक में निर्दोष लोगों की बेरहमी से  हत्या कर रहे हैं। 
 
उन्होंने कहा कि इस्लाम के असली उपासक को सभी इंसानों के प्रति सहृदय होना चाहिए। अपने धर्म  के प्रति अत्यधिक लगाव एक पक्षपातपूर्ण मानसिक दशा है, जो गुस्सा और हिंसा को जन्म देती है।
 
भारत के धार्मिक रिकॉर्ड की तारीफ करते हुए दलाई लामा ने कहा कि भारत का असली खजाना  उसका 3,000 साल पुराना धार्मिक सद्भाव है। शिया समुदाय पाकिस्तान की तुलना में भारत में  ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है। (भाषा)


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