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दूनिया को साइबर सुरक्षा का समाधान दें भारतीय आईटी पेशेवर : मोदी

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, गुरुवार, 15 अक्टूबर 2015 (11:05 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे. अब्दुल कलाम की जयंती पर युवा वैज्ञानिकों को आज आह्वान किया कि वे देश की विरासत एवं तकनीक के ज्ञान का उपयोग करके विश्व को नए तकनीकी समाधान उपलब्ध कराएं। 
मोदी ने यहां राजाजी मार्ग पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के मुख्यालय में डॉ. कलाम की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि आज भारत को लेकर विश्व की दृष्टि में बदलाव आया है, दुनिया अब उसे एक बाज़ार नहीं वरन् सहयात्री के रूप में देखने लगी है। 
             
इस मौके पर रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर, शहरी विकास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्री एम. वेंकैया नायडु, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री वाई. एस. चौधरी भी मौजूद थे। 
         
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को केवल बाज़ार एवं आर्थिक संपन्नता को आगे बढ़ाने के बारे में नहीं सोचना चाहिए बल्कि उसे आने वाले दिनों में नवान्वेषण पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। आज आईटी के क्षेत्र में भारतीयों ने जो बढ़त बनाई  है, उसके पीछे उनकी नवान्वेषण की क्षमता का हाथ है। 
 
उन्होंने सुझाव दिया कि डॉ. कलाम की जयंती पर ऐसे सेमीनार आयोजित किए जाने चाहिए जिनमें 35 वर्ष से कम आयु के युवा वैज्ञानिकों को बुलाया जाए और उनके नवान्वेषण के कार्यों को देखा जाना जाए। वे डॉ. कलाम से प्रेरणा लें और उनके इस प्रिय मार्ग पर चल कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दें। 
         
उन्होंने कहा कि युवा वैज्ञानिकों को अपनी सोच में कुछ ऊपर उठकर यह सोचना चाहिए कि हमारी ऐसी कौन सी विरासत है जिसे विश्व को दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया साइबर अपराधों से परेशान है तो क्या हमारे नौजवान साइबर सुरक्षा के मामले में उसे कुछ समाधान दे सकते हैं। आज के वक्त में जितनी जरूरी सीमाओं की सुरक्षा है, उतनी ही महत्वपूर्ण साइबर सुरक्षा है।
       
उन्होंने कहा कि सरकार ने 2022 तक देश के सभी गरीबों को मकान देने का लक्ष्य रखा है। क्या वे कोई ऐसी तकनीक सुझा सकते हैं जिससे सस्ते से सस्ता और बहुत शीघ्रता से मकान बन सके ताकि सात साल में लाखों मकान बनाना संभव हो।
        
उन्होंने कहा कि डॉ. कलाम का जीवन इस मायने में प्रेरणा दाई  है कि वह वैज्ञानिक होते हुए भी आध्यात्मिक थे। मिसाइलमैन होते हुए भी गरीबों के दुखदर्द को अनुभव करते रहे। उन्होंने भारत को शक्तिशाली बनाने का सपना देखा तो वह सिर्फ शस्त्रों से संपन्न भारत नहीं बल्कि उसके करोड़ों नागरिकों की खुशहाली के लिए भी देखा। विज्ञान के माध्यम से सामान्य मानव के जीवन में बदलाव लाए, इसपर ध्यान केन्द्रित किया। 
     
मोदी ने कहा कि युवा वैज्ञानिकों को ‘ब्लू इकोनॉमी’ यानी सामुद्रिक अर्थव्यवस्था और ‘ब्लू स्काई’यानी प्रदूषण रहित पर्यावरण अनुकूल विकास के लिए भी सोचना होगा। उन्हें कृषि उपज की बरबादी रोकने के उपाय, नदियों को जोड़ने, उत्तम गुणवत्ता एवं पर्यावरण अनुकूल ज़ीरो डिफेक्ट एवं ज़ीरो इफेक्ट विनिर्माण के लिए भी अपनी प्रतिभा का उपयोग करना होगा। (वार्ता)

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