आम बजट की तारीख फरवरी के आखिरी हफ्ते से पहले हफ्ते में करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को एक और महत्वपूर्ण बदलाव किया है। यह बदलाव वित्तीय वर्ष अर्थात फाइनैंशल इयर को अप्रैल से मार्च के बजाय जनवरी से दिसंबर करना है। उन्होंने राज्यों से इस प्रस्ताव पर पहल करने को कहा।
भारत में अभी अप्रैल से मार्च का फाइनैंशल इयर होता है, जबकि दुनिया भर में जनवरी से दिसंबर के वित्त वर्ष को अनुसरण किया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, 'गुड गवर्नेंस से संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल होता है और कम संसाधनों की जरूरत होती है।'
नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग के बाद एक ऑफिशल स्टेटमेंट में कहा गया, 'प्रधानमंत्री ने कहा कि फाइनैंशल इयर बदलने को लेकर कई सुझाव आए हैं। उन्होंने राज्यों से वित्त वर्ष को जनवरी से दिसंबर करने के बारे में पहल करने को कहा।' शंकर आचार्य की अगुवाई में बनी एक कमिटी वित्त वर्ष बदलने को लेकर पहले ही अपनी रिपोर्ट सरकार को दे चुकी है।
प्रधानमंत्री ने राज्यों से गवर्नेंस मसलों पर भी गंभीरता से विचार करने को कहा, जिनके चलते ग्रोथ तेज करने में दिक्कत हो रही है। इसके साथ उन्होंने कैपिटल ऐक्सपेंडिचर बढ़ाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर जोर दिया, जिससे आर्थिक ग्रोथ तेज की जा सके। प्रधानमंत्री नीति आयोग के चेयरमैन भी हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ कराने को लेकर एक सकारात्मक बहस शुरू हुई है। (एजेंसी)