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जर्मनी ने भारत को लौटाई मां दुर्गा की दुर्लभ प्रतिमा

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नई दिल्ली , सोमवार, 5 अक्टूबर 2015 (23:39 IST)
नई दिल्ली। जर्मनी ने जम्मू कश्मीर से दो दशक पहले लापता हुई दसवीं शताब्दी  की दुर्गा की एक दुर्लभ मूर्ति भारत को मंगलवार को लौटा दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसके लिए जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल का आभार व्यक्त किया। जम्मू कश्मीर के एक मंदिर से लापता हुई यह मूर्ति जर्मनी के एक संग्रालय में पाई गई थी।
भारत की यात्रा पर आइ’ जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने यहां हैदराबाद हाउस में मोदी को इस  मूर्ति को सौंपा। दसवीं शताब्दी की दुर्गा की यह मूर्ति महिषासुरमर्दिनी अवतार में है। संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में दी ने मर्केल और जर्मनी के लोगों का इसे भारत को लौटाए जाने के लिए आभार व्यक्त किया।
 
 
उन्होंने कहा कि यह (दुर्गा) बुराई पर विजय का प्रतीक है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि मर्हिषासुरमर्दिनी को 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के एक मंदिर से चुरा लिया गया था। इस संदर्भ में एक एफआईआर दर्ज की गई थी। वर्ष 2012 में एएसआई को खबर मिली कि यह मूर्ति जर्मनी के स्टटगार्ट के लिंडेल संग्रहालय में देखी  गई है।

इसके बाद केन्द्र सरकार ने इस वापस लाने की प्रक्रिया शुरू की और पिछले साल इस सिलसिले में एएसआई के दो अधिकारियों ने स्टटगार्ट का दौरा भी किया।  इस मूर्ति के भारत का होने के साक्ष्य के रूप में एफआईआर को पेश किया गया और सरकार ने जर्मनी के संबंधित प्राधिकार के समक्ष इस मामले को रखा।

ऐसा संदेह है कि इस मूर्ति की विदेश में तस्करी किए जाने में भारतीय कलाकृतियों के कुख्यात सौदागर सुभाष कपूर का हाथ है। कपूर को 2011 में जर्मनी में गिरफ्तार किया गया था। 

भारत-जर्मनी के बीच हुए 18 करार : नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के बीच आज यहां हुई बातचीत बाद रणनीतिक क्षेत्रों में संबंधों को विस्तार देने के लिए दोनों पक्षों ने 18 सहमति-पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इनमें भारत में जर्मन कंपनियों के लिए तेजी से मंजूरी दिलाने और जर्मनी द्वारा एक अरब यूरो के सौर उर्जा कोष की घोषणा भी शामिल हैं।
 
मोदी और मर्केल ने तीसरी शिखरवार्ता स्तर के अंतर-सरकारी परामर्श की सह-अध्यक्षता करते हुए रक्षा, सुरक्षा, खुफिया जानकारी, रेलवे, व्यापार और निवेश और स्वच्छ ऊर्जा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को विस्तार देने पर सहमति जताई और आतंकवाद के खतरे से मिलकर लड़ने का फैसला किया।
 
प्रधानमंत्री ने मर्केल से प्रतिनिधिमंडल स्तर पर और आमने-सामने दोनों ही तौर पर तीन घंटे से अधिक समय तक बातचीत की, जिसके बाद संयुक्त रूप से मीडिया को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘हमारा ध्यान आर्थिक संबंधों पर है लेकिन मेरा मानना है कि असीमित चुनौतियों और अवसरों के संसार में भारत और जर्मनी दुनिया के लिए और अधिक मानवीय, शांतिपूर्ण, न्यायोचित तथा टिकाउ भविष्य हासिल करने में भी मजबूत साझेदार हो सकते हैं।’
 
जर्मनी की कंपनियों के लिए फास्ट-ट्रैक मंजूरी प्रक्रिया पर समझौते में अनेक परियोजनाओं के लिए एकल बिंदु स्वीकृति शामिल है जिसका उद्देश्य अधिक से अधिक जर्मन कंपनियों को मोदी की महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ पहल से जोड़ने और महत्वपूर्ण तरीके से निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
 
मोदी ने कहा, ‘रक्षा उत्पादन, आधुनिक प्रौद्योगिकी में व्यापार, खुफिया जानकारी और आतंकवाद तथा उग्रवाद का मुकाबला करने के क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ेगी। ये हमारे विस्तृत होते रिश्ते के महत्वपूर्ण सुरक्षा आयाम हैं।’ (भाषा)

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