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हंडवाड़ा छेड़छाड़ पीड़िता ने फिर पलटा बयान, कहा

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। हंडवाड़ा में जिस छेड़खानी प्रकरण के कारण पांच लोगों को अपनी जान गंवानी  पड़ी थी उस प्रकरण की पीड़िता ने अब नया यू टर्न लिया है। उसने एक संवाददाता सम्मेलन में अब यह कहा है कि एक फौजी ने उसके साथ सच में छेड़खानी की थी।
उसके बकौल, उसके बाद उसे पुलिस ने अपनी ‘हिरासत’में रखकर डराया और  धमकाया था ताकि मैं उनके मन मुताबिक वक्तव्य दे सकूं। हंडवाड़ा में छात्रा के साथ  कथित छेड़खानी मामले में नया मोड़ आ गया है।  पीड़ित छात्रा ने अदालत में दिए अपने बयान से मुकरते हुए आरोप लगाया कि एक  सैन्यकर्मी ने उसका हाथ पकड़ा था। पुलिस ने उससे जबरन गलत बयान दिलाया था।
 
सोमवार को यहां मानवाधिकारवादी संगठन जम्मू कश्मीर कोएलिशन ऑफ सीविल  सोसाइटी द्वारा आयोजित एक पत्रकार वार्ता में हंडवाडा मामले की पीड़ित छात्रा ने पहली  बार मीडिया से अपने परिजनों की उपस्थिति में बातचीत की।
 
उसने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हिरासत में उसे प्रताड़ित किया गया।  एसपी हंडवाडा ने जबरन उससे बयान दिलाते हुए उसका वीडियो बनाया। उसने कहा कि  मुझे बोला गया था कि मैं सैन्यकर्मियों द्वारा छेड़खानी से इंकार कर दूं, लेकिन अब मैं  चुप नहीं बैठूंगी बल्कि अपनी अंतिम सांस तक अपने इंसाफ के लिए लडूंगी।
 
गौरतलब है कि बीते 12 अप्रैल को हंडवाड़ा में कुछ लोगों ने एक छात्रा के साथ  सैन्यकर्मियों द्वारा छेड़खानी का आरोप लगाया था। इसके बाद पूरे इलाके में भड़की  हिंसा में पांच लोग मारे गए। हालांकि पीड़ित छात्रा ने अपने बयान में सैन्यकर्मियों को  क्लीनचिट देते हुए कहा कि उसके साथ शौचालय में कोई नहीं था और न उसने किसी  को वहां देखा।
 
अलबत्ता, शौचालय के बाहर दो लड़कों ने उसे पीटा और उन्होंने ही छेडखानी की  अफवाह फैलाई। लेकिन कश्मीर के मानवाधिकार संगठनों और पीड़िता की मां ने आरोप  लगाया कि छात्रा से जबरन बयान दिलाया गया है और उसे पुलिस ने हिरासत में रखा  है।
 
छात्रा की मां राजा बेगम ने अपनी बेटी को पुलिस द्वारा जबरन हिरासत में रखने और जबरन बयान दिलाने का आरोप लगाते हुए जम्मू कश्मीर कोएलिशन ऑफ सीविल  सोसाइटी के माध्यम से राज्य उच्च न्यायालय में बीते 16 अप्रैल को एक याचिका दायर  की थी।
 
उसने अपनी बेटी की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए उससे जबरन बयान दिलाने व  अवैध हिरासत में रखने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।  अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने से पहले ही पुलिस ने पीड़िता को गत सप्ताह रिहा  कर दिया था। अदालत ने भी अपने फैसले में कहा था कि पीड़िता और उसका परिवार  कहीं भी आने-जाने के लिए स्वतंत्र हैं, उन पर किसी तरह की रोक नहीं होनी चाहिए।


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