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बुखारी की दस्तारबंदी आज, नवाज शरीफ ने ठुकराया न्योता

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, शनिवार, 22 नवंबर 2014 (10:09 IST)
नई दिल्ली, इस्लामाबाद। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद जामा मस्जिद में दस्तारबंदी का रास्ता भले ही साफ हो गया हो, लेकिन विवादों के चलते अब सोनिया के बाद नवाज शरीफ ने भी दस्तारबंदी के कार्यक्रम में जाने से इनकार कर दिया है।
जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी ने दस्तारबंदी में देश-दुनिया के कई खास मेहमानों को बुलाया है. खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योता नहीं भेजा गया, जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ बुलावे के बावजूद नहीं आ रहे हैं।
 
दस्तारबंदी की रस्म शनिवार शाम करीब पांच बजे नमाज के साथ शुरू होगी। इसमें इमाम अहमद बुखारी के बेटे शाबान बुखारी को नया उत्तराधिकारी बनाया जाएगा। यह उसी तरह है जिस तरह की एक राजा अपने बेटे को गद्दी सौंपता है। अहमद बुखारी के इस निजी कार्यक्रम को कानूनी मान्यता नहीं है, लेकिन इस मौके को खास बनाने के लिए अहमद बुखारी ने काफी तैयारियां की है। दिल्ली के जामा मस्जिद को आलीशान तरीके से सजाया गया है।
 
जहां तक न्योते की बात है, नरेंद्र मोदी को निमंत्रण न दिए जाने की वजह से काफी विवाद भी हो चुका है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी इसमें शिरकत नहीं करने जा रही हैं।
 
गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने दस्तारबंदी पर रोक लगाने से मना कर दिया था साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि दस्तारबंदी को कानूनी वैधता नहीं है।
 
कोर्ट ने सभी पार्टियों को नोटिस भेजकर हलफनामा दायर कर अपना-अपना पक्ष रखने को कहा है मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी इसके बाद ही 22 नवंबर को होने वाली दस्तारबंदी की कानूनी मान्यता के बारे में कुछ साफ हो पाएगा।
 
हाईकोर्ट में जामा मस्जिद में शाही इमाम के बेटे की दस्तारबंदी के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी केंद्र सरकार और वक्फ बोर्ड इस दस्तारबंदी को गैरकानूनी बता चुके हैं। ये विवाद मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर के पोते की याचिका दायर करने के बाद शुरू हुआ है। 
 
उल्लेखनीय है कि मुगल बादशाह शाहजहां के बुलावे पर बुखारा (उज़बेकिस्तान) से आए बुखारी खानदान की 13वीं पीढ़ी में भी यह दस्तारबंदी का परंपरा जारी है। बुखारी परिवार भारत का नहीं है।
 
शाहजहां के बुलावे पर उज्बेकिस्तान के बुखारा से आए सैयद अब्दुल गफ्फूर शाह बुखारी जामा मस्जिद के पहले इमाम बने. उन्हें उस वक्त इमाम-उल-सल्तनत की उपाधि दी गई. आज उसी परिवार के सैयद अहमद बुखारी जामा मस्जिद के 13वें इमाम हैं अब वे अपने 19 साल के बेटे  सैयद शाबान बुखारी को इमाम बनाना चाहते हैं।
 
इससे पहले वर्तमान शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी को 1973 में नायब शाही इमाम बनाया गया था जो साल 2000 में शाही इमाम बने। बुखारी के मुताबिक अनुसार शाबान अब पढ़ाई के साथ-साथ इमामत का भी प्रशिक्षण लेगा। बुखारी के बाद शाबान 14वें शाही इमाम के रूप में काम करेंगे।
 
जामा मस्जिद के भावी इमाम पर इमामत छोड़कर सियासत करने, जामा मस्जिद का दुरुपयोग करने, इसके आस-पास के इलाके में लगभग समानांतर सरकार चलाने की कोशिश करने और कानून को अपनी जेब में रखकर घूमने जैसे आरोप ही नहीं लगे हैं बल्कि वे मौके-अवसर पर मुसलमानों को भड़काकर हिन्दुओं और भारत के खिलाफ खुलेआम जहर भी उगलते रहे हैं। (भाषा/वेबदुनिया)

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