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भारत-पाकिस्तान NSA स्तर की बातचीत रद्द होने के संकेत

हमें फॉलो करें भारत-पाकिस्तान NSA स्तर की बातचीत रद्द होने के संकेत
नई दिल्ली , शुक्रवार, 21 अगस्त 2015 (21:10 IST)
नई दिल्ली। आगामी भारत पाकिस्तान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तरीय वार्ता खटाई में पड़ती नजर आ रही है क्योंकि दोनों देशों के बीच कश्मीरी अलगाववादियों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
 
भारत ने सीमारेखा खींचते हुए पाकिस्तान को यह स्पष्ट कर दिया है कि अलगाववादियों और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज के बीच वार्ता अस्वीकार्य है। अजीज का रविवार को अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल से बातचीत के लिए यहां पहुंचने का कार्यक्रम है।
 
पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वह अलगाववादी हुर्रियत नेताओं से बातचीत करने की पिछली परिपाटी से नहीं हटेगा और इस तरह उसने अजीज से उनकी बातचीत नहीं करने की भारत की सलाह मानने से इनकार कर दिया।
 
भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद पर महत्वपूर्ण चर्चा में शामिल होने की प्रतिबद्धता से हटने की कोशिश करने का आरोप लगाया जिसके लिए पिछले महीने रूस के उफा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच सहमति बनी थी। 
 
भारत ने कहा कि पूर्व शर्त के तौर पर हुर्रियत नेताओं से मुलाकात पर इस्लामाबाद का जोर देना उफा में हुई सहमति से पूरी तरह हटना है। इसके अलावा भारत ने हमेशा यह रख व्यक्त किया है कि द्विपक्षीय रिश्तों में केवल दो पक्ष हैं, तीन नहीं।
 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि नई शर्तों को एकपक्षीय तरीके से लागू करने और सहमति वाले एजेंडा को बिगाड़ने के बाद आगे नहीं बढ़ा जा सकता। दोनों पक्षों के अपने रख पर कायम रहने के बाद रविवार और सोमवार को प्रस्तावित दोनों देशों के एनएसए की वार्ता की संभावना बहुत कम लगती है। लेकिन किसी भी पक्ष ने औपचारिक रूप से वार्ता को रद्द नहीं किया है।
 
स्वरूप ने कहा कि हुर्रियत को लेकर पाकिस्तान सरकार का बयान हैरानी वाला नहीं है क्योंकि उफा शिखरवार्ता के बाद पाकिस्तान की गतिविधियों का एक तरीका देखने को मिला है और आज का रुख उस तरीके की ही पराकाष्ठा है। 
 
उन्होंने भारत-प्रशांत द्वीपीय देशों के फोरम के सम्मेलन से इतर जयपुर में संवाददाताओं से कहा कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने आतंकवाद से संबंधित सभी मुद्दों पर और सीमा पर अमन चैन के विषय पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक होने पर सहमति जताई थी।
 
उन्होंने कहा, ‘इसके बजाय हमने पाकिस्तान की ओर से बिना उकसावे के गोलीबारी में भीषण इजाफा देखा और सीमापार आतंकवाद की कुछ गंभीर घटनाएं घटीं। अंतिम घटना उधमपुर में घटी जिसमें एक पाकिस्तानी नागरिक को जिंदा पकड़ा गया। यह विषय स्वाभाविक रूप से आतंकवाद पर एनएसए स्तर की बातचीत में आना निर्धारित था और यह पाकिस्तान के लिए असहज स्थिति पैदा करने वाला है।’
 
प्रवक्ता ने कहा, ‘वार्ता को लेकर उफा में हुई सहमति, जिस पर दोनों विदेश सचिवों ने संयुक्त रूप से बयान पढ़ा था, बहुत स्पष्ट थी कि दोनों एनएसए को आतंकवाद से संबंधित सभी मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए मुलाकात करनी है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने उनके लिए यही एजेंडा तय किया था।’
 
प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान को नई दिल्ली में बैठक के भारत के प्रस्ताव पर जवाब देने में 22 दिन लग गए और फिर उसने जिस एजेंडा का प्रस्ताव रखा वह दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच सहमति वाले एजेंडे से पूरी तरह अलग है। 
 
उन्होंने कहा, ‘ये दोनों गतिविधियां एक साथ संकेत देती हैं कि वह सहमति वाली प्रक्रिया पर गंभीरता के साथ आगे बढ़ने की इच्छा नहीं रखता। गौर करने की बात यह भी है कि पाकिस्तानी उच्चायुक्त ने कार्यक्रम या एजेंडा की पुष्टि किये बिना हुर्रियत के प्रतिनिधियों को यहां आ रहे एनएसए के साथ बातचीत के लिए आमंत्रित किया।’ 
 
स्वरूप ने कहा, ‘यह उकसाने वाली कार्रवाई आतंकवाद पर गहन चर्चा में शामिल होने के लिए उफा में जताई गयी प्रतिबद्धता से हटने की पाकिस्तान की इच्छा के पूरी तरह अनुरूप थी।’ उन्होंने कहा कि आज दोनों देशों की जनता तर्कसंगत रूप से पूछ सकती है कि कौन सी ताकत है जो पाकिस्तान को दोनों निर्वाचित नेताओं के बीच हुई रजामंदी की अवहेलना करने के लिए और उसके क्रियान्वयन को नुकसान पहुंचाने के लिए बाध्य करती है।
 
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत इन मुद्दों पर शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय तरीके से पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है। 
 
गौरतलब है कि उसने ही उफा में बातचीत में शामिल होने के लिए पहल की थी। पाकिस्तान ने अजीज और हुर्रियत नेताओं के बीच बैठक नहीं कराने की भारत की ‘सलाह’ को दिन में खारिज करते हुए कहा था कि वह दोनों के बीच बातचीत की स्थापित परिपाटी से नहीं हटेगा। 
 
पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त टीसीए राघवन को इस बात से अवगत कराया। चौधरी ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अजीज और उनके भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल के बीच वार्ता के लिए कोई पूर्व शर्त पाकिस्तान को स्वीकार्य नहीं होगी।
 
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, ‘पाकिस्तानी नेतृत्व ने भारत की अपनी यात्राओं के दौरान हमेशा ही कश्मीरी हुर्रियत नेतृत्व से बात की है। पाकिस्तान को अतीत की अपनी इस स्थापित परिपाटी से हटने का कोई कारण नजर नहीं आता।’ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अध्यक्षता में असैन्य एवं सैन्य नेतृत्व की एक अहम बैठक के बाद भारतीय सलाह के प्रति पाकिस्तान की प्रतिक्रिया आई है।
 
विदेश सचिव ने राघवन को इस बात से अवगत कराया कि अजीज के अलगाववादियों से नहीं मिलने की भारतीय सलाह को स्वीकार करना पाकिस्तान के लिए संभव नहीं होगा। (भाषा)

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