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इतालवी मरीन मामले पर संसद में क्या बोले जेटली...

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नई दिल्ली , मंगलवार, 3 मई 2016 (14:39 IST)
नई दिल्ली। इतालवी मरीन मामले में हेग स्थित संयुक्त राष्ट्र मध्यस्थता अधिकरण के फैसले की पृष्ठभूमि में सरकार ने मंगलवार को कहा कि मध्यस्थता अधिकरण का आदेश इस बात की स्वीकारोक्ति करता है कि सर्जेट गिरोन सिर्फ भारतीय प्राधिकार के तहत है और वह इस मामले में पीड़ितों के अधिकार के लिए संघर्ष जारी रखेगी।
 
इतालवी मरीन मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र मध्यस्थता अधिकरण के फैसले के आलोक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की ओर से स्वत: संज्ञान लेते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने अपने बयान में कहा कि इस मामले में सरकार का रूख पूरी तरह से स्पष्ट है। हमारा मानना है कि यह मामला भारत के प्राधिकार के तहत है और इस रूख में कोई बदलाव नहीं होगा। एक राष्ट्र के तौर पर हम अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करते हैं और हम इस मामले को पूरे जोरशोर से मध्यस्थता अधिकरण के समक्ष रखेंगे। 
 
उन्होंने कहा कि सरकार पीड़ितों के अधिकार के संदर्भ में इस घटना में लड़ाई :कानूनी: जारी रखेगी और उसे पूरा विश्वास है कि पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय मिलेगा।
 
जेटली ले कहा कि हम मध्यस्थता अधिकरण के आदेश को न केवल भारत के सतत रूख और मुख्य दलीलों को मान्यता के रूप में देखते हैं बल्कि इस बात की स्वीकारोक्ति के रूप में भी देखते हैं कि यह मामला उच्चतम न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आता है।
 
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार इस मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए उच्चतम न्यायालय जाएगी। उल्लेखनीय है कि इतालवी मरीन मामले में हेग स्थित संयुक्त राष्ट्र के मध्यस्थता अधिकरण ने मरीन सर्जेट सल्वातोरे गिरोन को मध्यस्थता की कार्यवाही लंबित रहने तक भारत से स्वदेश लौटने की इजाजत दी है।
 
जेटली के बयान के समय कांग्रेस सदस्य कुछ पूछना चाहते थे लेकिन आसन ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। इसके बाद सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कांग्रेस सदस्यों ने सदन से कुछ देर के लिए वाकआउट किया।
 
सल्वातोरे गिरोन और मासीमिलियानो लातोर दो इतालवी मरीन हैं जिन्होंने 2012 में केरल तट के पास भारतीय पोत पर गोलीबारी कर दी थी जिसमें दो मछुआरों मारे गए थे।
 
जेटली ने बताया कि इन दोनों को हत्या के आरोप में पुलिस ने हिरासत में ले लिया था और इनके खिलाफ अभी मामला उच्चतम न्यायालय में है। इस मामले में लातोर 2014 में इटली वापस चला गया था जबकि गिरोन भारत में ही है।
 
उन्होंने कहा कि मध्यस्थता अधिकरण ने भारत और इटली को सार्जेट गिरोन की जमानत की शर्तो में छूट देने के लिए उच्चतम न्यायालय से सम्पर्क करने का सुझाव दिया है। उसे यह भी कहा है कि उच्चतम न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में रहते हुए वह मध्यस्थता की कार्यवाही लंबित रहने तक इटली लौट सकता है।
 
वित्त मंत्री ने कहा कि इस घटना के संबंध में अगर पाया जाता है कि यह भारत के प्राधिकार के तहत आता है तब इटली की जवाबदेही उन्हें भारत को लौटाने की होगी।
 
मंत्री ने कहा कि मध्यस्थता अधिकरण मानता है कि औपवंधिक उपाए से स्थिति में बदलाव नहीं होना चाहिए जहां सार्जेट गिरोन मामले में उच्चतम न्यायालय का अधिकार क्षेत्र है। इसमें कहा गया कि सार्जेट गिरोन वर्तमान मध्यस्थता के दौरान इटली लौट सकता है, वह भारत के उच्चतम न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में बना रहेगा।
 
जेटली ने कहा कि मध्यस्थता अधिकरण ने इस मामले में सार्जेट गिरोन के इटली के लौटने के संबंध में शपथपत्र को रिकार्ड के रूप में रखा। भारत को बिना किसी शक और कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रभावों के आधार पर पूरा भरोसा है कि सार्जेट गिरोन भारत लौटेंगे जिसमें मध्यस्थता अधिकरण यह व्यवस्था दे कि यह घटना हमारे प्राधिकार के तहत है। उन्होंने कहा कि इटली का हलफनामा उस पर अंतरराष्ट्रीय कानून की बाध्यता को स्पष्ट करता है। (भाषा)
 

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