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डॉ. कलाम के जीवन से जुड़ी प्रेरणादायक बातें

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, मंगलवार, 28 जुलाई 2015 (10:48 IST)
भारत के महान वैज्ञानिक व पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का सोमवार को हृदय गति रुक जाने से देहांत  हो गया। जिस समय उन्हें अटैक आया उस समय वे आईआईएम, शिलोंग में लेक्चर दे रहे थे। 
कलाम की बचपन से दिली ख्वाहिश थी कि वे फाइटर पायलट बनें। उन्होंने एरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़ाई की और  बाद में डीआरडीओ के साथ काम किया। उन्होंने अपनी जिंदगी के 40 महत्वपूर्ण साल डीआरडीओ और  आईएसआरओ की सेवा में गुजारे। 
 
सपने वे नहीं होते जो आपको रात में सोते समय नींद में आए लेकिन सपने वे होते हैं जो रात में सोने न दें। ऐसी बुलंद सोच रखने वाले मिसाइल मैन अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम (ए.पी.जे. अब्दुल कलाम) ने जब देश के सर्वोच्च पद यानी 11वें राष्ट्रपति की शपथ ली तो देश के हर वैज्ञानिक का सर फक्र से ऊंचा हो गया। 
 
मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारतीय मिसाइल प्रोग्राम के जनक कहे जाते हैं। आज इनका जन्मदिन है। आइए इस मौके पर नजर डालते हैं इनके जीवन सफर पर....... 
अगले पेज पर पढ़ें जीवन सफर के बारे में...

कलाम का बचपन : - आसमान की ऊंचाइयों को छूने के लिए हवाई जहाज और अन्य साधनों से भी जरूरी चीज है हौसला। हौसला आपकी सोच को वह उड़ान देता है जिसका शिखर कामयाबी की चोटी पर है। कामयाबी के शिखर तक पहुंचने की आपने यूं तो हजारों कहानियां पढ़ी होंगी लेकिन ऐसी ही एक जीती जागती कहानी हैं पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की। 
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भारत के पूर्व राष्ट्रपति जिन्हें दुनिया मिसाइलमैन के नाम से भी जानती है। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम तमिलनाडु में हुआ। ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का पूरा नाम डॉक्टर अबुल पाकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम है। 
 
कलाम अपने परिवार में काफी लाडले थे, लेकिन उनका परिवार छोटी-बड़ी मुश्किलों से हमेशा ही जूझता रहता था। उन्हें बचपन में ही अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हो गया था। उस वक्त उनके घर में बिजली नहीं हुआ करती थी और वह केरोसिन तेल का दीपक जलाकर पढ़ाई किया करते थे। 
 
अब्दुल कलाम मदरसे में पढ़ने के बाद सुबह रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र एकत्र करते थे। अब्दुल कलाम अखबार लेने के बाद रामेश्वरम शहर की सड़कों पर दौड़-दौड़कर सबसे पहले उसका वितरण करते थे। बचपन में ही आत्मनिर्भर बनने की तरफ उनका यह पहला कदम रहा।
 
अगले पेज पर जानिए डॉ. कलाम की शिक्षा के बारे में...

  
कलाम की शिक्षा : - कलाम जब मात्र 19 वर्ष के थे, तब द्वितीय विश्व युद्ध की विभीषिका को भी महसूस किया। युद्ध की आग रामेश्वरम के द्वार तक पहुंच गई थी।
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इन परिस्थितियों में भोजन सहित सभी आवश्यक वस्तुओं का अभाव हो गया था। कलाम एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में आए, तो इसके पीछे उनके पांचवीं कक्षा के अध्यापक सुब्रह्मण्यम अय्यर की प्रेरणा जरूर थी। 
 
अध्यापक की बातों ने उन्हें जीवन के लिए एक मंजिल और उद्देश्य भी प्रदान किया। अभियांत्रिकी की शिक्षा के लिए उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया। वहां इन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में अध्ययन किया।
अगले पेज पर डॉ. कलाम का मिसाइल क्रांति की ओर कदम...

 
मिसाइल क्रांति की तरफ कदम :- 1962 में वे ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ में आए। डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल है। अब्दुल कलाम भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं। 
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उन्होंने 20 साल तक भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन यानी इसरो में काम किया और करीब इतने ही साल तक रक्षा शोध और विकास संगठन यानी डीआरडीओ में भी। वे 10 साल तक डीआरडीओ के अध्यक्ष रहे। साथ ही उन्होंने रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार की भूमिका भी निभाई। इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया था।
अगले पेज पर डॉ. कलाम के बतौर राष्ट्रपति के रूप में सफर...

  
राष्ट्रपति का सफर :- 18 जुलाई, 2002 को कलाम भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एनडीए घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था, जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया।
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25 जुलाई 2002 उन्होंने संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। 25 जुलाई 2007 को उनका कार्यकाल समाप्त हो गया। 
 
अगले पेज पर डॉ. कलाम को दिए गए सम्मानों के बारे में जानें... 

ए.पी.जे अब्दुल कलाम के बारे में कुछ और खास बातें : - 
* डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल है। 

* जुलाई 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। 

* ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर विस्फोट भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की। 

* इसके अलावा डॉक्टर कलाम ने भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच भी प्रदान की। 

* कलाम ऐसे तीसरे राष्ट्रपति हैं जिन्हें भारत रत्न का सम्मान राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ है, अन्य दो राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉक्टर जाकिर हुसैन हैं। 

* यह प्रथम वैज्ञानिक हैं जो राष्ट्रपति बने हैं और प्रथम राष्ट्रपति भी हैं जो अविवाहित हैं। 

* इसके अतिरिक्त कलाम ही ऐसे एकमात्र व्यक्ति हैं जो राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद अभी जीवित हैं। इनके पूर्व के सभी राष्ट्रपति अब इस संसार में नहीं हैं। 

* एक राष्ट्रपति के अलावा वह एक आम इन्सान के तौर पर वह युवाओं की पहली पसंद और प्रेरक हैं। उनके बातें, उनका व्यक्तित्व, उनकी पहचान न केवल एक राष्ट्रपति के रूप में हैं बल्कि जब भी लोग खुद को कमजोर महसूस करते हैं कलाम का नाम ही उनके लिए प्रेरणा बन जाता है। 

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