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कश्मीर में 'दरबार' लगने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर , मंगलवार, 5 मई 2015 (17:46 IST)
श्रीनगर। कश्मीर में 'दरबार' लगने पर अर्थात नागरिक सचिवालय खुलने के मौके पर कांग्रेस, निर्दलीय विधायक और व्यापारी वर्ग ने अलग-अलग मुद्दों पर हिंसक विरोध प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन कश्मीर ट्रेडर्स फेडरेशन के बैनर तले किया गया।

इस प्रदर्शन में कांग्रेस के अलावा निर्दलीय विधायक और व्यापारी वर्ग भी शामिल हुए। कश्मीर के सभी व्यापारियों और दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखीं। श्रीनगर में बंद के दौरान कांग्रेस ने जमकर हंगामा किया। कांग्रेसी प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर खूब बवाल मचाया और मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद के खिलाफ खूब नारेबाजी की।

श्रीनगर में आज बंद के दौरान कांग्रेसी प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर खूब बवाल मचाया और मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद के खिलाफ खूब नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर भी फेंके। ये प्रदर्शन कश्मीर ट्रेडर्स फेडरेशन के बैनर तले किया गया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस के अलावा निर्दलीय विधायक और व्यापारी वर्ग भी शामिल हुए।

गौरतलब है कि कश्मीर के व्यापारियों ने सितंबर की बाढ़ में हुए नुकसान का मुआवजा न मिलने पर राज्य सरकार के खिलाफ बंद का ऐलान किया था। इसके अलावा आज निर्दलीय विधायकों ने कश्मीरी पंडितों को बसाने के लिए अलग से कॉलोनी बसाने का भी विरोध किया।

पुलिस ने कश्मीरी पंडितों के लिए अलग बस्तियां बसाने की प्रस्तावित योजना के खिलाफ यहां सिविल सचिवालय में जुलूस निकालने की कोशिश करने पर निर्दलीय विधायक शेख अब्दुल राशिद को आज हिरासत में ले लिया। राशिद ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर प्रस्तावित योजना के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए बटमालू से सिविल सचिवालय की ओर जुलूस निकाला। विधायक जैसे ही अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा मुख्यालय पहुंचे, पुलिस ने उन्हें एहतियातन हिरासत में ले लिया। उन्हें शहीदगंज पुलिस थाने में रखा गया।

पुलिस का एक दल राशिद को बाद में जवाहर नगर स्थित उनके आवास पर ले गया। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि विधायक को रिहा कर दिया गया है, लेकिन राशिद ने आरोप लगाया कि उन्हें अपने घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है। हिरासत में रखे जाने से पहले राशिद ने कहा कि वह पंडितों की वापसी के खिलाफ नहीं हैं बल्कि वह उनके लिए अलग बस्तियां बनाने के विरुद्ध हैं। उन्होंने कहा कि हम अलग बस्तियां बसाने के खिलाफ हैं। हम पंडितों की वापसी का स्वागत करते हैं, लेकिन उन्हें अपने मूल स्थानों पर बसना चाहिए।

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