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जयललिता और अन्य संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके : अदालत

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बेंगलुरु , मंगलवार, 30 सितम्बर 2014 (22:23 IST)
बेंगलुरु। आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने के मामले में तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता को चार साल कैद की सजा सुनाने वाली विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि 1991-96 तक मुख्यमंत्री के रूप में अर्जित की गई 53.6 करोड़ रुपए कीमत की चल-अचल संपत्ति के संबंध में अन्नाद्रमुक प्रमुख संतोषजनक उत्तर नहीं दे सकीं।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने संदेह से परे इस बात को साबित कर दिया है कि उस अवधि (1991 से 1996 तक) में उनकी आय 9.91 करोड़ रुपए थी जबकि व्यय 9.49 करोड़ रुपए था, हालांकि जयललिता ने इस दौरान अपने और तीन अन्य आरोपियों तथा औद्योगिक फर्मों के नाम पर 53.6 करोड़ रुपए कीमत की अचल और वित्तिय संपत्ति जमा की और जिसके संबंध में वे संतोषजनक उत्तर नहीं दे सकीं। 
 
मौजूदा मुख्यमंत्री को 18 साल पुराने 66.65 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार देना भारतीय इतिहास में अपनी तरह का पहला फैसला था। फैसला सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश जॉन माइकल डी'कुन्हा ने 27 सितंबर को जयललिता को चार साल के लिए कारावास में भेज दिया और उन पर 100 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया।
 
जयललिता की करीबी सहयोगी शशिकला, उनके रिश्तेदार वीएम सुधाकरण (पूर्व मुख्यमंत्री के परित्यक्त दत्तक पुत्र) और इलावारासी को भी अदालत ने चार-चार साल कैद की सजा सुनाई तथा चारों पर 10-10 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। अदालत का यह फैसला तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक के लिए बहुत बड़ा झटका है।
 
फैसले में न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने किसी भी संदेह से परे यह साबित कर दिया है कि जयललिता के आय के ज्ञात स्रोत से ज्यादा 53.6 करोड़ रुपए के संसाधन एवं संपत्ति जुटाने के आपराधिक षड्यंत्र में ये आरोपी शामिल थे। 
 
न्यायाधीश ने कहा कि इसलिए अभियुक्त एक से चार तक को भारतीय दंड संहिता की धारा 120(बी) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराओं 13(1)(ई), 13(2) के तहत दोषी करार दिया जाता है। इस मामले में जयललिता प्रथम, शशिकला द्वितीय, सुधाकरण तृतीय और जे. इलावारसी चौथे अभियुक्त हैं।
 
न्यायाधीश ने कहा कि 100 करोड़ रुपए का जुर्माना नहीं चुका सकने की स्थिति में जे. जयललिता को और एक वर्ष कैद की सजा भुगतनी होगी। न्यायाधीश ने आदेश दिया कि जुर्माने की राशि का भुगतान करने के लिए संबंधित बैंकों को जरूरी निर्देश दिए जाएं। बैंक के खाते और अन्य जमा का उपयोग जुर्माना राशि के भुगतान हेतु किया जाए।
 
यदि फिर भी जुर्माना राशि पूरी नहीं होती है तो सोने और हीरे के सभी गहने जब्त कर लिए जाएं और उन्हें रिजर्व बैंक, स्टेट बैंक या सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य किसी बैंक के माध्यम से नीलाम कर राशि का भुगतान किया जाए। यदि भुगतान के बाद आभूषण शेष बचते हैं तो सरकार उन्हें जब्त कर ले।
 
न्यायाधीश ने अपने आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि लेक्स प्रॉपर्टीज डेवेलपमेंट प्रालि, मिडो एग्रो फॉर्म्‍स प्रालि, रामराज एग्रो मिल्स लि. सिगनोरा बिजनेस एंटरप्राइजेज (प्रा) लि., रिवरवे एग्रो प्रोडक्ट्स (प्रा) लि. और इंडो-दोहा केमिकल्स एण्ड फार्मास्यूटिकल्स लि. के नाम पर पंजीकृत सभी अचल संपत्ति जब्त कर ले। (भाषा) 

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