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जस्टिस सीएस कर्णन की तलाश जारी

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चेन्नई , गुरुवार, 11 मई 2017 (23:24 IST)
चेन्नई। कलकत्ता उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश सीएस कर्णन को कथित रूप से न्यायालय की अवमानना के मामले में उच्चतम न्यायालय की ओर से दी गई छ: माह की कैद की सजा के दो दिन बाद भी न्यायमूर्ति कर्णन के बारे में कुछ पता नहीं चला है और पश्चिम बंगाल की विशेष टीम उनकी गिरफ्तारी के लिए तलाश अभियान जारी रखे हुए है।
 
उच्चतम न्यायालय ने जब उन्हें छ: माह कैद की सजा सुनाई उस समय व चेपाउक में सरकारी अतिथिगृह में ठहरे हुए थे, लेकिन इसके बाद अचानक लापता हो गए। कल यहां पहुंची विशेष टीम लगातार दूसरे दिन न्यायमूर्ति कर्णन का पता लगाने का प्रयास कर रही है।
 
न्यायमूर्ति कर्णन के आंध्रप्रदेश सीमा पर श्रीकलाहस्ती मंदिर की तरफ जाने की सूचना मिलने पर विशेष टीम वहां गई थी, लेकिन उनका पता नहीं चल सका। विशेष टीमों ने आसपास के क्षेत्रों में खोजबीन की लेकिन उनका कोई अता पता नहीं लग पाया।
 
पुलिस टीम ने चोलई मेदु के सौराष्ट्र नगर में न्यायमूर्ति कर्णन के पुत्र सुगान से पूछताछ की और पुलिस टीम चुड्डालोर जिले के वृधाचलम में भी गई। विशेष टीमों ने शहर के शीर्ष पुलिस अधिकारियों के साथ भी विचार-विमर्श किया।
 
यहां प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार न्यायमूर्ति कर्णन के वकीलों में से एक ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि वे चेन्नई में ही ठहरे हुए हैं और वे कानून से नहीं भागे हैं। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति कर्णन के राष्ट्रपति से मुलाकात करने की संभावना है और अदालत के निर्णय पर पुनर्विचार करने के आग्रह को लेकर याचिका दायर की गई है।
 
गौरतलब है कि न्यायाधीश कर्णन कोलकाता उच्च न्यायालय में हैं और बीते जनवरी से लगातार विवादों में हैं जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक खुला खत लिखकर उच्च और सर्वोच्च न्यायालय के 20 वर्तमान और अवकाशप्राप्त जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। बाद में उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इस शिकायत की जांच करने का आदेश दिया था।
 
न्यायाधीश कर्णन ने सीबीआई को निर्देश देते हुए इस जांच की रिपोर्ट संसद को सौंपने के लिए कहा था। उच्चतम न्यायालय ने उनके इस फैसले को अदालत की अवमानना बताया था। इसके बाद सात न्यायाधीशों की एक खंडपीठ का गठन किया गया, जिसने न्यायाधीश कर्णन के खिलाफ अदालत के आदेश की अवमानना से जुड़ी कार्रवाई शुरू की। अपने खिलाफ शुरू हुई अदालती कार्रवाई का सामना करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने दो बार उन्हें न्यायालय में पेश होने का आदेश दिया था, लेकिन इस आदेश को अनसुना करते हुए वे पेश नहीं हुए। उसके बाद न्यायालय ने 10 मार्च को उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया। न्यायालय ने उन्हें 31 मार्च से पहले अदालत में पेश होने का आदेश दिया था।
      
उच्च न्यायालय ने न्यायाधीश कर्णन को अपनी मानसिक जांच कराने का भी आदेश दिया था, लेकिन उन्होंने अपनी मेडिकल जांच कराने से इनकार करते हुए सोमवार को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और सात अन्य जजों को पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। उन्होंने शीर्ष अदालत के सात जजों की बेंच के सदस्यों के नाम लिए, जिनमें मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश जे. चेलमेश्वर, न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायाधीश मदन बी लोकुर, न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष और न्यायाधीश कुरियन जोसफ हैं। (वार्ता)

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